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________________ . १४४ कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : प्रथम खण्ड श्री जिनेश्वरदेवाय नमः श्री भिक्षु गुरुभ्योनमः श्री तुलसी गुरुभ्योनमः अभिनंदन-पत्र परम आदरणीय, त्यागमूर्ति, समाजसेवी, शिक्षाप्रेमी, कर्मठ कार्यकर्ता, कर्मवीर काकासाहब श्री केसरीमलजी साहब सुराणा, मन्त्री श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ मानव हितकारी संघ राणावास की सेवा में। आचार्य श्री तुलसी के श्रेष्ठ श्रावक ! आप आचार्य श्री तुलसी के श्रेष्ठ श्रावक हैं । आचार्य श्री द्वारा निर्दिष्ट श्रावकों हेतु आवश्यक गुणों के आप साक्षात ज्वलन्त प्रतीक हैं । साधु न होते हुए भी जीवन को साधुतामय रखना आपके जीवन की अलौकिक विशेषता है। युग प्रधान आचार्य श्री तुलसी ने आपको 'ऋषि' साधु पुरुष की संज्ञा से विभूषित किया है । त्यागमूर्ति ! आपका जीवन त्याग से परिपूर्ण है । आप साक्षात त्यागमूर्ति हैं । त्याग और तपश्चर्या के द्वारा आत्मोत्थान हेतु आप निरन्तर नियमबद्ध रूप से धार्मिक क्रिया-कलापों में लीन रहते हैं। नियमित सत्रह सामायिक व मौनव्रत, ब्रह्मचर्य का पालन, अत्यन्त सात्त्विक व शुद्ध आहार का प्रयोग, आहार-पानी का रात्रि में त्याग आदि आपकी कठोर साधना के प्रतीक हैं। श्वेत परिधान के विशिष्ट परिवेश में आपका व्यक्तित्व किसी महा मनीषी ऋषि-मुनि सदश दृष्टिगत होता है। समाजसेवी! आपने अपना समग्र जीवन समाज को समर्पित कर दिया है। आप तन, मन व धन से सेवाकार्य में रत हैं । सामाजिक कुरीतियों के निराकरण हेतु आप सदैव तत्पर रहे हैं। राजस्थान प्रान्तीय भगवान महावीर पच्चीच सौवीं निर्वाण महोत्सव समिति द्वारा आपको 'समाज सेवक' की उपाधि से अलंकृत किया गया है। शिक्षाप्रेमी! आप पिछले ३५ वर्षों से श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ मानव हितकारी संघ के माध्यम से राणावास में शिक्षा प्रसार कार्य में रत हैं । राणावास को 'विद्याभूमि' के नाम से अलंकृत करने का श्रेय आपको ही है । कांठा प्रान्त के मदन मोहन ! राजस्थान के ग्रामीण काँठा प्रान्त में 'शिक्षा यज' द्वारा ज्ञान ज्योति की किरणों को नि:स्पृह भाव से विकीर्ण कर राष्ट्र एवं समाज की अद्वितीय सेवा में आप पिछले पैतीस वर्षों से रत हैं। राणावास में प्राथमिक षिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा हेतु महाविद्यालय की स्थापना कर आपने इस क्षेत्र को जो शिक्षा सुविधाएँ उपलब्ध की हैं वे आपके दृढ़ संकल्प व कर्मठता की प्रतीक हैं । इसके साथ ही गुडारामसिंह में माध्यमिक विद्यालय की स्थापना आप ही के कर-कमलों द्वारा हुई है । आप इस क्षेत्र के लिए मदन मोहन मालवीय सिद्ध हुए हैं। स्त्री शिक्षा के पक्षधर ! -- 1.-.... समाज में स्त्रियों की दयनीय दशा व पिछड़ेपन का एकमात्र कारण स्त्री-शिक्षा के अभाव को पाकर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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