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________________ अभिनन्दनों का आलोक १२७ समाज-सेवी, त्याग समर्पण के धनी, वज्र पुरुष, राणावास की संस्था के प्राण, कर्मठ व्यक्तित्व, सम्माननीय काका साहब श्रीमान् केसरीमलजी सुराणा __की सेवा में सादर समर्पित अभिनंदन पत्र समाज-सेवी! जीवन के कुछ वर्ष, वर्षों के कुछ महिने, महिनों के कुछ दिन, दिनों के कुछ घण्टे समाज के लिये देने वाले सेवी तो यदा-कदा मिल ही जाते हैं, किन्तु आपने अपना सम्पूर्ण जीवन ही समाज-सेवा में समर्पित कर दिया है। आपके अथक परिश्रम एवं ठोस कार्य को देखकर लगता है समाज स्वयं आप में समाहित हो गया है। अपने आप में एक संस्थान ! आपने संस्थान के कार्य में अपने आपको घोल दिया। आपके व्यक्तित्व को देखते ही राणावास के संस्थान दीखने लगते हैं । वे सारे संस्थान आपके नाम के पर्याय बन चुके हैं । शिक्षासेवी! शिक्षा की उपयोगिता पर व्याख्यान देने वाले बहुत मिलेंगे, पर उसके लिये अपने आपको खपा देने वाले बहुत कम । पुरुष-शिक्षा हो या नारी-शिक्षा-दोनों क्षेत्रों में आपने शिक्षा-जगत को महत्त्वपूर्ण सेवायें प्रदान की हैं और निरन्तर किये जा रहे हैं। त्यागी! सादगी से परिपूर्णता के साथ-साथ आपका जीवन व्यवहार सरलता, नम्रता एवं मृदुता से ओत-प्रोत है। अल्प परिग्रही, त्याग, तपस्या एवं साधनायुक्त जीवन, सब कुछ होने पर भी आप अहं से दूर हैं। वज्र-पुरुष! सामाजिक कार्य विष मिश्रित मधु की तरह है जिसे आप जैसे वज्र पुरुष ही पी सकते हैं। अन्यान्य आक्षेप, उपालंभ, प्रताड़नायें इस तरह सह लेते हैं जैसे कुछ हुआ ही न हो । निरन्तर निर्भीकता से समाज-सेवा में लगे हैं। राणावास की संस्था के प्राण ! आपको पाकर राणावास अपने क्षेत्र का एवं सम्पूर्ण तेरापंथ समाज का प्रसिद्ध शिक्षा केन्द्र बना। वहाँ हर पत्थर, मिट्टी का कण गौरवान्वित है आपकी बदौलत । किन्तु इसको भी नकारा नहीं जा सकता कि आपने अपनी योग्यता को निखारा है तो केवल माताजी श्रीमती सुन्दरबाई के पूर्ण सहयोग से। बापू को कस्तूरबा की तरह आपको भी सुयोग्य पत्नी प्राप्त हुई । आप दोनों चिरायु हों। इसी शुभकामनाओं के साथ कर्मठ व्यक्तित्व का सादर अभिनन्दन करते हैं। विनीत -श्री जैन श्वे० ते० सभा, बैंगलूर -तेरापंथ युवक परिषद, बैंगलूर -अणुव्रत महिला परिषद, बैंगलूर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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