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________________ अभिनन्दनों का आलोक कर्मठ कार्यकर्ता श्रद्धय काकासाहब! श्री केसरीमलजी साहब सुराणा के पवित्र चरणों में अभिनंदन-पत्र श्रद्धय काका साहब ! 1 जीवन के उषाकाल में आशा और उत्साह से हमने आपकी चरण-रज मस्तक पर चढ़ाई थी अपनी जीवन रूपी कुसुमकालिका को ज्ञान के आलोक से आलोकित करने के लिए आशा की सुमनोहर झांकी झिलमिला उठी। भगवान भुवन भास्कर क्षितिज पर मुस्करा उठे, प्रसन्न -पुष्प-पंक्ति विहँस कर उठी, प्रमोद से प्रमुदित पक्षी समूह आनन्द कल्लोल करने लगे। ज्ञान के पुनीत प्रकाश से हमारी अन्तरात्मा आलोकित होने लगी । सदय ! १२१ आपकी हमारे साथ क्रियात्मक सहानुभूति, शिष्टता और व्यवस्था शक्ति ने हमको आपके प्रति अनन्य श्रद्धा के साथ आत्म-विभोर बना दिया है। यह श्रद्धा और भक्ति पवित्र धरोहर के रूप में हमारे हृदयों में एक दिव्य ज्योति जगाती रहेगी। हम कहीं भी हों आपकी स्मृति हमारे दिल व दिमाग में पुनीत आशीर्वाद के लिए भक्तिनम्र होकर आपकी ओर सतत उन्मुख रहेगी। आदर्श पुरुष ! आपने अपनी महती योग्यता के साथ निरभिमानिता, सादगी एवं सदाचारी जीवन व ब्रह्मचर्य का पुनीत पाठ जीवन में क्रियात्मक रूप से दर्शाते हुए हमारे हृदयों पर गहरी छाप डाली है। हमारे जीवन को यह ज्योति हमेशा प्रकाशित करती रहेगी। Jain Education International जीवन ज्योति ! आपने राष्ट्र के लिए चरित्र को उज्ज्वल भावना से अपने आप को ओतप्रोत रक्खा। गाँधी व जवाहर के आदर्शों की अनुपम कृति आप हैं। भगवान महावीर और भगवान गौतम बुद्ध के सच्चे श्रावक आप हैं । आचार्य श्री तुलसी के अणुव्रत आन्दोलन के प्रेरणादायक महाव्रत रूप प्रत्यक्ष दर्शन आप हैं। आपने अपने जीवन के प्रकाश से हमारे जीवन को विकसित किया है। हमारा रोम-रोम आपका कृतज्ञ रहेगा तथा आपके अनिर्वचनीय गुणों को सदा याद करता रहेगा । साहसी संचालक ! आपने हम बालकों को बचपन से उँगली पकड़कर चलना सिखाया, पीठ थपथपा कर दौड़ना सिखाया तथा उत्साहयुक्त प्रेरक वचन से संसार में स्थिर रहना सिखाया, झंझावातों के झकोरों से बचाकर इस संस्था रूपी वृक्ष को प्रेमरूपी जल से सींचकर संस्था की सुमति और प्रगति को आगे बढ़ाने के आपके निरन्तर प्रयत्न से हमारे हृदय की आशालता को खिलाकर मन में मोद भर रहे हैं। उस साहस, कठोर परिश्रम और सहृदयता के गुणों की एक किरण हम में प्रकट हो, आशीर्वाद दें । For Private & Personal Use Only .o www.jainelibrary.org.
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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