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________________ भक्तों में जिनका नाम है मुनि श्री संजयकुमार ( गीतक छन्द) धुन के पक्के हैं ये कर्मठ कार्यकर्ता आज के । सत्यनिष्ठ दृढधर्मी श्रावक शिरोमणि समाज के ॥ भिक्षु शासन के अनन्य भक्तों में जिनका नाम है । संत सतियों की सदा सेवा करे निष्काम हैं ॥ हर घड़ी गुरुदेव के इंगित का पूरा ध्यान है । युग प्रधान आचार्य श्री तुलसी के ये हनुमान हैं । केसरी सिंह तुल्य गूंजे करके धर्मोपासना । खूब धर्म प्रभावना करते रहो श्रमणोपासक केसरीमलजी ये राणावास के । देख जिनका त्याग बोयें बीज आत्मविकास के ॥ खाद्य, निद्रा, वचन संयम इनका करलो अनुकरण 1 सिर्फ प्रशस्तियों से इनका हो न सकता अभिनन्दन ॥ शुभ कामना || 00 Jain Education International the काव्यांजलि *** **** ************ शासन भक्त श्रावक साध्वी श्री सूर्यकुमारी (टमकोर ) श्रावकरत्न श्री केसरी, हैं शासन रा भक्त । सामायिक स्वाध्याय में रहते हैं अनुरक्त ॥१॥ For Private Personal Use Only पापभीरू पग-पग सजग, खरी-खरी कहै साफ । दाव घाव दिल में नहीं, नहीं कोई पेटे पाप ॥ २॥ +0+0+0+0+ दो हजार अरु तीस में, रहे केसरी धाम । देखी कार्य कुशलता, नहीं आलस को काम ||३॥ मैं उस वक्त अस्वस्थ थी, रखते पूरा ध्यान । निर्वद्य दलाली कर स्वयं लेते लाभ महान ॥४॥ साधु-सतियों के प्रति, माता-पिता सो प्यार । त्रुटी देख कहते तुरन्त है उत्तम आचार ||५|| ११५ -0 Q www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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