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________________ श्री सुराणा परिवार की विशिष्ट परम्परा है। आपके एक भाई श्री मिश्रीलालजी सुराणा जो गांधीवादी विचारधारा के सार्वजनिक कार्यकर्ता हैं व साधक है, उनका जीवन बेमिसाल है। स्थानीय सर्वोदय छात्रावास के संस्था पक-संचालक है । आपके दूसरे भाई श्री भंवरलाल जी आपको पिता तुल्य समझते हैं और आपके प्रति समर्पित हैं । इन्होंने ग्रन्थ के ग्राहक बनाने में विशेष योगदान दिया है। श्रद्धय चरित्र आत्माओं के हमारे ग्रन्थनायक परम भक्त है और आपका निवास स्थान एक धर्म स्थान-सा ही है। प्रतिवर्ष चातुर्मास में आपकी धर्म साधना उच्चतम शिखर पर पहुँच जाती है । तेरापंथ धर्मसंघ के आदि पुरुष व प्रेणता भिक्षु स्वामी आपकी शक्ति के अमोघ सम्बल हैं । इस दैविक शक्ति के फलस्वरूप आपको “विजयश्री' उपलब्ध होती हैं। जीवन-पर्यन्त स्नान नहीं करना, अति सूक्ष्म आय से जीवन यापन करना, संस्था का पानी तक नहीं पीना आदि आपके विरले आदर्श है जिनको हर परिस्थिति में आप निभाते हैं। इसलिए आप जन-जन के पुजनीक हैं और समस्त समाज आपको "काकासा" नाम से सम्बोधन करता है। आपकी असीम त्याग व तपस्या ने लाखों लोगों के विश्वास का अर्जन किया है। अपने जीवन के चार दशक में स्वयं के प्रभाव व प्रेरणा से लगभग एक करोड़ रुपये का चन्दा प्राप्त किया है, जिसमे से पचास लाख तो कुछ ही वर्षों में प्राप्त किये हैं। इस दृष्टि से आप राजस्थान के महामना पंडित मदनमोहन मालवीय है। आपके इस कार्य ने रचनात्मक प्रवृत्ति को सारे समाज में इतनी बलवती बनाया है कि अब सर्वत्र यह क्रमशः प्रस्फुटित हो रही है। जैन श्वे० तेरापन्थ धर्मसंघ की प्रतिष्ठा में रचनोत्मक दृष्टि से आपका अनूठा योगदान रहा है, जो कभी विस्मरणीय नहीं किया जा सकेगा। यह शीर्षस्थ संस्थान है। समाज भी आपकी सेवाओं का हृदय से मूल्यांकन करता है। शिक्षा जगत के मनीषीगण सुव्यवस्थित व सुसंचालन के कारण मंत्रमुग्ध है। जबकि उच्छृखलता सारे देश में सीमा का उल्लंघन कर गई है और देश को झकझोर दिया है लेकिन इधर रामराज्य-सा वातावरण है, यह सब कर्मठ सेवा तथा उत्कृष्ट साधना का प्रतिबिम्ब है, जिसको नकारा नहीं जा सकता है। 伞伞伞伞伞伞伞伞伞李李李李 李个个个李李李李李李李李李李李李李李李李李李李 空空李李李李李李李李李李李李李个中李个个个平李李 हर प्रदेश अपने भौगोलिक परिवेश तथा ऐतिहासिक परम्पराओं के आधार पर संचालित माना जाता है । इस प्रदेश के बढ़ते चरण में आपकी कर्मठ साधना अन्तनिहित है। जहां आप शैक्षिक जगत के एक मजग प्रहरी है वहां दूसरी ओर धार्मिक तथा सांस्कृतिक जगत की आप अनमोल थाती है। एक सुधारवादी होने के नाते आपने जोवन में स्पन्दन पैदा किया है । हर मोड़पर समाज की परम्परागत जीर्ण-शीर्ण रुढ़ियों से सदा लोहा लिया है। आदों को डींग न हांककर स्वयम् को उनके अनुरूप ढाला है । अस्तु, यह पुनीत स्थान समाज परिवर्तन की गतिविधियों का स्थल-सा बन गया है । इस परिसर में ज्ञान,ध्यान और विसर्जन का अजस्र श्रोत प्रवाहित होता रहता है । निराश्रित छात्रों को मानवीय जीवन-यापन करने का अवसर प्रदान किया जाता है और वे कई छात्रवृतियों से लाभाविन्त होते हैं । भग्न हृदय में आशा का संचार होता है। आप एक कुशल व कठोर प्रशासक के साथ एक निर्धान्त कर्मठ सेवक हैं । यह संस्था आपकी अक्षय कीति का स्मारक है जिसको राष्ट्रीय स्तर तक प्रतिष्ठापित किया है। आपकी जैसी अलौकिक प्रतिभा व लगन के व्यक्ति युगों में अवतरित होते हैं। वास्तव में आप राजस्थान के गौरव हैं। नैतिकता धर्म और संस्कृति की उपज है और उसकी पुनर्प्रतिष्ठा का काम तो समाज द्वारा ही कर सकते हैं, जिन्हें सत्ता से नहीं समाज से प्रेम है। निस्पृह कर्मशील चेतना के प्रति आस्था रखना अमोघ शक्ति मूलक है। आप नीतिनिष्ठ श्रावक तथा चिन्तन के धनी हैं। सामाजिक आर्थिक, धार्मिक व शैक्षणिक प्रवृत्तियों के एक अग्रदूत मनीषी है। विकृत पाश्चात्य सभ्यता के प्रति आपके विचारों में कोई स्थान नहीं है। आपको हद धारणा है कि बालकों में सद्वृत्तियों का विकास और भावी विपत्तियों का सामना करने के लिये तैयार करना है । जातीय भावना व क्षेत्रीय संकीर्णता को प्रश्रय नहीं देकर बालक देश का एक भावी नागरिक बने । प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी के शब्दों Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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