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________________ कथा "क्युपिड और साइक"१ की कथाके नामसे, जर्मनी में "स्वान मेइडन"२ के नामसे, फासमें “मेलुसिना"3 की कथाके रूपमें, स्काटलैण्डमें "दी सील वमन"४ के रूपमें प्रचलित है। जिप्सियोंकी लोक-कथामें "दी विण्ड मेइडन के रूपमें पहचानी जाती है । "कथा सरितसागर" में मरुभूतिकी कथा है। वह भी इसी आधार-बीजकी कथा है। भागवत पुराणमें कृष्ण गोपियोंके वस्त्रोंका हरण करते हैं। यह प्रसंग भी ऐसा ही है, जो यहाँ ध्यान देने योग्य है। इस प्रकारसे ऋग्वेदमेंसे उत्पन्न यह कथा भारतभूमिपर लिखे गये शतपथ ब्राह्मण, विष्णुपुराण, भागवतपुराण एवं अन्य पुराणोंमें विकसित हुई, इस पृथ्वीपर लालनपालन प्राप्त कर रहा है। यह पुराण-कथा बाद में पाश्चात्य देशोंमें भ्रमणार्थ निकलती है । ग्रीस की ठीक-ठीक पुराण कथाओं में यही आधारबीज मिलता है। श्री एन० एम० पेन्झरने इसका वर्णन विस्तारपूर्वक किया है । और अनुमान लगाते हैं कि यूरोपकी प्राचीन मूल लोककथामें "हंसकुमारी" के आधारबीजका लेशमात्र भी अनुमान नहीं मिलता है । वह कथा और उसका आधारबीज भारतवर्ष में से यूरोपीय देशोंमें आया है। इसी प्रकारसे ही यह पुराण कथा अफ्रीकाके और मध्य एशियाके देशोंमें प्रसरित हई है जो भारत पर किये गये यवन-आक्रमणोंके कारण ही ।२ यह पुराण कथा और इसका आधारबीज पूर्व देशोंमें भी घूमता हआ दृष्टिगोचर हो रहा है । जापानमें उर्वशी-पुरुरवाकी पुराण कथाने अपना नाम बदल लिया और वहाँ यह "हिकोहोहो-डेमी" के नामसे १. A Handbook of Greek mythology, by J. H. Rose, Pub. by Methuen University, paperback, London, 1964, p. 287. लोकसाहित्यविज्ञान, डॉ० सत्येन्द्र, प्रकाशक : शिवलाल अग्रवाल एण्ड कं० आगरा, प्रथमावृत्ति, पृ०२२२. २. The Dictionary of Folklore Mythology & Legends, vol. II, Maria Leach, p.1091. The Folk Tale, p. 88. 3. The Dictionary of tolklore Mythology & Legends, vol. II, p. 705. लोकसाहित्यविज्ञान, पृ० २२२ । 8. Folk-Tales from Scotland, by Philippa Gallomay, Pub. by Collins, London, reprint, 1945, p. 8. ५. The Gipsy Folk-Tales, by Dora B. Yeats, Pub. by Phonix House Ltd., London, ___1948 p. 56. ६. The Occen of Story, vol. VIII, p. 58. 214. ८. एजन, पृ० २१७ । ९. एजन, पृ० २२६ । १०. एजन, पृ० २२६ । ११. एजन, पृ० २२६ । १२. The Occen of Story, vol. VIII, p. 227. १३. The Dictionary of Folklore Mythology and Legends, vol. II, p. 705. विविध:३१७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012043
Book TitleAgarchand Nahta Abhinandan Granth Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDashrath Sharma
PublisherAgarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1977
Total Pages384
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size11 MB
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