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________________ तुलसीदासके रामचरित मानसकी भाँति घर-घरमें प्रचार और सम्मान रहा है। भक्ति कालके इस महान् कविने रामरासोको संरचना आदि कवि काल्मीकिकी रामायण, अध्यात्म रामायण और हनुमन्नाटककी कथा भूमिपर की है। राजस्थानके विद्वानोंमें कतिपय विद्वानोंने रामरासोकी पद्य संख्याकी गणना अलग-अलग प्रकट की है। माधवदासके जीवन सम्बन्धमें भी उनमें मतभेद है। श्री सीताराम लालसने माधवदास का स्वर्गवास सं० १६९० वि० माना है। लालसने महाराजा अजितसिंह जोधपुरके राजकवि द्वारिकादास दधवाडियाको माधवदासका पुत्र माना है। इस प्रकार उसको संततिके विषयमें अनेक तथ्यविपरीत असंगत मान्यताएं चल पड़ी हैं और माधवदासके जीवनके सम्बन्धमें भी आधार विरुद्ध प्रवाद फैले हुए हैं। माधवदासका निधन वि० सं० १६८० जेठ सूदि ८ मंगलवारको मुंगदड़ा ग्राममें हुआ था। घटना यह है कि उक्त संवत्में मेड़ताके शाही हाकिम अब्बू महमदने राजा भीमसिंह अमरावत सीसोदिया टोडाकी सहायता प्राप्त कर नीम्बोलाके धनाढ्य नन्दवाना ब्राह्मणोंपर आक्रमण कर उनको अतुलित सम्पत्ति लूट ली थी और उनके मुखियोंको बंदी बना लिया था। यह सूचना जैतारणमें ठाकुर किसनसिह और जैतारणके हाकिम राघवदास पंचोलीको मिली। तब किशनसिंह और राघवदासने अबू महमद का पीछा किया। और बलूदाके ठाकुर रामदाससे भी अपनी निजी सेना सहित शीघ्र उनके साथ आकर युद्ध में सम्मिलित होनेकी प्रार्थना की। ठाकुर रामदास अपने सरदारोंको साथ लेकर युद्धारंभ समयपर मूंगदड़ा जा पहुंचा। माधवदास भी ठाकुर रामदासके साथ था । जोधपुर और मेड़ताकी शाही सेनामें जमकर युद्ध हुआ। ठाकुर रामदास, माधवदास और कनोजिया भाट वरजांग प्रभृति अनेक वीर मारे गए। यह युद्ध महाराजा गजसिंहके शासन कालमें हआ था। अतः माधवदासका निधन संवत् १६९० मानना उचित नहीं है। बलूदामें माधवदासकी छत्रीके लेखमें भी निधन तिथि सं० १६८० ही अंकित है।४ द्वारिकादासको माधवदासका पुत्र बतलाना भी उचित नहीं है। माधवदासका देहावसान १६८० में हआ था और द्वारिकादासने संवत् १७७२में महाराजा 'अजित सिंहकी दवावत' नामक रचना की थी। द्वारिकादासने कहा है दवावेत द्वादस दुवा, तीन कवित दोय गाह । सतरे संवत बहोतरे, कवि द्वारे कहियाह । अतः द्वारिकादास १७७२ में विद्यमान था और माधवदासका १६८० में निधन हो गया था। दोनोंके मध्य ९२ वर्षका अन्तर स्पष्ट ही द्वारिकादासको माधवदासका पौत्र सिद्ध कर देता है । माधवदासके पिता चूडाको राठौड़ रतनसिंह रायमलोतने मेड़तावाटीका ग्राम जारोड़ो बणां शासनमें दिया था। नेणसीकी परगनोंकी विगतमें लिखा है-तफे राहण धधवाड़िया चूडा मांडणोत नुं । हिमे पं० सुन्दरदास मोहणदास माधोदासोतने विसनदास सांमदासोत छ ।५ उपरिलिखित प्रसंगसे दो तथ्य प्रकट होते हैं। पहला तो यह कि माधवदास और श्यामदास दो भाई थे। माधवदास ज्येष्ठ और श्यामदास लघु था। दूसरा यह कि माधवदासके सुन्दरदास १. राजस्थानी सबद कोस प्रस्तावना पृ० १४३ । २. वही , , , पृ० १५७ । ३. कूपावतोंका इतिहास पृ० २७१-२७२ । ४. श्री माधव प्रसाद सोनी शोध छात्रके संग्रहकी प्रतिलिपि । ५. मारवाड़ रा परगनां री विगत, सं० नारायणसिंह भाटी, भा० २ पृ० ११२ । २२६ : अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन-ग्रन्थ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012043
Book TitleAgarchand Nahta Abhinandan Granth Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDashrath Sharma
PublisherAgarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1977
Total Pages384
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size11 MB
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