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________________ अन्य लेखों में कूप बावडियोंके, तालाब आदिके वर्णन उल्लेखनीय । प्रतिहारकालकी बावडियाँ, ओसियाँ, मण्डोर आदिसे मिली हैं । मण्डोरकी बावडीसे ७वीं शताब्दीका शिलालेख भी मिला है ।" यह लेख सं० ७४२का है और ९ पंक्तियोंका है । सं० ७४१के नगरके शिलालेखमें वापी निर्माणका श्रेय भीनमालके कुशल शिल्पियोंको दिया गया है। चित्तौड़के वि० सं० ७७० के लेखमें भी इसी प्रकार मानसरोवर के निर्माणका उल्लेख किया गया है । कुवोंके लिए अरहट शब्दों का प्रयोग भी मिलता है । जगत गांवके अम्बिका माता के मन्दिर में सं० १०१७का लघु लेख मिला है । इसमें वापी कूप तडागादि निर्माणका उल्लेख मिलता है । अहडसे प्राप्त स १००१ के लेखमें गंगोद्भव कुण्डका उल्लेख है । १०९९ का पूर्णपालका बसंतगढ़का लेख है जिसमें बावडी बनानेका उल्लेख है । बिजोलियाके मन्दाकिनी कुण्ड, जहाजपुर के कुण्ड, गंगातटके कुण्डों, आबूके अचलेश्वरके कुण्डसे भी कई लेख मिले । ये स्थान बड़े धार्मिक माने जाते रहे हैं अतएव ये लेख इस दृष्टिसे बड़े महत्त्वपूर्ण हैं । मध्यकालमें कूप तडाग और बावड़ियोंके लेख असंख्य मिले हैं। मालदेव के लेखमें बावडी में होनेवाले व्यय का विस्तारसे उल्लेख है । उस कार्यमें काम आनेवाली सारी सामग्रीका भी जिक्र है । राज प्रशस्ति में इसी प्रकारका पूर्ण व्यौरा है । १. सरदार म्युजियम रिपोर्ट वर्ष १९३४ पृ० ५ । २. वरदा अक्टू० ६३ पृ० ५७ से ६३ । Jain Education International For Private & Personal Use Only इतिहास और पुरातत्त्व : १३३ www.jainelibrary.org
SR No.012043
Book TitleAgarchand Nahta Abhinandan Granth Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDashrath Sharma
PublisherAgarchand Nahta Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1977
Total Pages384
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size11 MB
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