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________________ हुई । तत्काल वे पर्वत की चोटी पर गये । उस समय उन्हें यह दिखाई दिया कि विशालकाय मंदिर राजकीय मूल्यों के निवास स्थान बने हुए हैं। तत्काल वे उनके समीप गये और नौकरों को उपदेश दिया। परन्तु जोधपुर नरेश की आज्ञा के बिना कुछ नहीं हो सकता था उन्होंने श्रावकवर्ग को इस स्थिति से परिचित किया और स्वयं ने कठिनतम वीर प्रतिज्ञा लेकर आन्दोलन किया। आठ महीने तक अविरल प्रयत्न करने पर मंदिर प्राप्त हुए। श्रीमद् ने संवत् १९३३ के माघ शुक्ला ७ रविवार को इन मंदिरों का उद्धार करवा कर प्रतिष्ठा की । (२) जावरा मरुधर से उत्कट विहार करके १७ दिन में श्रीमद् मध्य भारतस्थ जावरा पधारे। वहां श्री छोटमलजी पारख के बनवाये हुए द्विमंजिले मंदिर में श्री आदिनाथ भगवान आदि ३१ जिन प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की । (३) कुक्षी मालवस्थ धार जिले के कुक्षी नगर में श्री शांतिनाथ भगवान का प्राचीन मंदिर था। श्रीमद के समुपदेश से श्री संघना उसका जीर्णोद्धार करवाया और उसके चारों तरफ चौवीस देवकुलिकाएं बनवाई वि. सं. १९३५ के शुक्ला ७ को गुरुदेव ने महामहोत्सव सह श्री आदिनाथादि २१ प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा कर उनको उक्त मंदिर में स्थापित किया और सब शिखरों पर कलश और दण्ड ध्वजी चढ़वाये | (४) आहोर आहोर के दक्षिणोधान में आहोर भी संघ के बनवाये हुए जिनालय में संवत् १९३६ के माघ शुक्ला १० के दिन महोत्सव पूर्वक श्री गोडी पार्श्वनाथ प्रभु की प्राचीन प्रतिमा की प्रतिष्ठा की तथा शिखर पर कलश और दण्डध्वज समारोपित किये। (५) श्री मोहनखेड़ा राजगढ़ (जिला धार ) से एक मील दूर पश्चिम में श्री सिद्धाचल दिशिवंदनार्थ राजगढ़ निवासी संघवी शादलाजी लूणाजी प्राग्वाट ने श्रीमद् के सदुपदेश से सोधशिखरी जिनालय बनवाया था । उसमें वि. सं. १९४० के मार्गशीर्ष शुक्ला ७ के दिन आपश्री ने श्री आदिनाथ आदि ४१ जिन प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की और उनको जिनालय में प्रतिष्ठित किया तथा शिखर पर दण्डध्वज आरोपित किये। यहां श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज और श्रीमद् विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी महाराज का समाधि मंदिर भी है। (६) धामनदा धार जिले के धामनदा गांव में संवत् १९४० के फाल्गुन शुक्ला ३ के दिन श्रीमद् ने समारोहपूर्वक श्री ऋषभदेव भगवान और श्री सिद्धचक्र यंत्र की स्थापना की। ४० Jain Education International (७) दशाई धार जिले के दशाई गांव में संवत् १९४० के फाल्गुन शुक्ला ७ के दिन श्रीमद् ने श्री आदिनाथ आदि नौ प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा की और उनको मंदिर में विराजित किया तथा शिखर पर दण्डध्वज समारोपित करवाये । (८) शिवगंज शिवगंज (सिरोही) में विक्रम संवत् १९४५ के मा शुक्ला ५ के दिन दिनावधिक महामहोत्सव पूर्वक पोरवाल शा बन्नाजी मेघाजी के जिनालय के लिए और अन्य स्थानों के लिए श्री अजितनाथ आदि २५० जिन प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा की और दो चैत्यों की प्रतिष्ठा की तथा शिखरों पर दण्डध्वज स्थापित करवाये । (९) कुणी कुक्षी (धार) में विक्रम संवत् १९४७ के वैशाख शुक्ला ७ को चौबीस जिनालय समलंकृत श्री आदिनाथ चैत्य के लिए ७५ जिन प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा की और मंदिर में उनको प्रतिष्ठित किया तथा शिखरों पर दण्डध्वज समारोपित करवाये । (१०) तालनपुर तालनपुर ( मालवा ) तीर्थ में वि. सं. १९५० के माघ कृष्णा २ सोमवार को श्रीमद् ने भूमि निर्गत ५० जिन प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा और श्री पार्श्वनाथ चरणयुगल की प्राणप्रतिष्ठा की । (११) खटाली खाली (म. प्र. ) में वि. सं. १९५० के माघ शुक्ला २ सोमवार को श्रीमद ने तीन प्रतिमाजी की प्राणप्रतिष्ठा की ओर उनको मंदिर में स्थापित किया तथा शिखर पर दण्डध्वज स्थापित किये। (१२) रिंगनोद रिंगनोद (म. प्र. ) में वि. सं. १९५१ माघ शुक्ला ७ को श्रीमद् ने चन्द्रप्रभु आदि सात प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा की तथा उनको मंदिर में प्रतिष्ठित किया और शिखर पर दण्डध्वज समारोपित किये। (१३) झाबुआ झाबुआ (मालवा) में बावन जिनालयासंकृत जिनालय के लिये विक्रम संवत् १९५२ के माघ शुक्ला १५ को श्रीमद् ने २५१ जिन प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा की तथा उनको मंदिर में स्थापित किया और शिखरों पर दण्डध्वज समारोपित करवाये । इनमें से कई प्रतिमाएं मालवा के ग्राम-नगरों में विराजमान हैं । (१४) बडीकडोद बड़ी को जिला धार) में सेठ भी खेताजी वरदाजी के सुपुत्र श्री उदयचन्द्रजी के बनवाए हुए सोध शिखरी जिनालय के लिए वि. सं. १९५३ वशाख शुक्ला ७ गुरुवार को श्रीमद् ने महोत्सव राजेन्द्र- ज्योति For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012039
Book TitleRajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsinh Rathod
PublisherRajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
Publication Year1977
Total Pages638
LanguageHindi, Gujrati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size38 MB
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