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________________ श्री सौधर्म बृहदागच्छीय गुर्वावली शासनपति-श्री महावीरस्वामी १६. होलिका व्याख्यान इसमें लौकिक पर्व होलिका की उत्पत्ति की कथा दी गई है। १७. प्रभुस्तवन सुधाकर चैत्यवंदन, स्तवन, स्तुति, सज्झाय आदि का संग्रह इसमें किया गया है। सारा काव्य श्रीमद् ने ही रचा है। श्रीमद् के काव्य में अर्थगांभीर्य और आध्यात्मिक भाव पूर्ण रूप से विद्यमान है। १८. श्री सिद्धचक्र पूजा और श्री महावीर पंच कल्याणक पूजा श्रीमद् द्वारा रचित दो पूजाओं का यह संग्रह है। प्रसाद और माधुर्य गुण से ये पूजाएं युक्त हैं, इसमें रूपकादि अलंकार भी विद्यमान हैं और कहीं-कहीं वीर रस भी नजर आता है। १६. एक सौ आठ बोल का थोकड़ा इसमें मननीय एक सौ आठ बातें बताई गई हैं। २०. श्री राजेंद्र सूर्योदय श्रीमद् का संवत् १९६० का सूरत चातुर्मास विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा। इस चातुर्मास में चारथुई बालों से महत्त्वपूर्ण वार्ता हुई। यह ग्रंथ उस चातुर्मास की ऐतिहासिक स्मृति है। इसमें तमाम शंकाओं का शास्त्रादि के प्रमाणों से समाधान किया गया है। २१. कमलप्रभा-शुद्ध रहस्य स्थानकवासी साध्वी श्री पार्वती ने अपने सत्यार्थ चंद्रोदय ग्रंथ में श्रीमहानिशीथ सूत्रोक्त कमलप्रभाचार्य के बारे में जो असत्प्रलाप किया था उसका खंडन श्रीमद् ने उपरोक्त ग्रंथ लिख कर किया। १. श्री सुधर्म स्वामीजी २. श्री जम्वू स्वामीजी ३. श्री प्रभव स्वामीजी ४. श्री शय्यंभव सूरिजी ५. श्री यशोभद्र सूरिजी ६. श्री संभूति विजयजी श्री भद्रबाहु स्वामीजी ७. श्री स्थूलिभद्र सूरिजी ८. श्री आर्यमहागिरीजी श्री आर्य सुहस्ति सूरिजी ९. श्री सुस्थितसूरिजी श्री सुप्रतिबद्धसूरिजी १०. श्री इन्द्रदिन्न सूरिजी ११. श्री दिन्नसूरिजी १२. श्री सिंहगिरि सूरिजी १३. श्री वज्रस्वामीजी १४. श्री वज्रसेन सूरिजी १५ श्री चन्द्र सूरिजी १६. श्री सामंतभद्र सूरिजी १७. श्री वृद्धदेव सूरिजी १८. श्री प्रद्योतन सुरिजी १९. श्री मानदेव सूरिजी २०. श्री मानतुंग सूरिजी २१. श्री वीर सूरिजी २२. श्री जयदेव सूरिजी २३. श्री देवानन्द सूरिजी २४. श्री विक्रम सूरिजी २५. श्री नरसिंह सुरिजी २६. श्री समुद्र सूरिजी २७. श्री मानदेव मूरिजी २८. श्री विबुधप्रभ सूरिजी २९. श्री जयानन्द सूरिजी ३०. श्री रविप्रभ सूरिजी ३१. श्री यशोदेव सुरिजी ३२. श्री प्रद्युम्न सूरिजी ३३. श्री मानदेव सूरिजी ३४. श्री विमलचन्द्र सूरिजी ३५. श्री उद्योतन सूरिजी ३६. श्री सर्वदेव सूरिजी ३७. श्री देव सूरिजी ३८. श्री सर्वदेव सूरिजी ३९. श्री यशोभद्र सूरिजी श्री नेमिचन्द्र सूरिजी ४०. श्री मुनिचन्द्र सूरिजी ४१. श्री अजितदेव सूरिजी ४२. श्री विजयसिंह सूरिजी ४३. श्री सोमप्रभ सूरिजी श्री मणिरत्न सूरिजी ४४. श्री जगच्चन्द्र सूरिजी ४५. श्री देवेन्द्र सुरिजी श्री विद्यानन्द सूरिजी ४६. श्री धर्मघोष सूरिजी ४७. श्री सोमप्रभ सूरिजी ४८. श्री सोमतिलक सूरिजी ४९. श्री देवसुन्दर सूरिजी ५०. श्री सोमसुन्दर सूरिजी ५१. श्री मुनिसुन्दर सूरिजी ५२. श्री रत्नशेखर सूरिजी ५३. श्री लक्ष्मीसागर सूरिजी ५४. श्री सुमति साधु सूरिजी ५५. श्री हेमविमल सूरिजी ५६. श्री आनन्द विमल सूरिजी ५७. श्री विजयदान सूरिजी ५८. श्री हीरविजय सूरिजी ५९. श्री विजयसेन सूरिजी ६०. श्री विजयदेव सूरिजी ६१. श्री विजयसिंह सूरिजी ६२. श्री विजयप्रभ सूरिजी ६३. श्री विजयरत्न सूरिजी ६४. श्री वृद्धक्षमा सूरिजी ६५. श्री विजयदेवेन्द्र सूरिजी ६६. श्री विजयकल्याण सूरिजी ६७. श्री विजयप्रमोद सूरिजी ६८. श्री विजय राजेन्द्र सूरिजी ६९. श्री विजयधनचन्द्र सूरिजी ७०. श्री विजय भूपेन्द्र सूरिजी ७१. श्री विजय यतीन्द्र सूरिजी ७२. श्री विजय विद्याचन्द्र सूरिजी इस प्रकार थीमद् ने अपने ज्ञान के वितरण में किसी प्रकार की कंजूसो नहीं की। वे जितना दे सकते थे, देते ही गये। 'अभिधान राजेंद्र उनकी विश्वसंस्कृति को इतनी बड़ी देन है कि उसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। इस प्रकार जिस व्यक्ति ने अपने तपोनिष्ठ आचरण से शस्त्रागारों को शास्त्रागारों में बदला हो, संचार और यातायात की सुविधाएँ होते हुए भी जिसने अपनी चारित्रिक निर्मलताओं से अंधविश्वासों, अरक्षाओं, रूढ़ियों और अंधी परंपराओं में धंसी मानवता को पैदल घूम-घूम कर निर्मल और निष्कलंक बनाया हो, उसके प्रति यदि वंदना में हमारी अंजुलियां नहीं उठती और उसके जीवन से यदि हम प्रेरणा नहीं लेते तो न तो हमसे बड़ा कोई कृतघ्नी होगा और न कोई अभागा। श्रमण संस्कृति के उज्ज्वल और जीवन्त प्रतीक के रूप में सूरिजी ने विश्व संस्कृति को जो दिया है वह अविस्मरणीय है और अमूल्य भी। ऐसी विषपायी और अमृतवर्षिणी आत्मा को बार-बार प्रणाम। वी.नि.सं. २५०३ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012039
Book TitleRajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsinh Rathod
PublisherRajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
Publication Year1977
Total Pages638
LanguageHindi, Gujrati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size38 MB
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