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________________ कार्यक्रमों द्वारा परिषद् ने आशातीत सफलता भी प्राप्त की है। शाखा परिषद् की उन्नति के लिये गत वर्ष २५०/- रुपये का केन्द्रीय अनुदान भी प्राप्त हुआ था। वर्तमान में महिला एवं बालिका परिषद् का मुख्य ध्येय अपने कार्यक्रमों को उन्नति की ओर अग्रसर करने का व परिषद संगठन को मजबूत बनाने का है। इसके लिये कई नवीन योजनाएं बनाई जा रही हैं। ___ महिला परिषद् प्रति रविवार को गुरु भक्ति के लिये एकत्रित होती है। बालिका परिषद् की प्रशिक्षण कक्षा प्रति गुरुवार एवं रविवार को लगती है । परिषद् में आय महिलाओं की फीस द्वारा होती है । भविष्य में महिला परिषद कई सेवाकार्य प्रारम्भ करना चाहती है जैसे विधवाओं को सहायता देना, सिलाई स्कूल स्थापित करना, वाचनालय-पाठशाला आदि में सहायता करना आदि । रिंगनोद रतलाम जिले की जावरा तेहसील से १८ किलो मीटर दूर महू नीमच रोड़ से ८ किलो मीटर पूर्व में ग्राम रिंगनोद स्थित है। ग्राम अति प्राचीन है। जब यहां जैन धर्म काफी व्यापक था उस समय यहां पर पांच सौ जैनों के घर तथा ५ जिनालय तीर्थ थे परन्तु समय के साथ गांव की अवनति होने से धर्मावलम्बियों की संख्या काफी कम होती गई । वर्तमान में यहां २५ जैनों के घर तथा २ जिनालय तीर्थ हैं परन्तु उनकी अवस्था शोचनीय हैं। उनमें पार्श्वनाथ मन्दिर का निर्माण समय ७०० वर्ष पूर्व का है। यहां की प्रतिमाजी बड़ी चमत्कारी व मनोहर एवं दिन में तीन रूप बदलती है। सभी प्रतिमा संगमरमर की दिव्य तथा मन को लुभाने वाली हैं। भगवान पार्श्वनाथजी की प्रतिमा ९ मुखी शेष नागधारी है। जो पूरे देश में गिनी चनी है। दूसरा जिनालय-तीर्थ नेमिनाथ भगवान का है, मंवत् १९७२ में एक आश्चर्यजनक चमत्कार हुआ। भगवान नेमिनाथ तथा पांच अन्य स्वयं भू से प्रकट हुई। ये प्रतिमाएं ग्राम रिंगनोद में गांधी गली में नाई के ओटले से प्रकट हुई। सभी प्रतिमाएं संगमरमर की चमकदार आकर्षक तथा चमत्कारी हैं । ___ दिनांक १९-९-७४ के शुभ दिवस उत्साही नवयुवकों ने वर्तमान केन्द्रीय प्रतिनिधि श्रीमान् भीकमचन्दजी चौपड़ा की प्रेरणा से एकत्र होकर जैन नवयुवकों का एक संगठन श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक मण्डल के नाम से स्थापित किया। युवकों में उत्साह व उमंग थी व कार्य करने की प्रबल इच्छा थी। पवित्र भावना से संगठित होकर समाज सुधार व समाज में व्याप्त कुरीतियों व बुराइयों को दूर करने का लक्ष्य था। इस प्रकार समाज हित को ध्यान में रखकर जैन नवयुवकों का एक संगठन बनाया गया। उक्त नाम से कार्य दिनांक २५-८-७५ तक चला। इस कार्यकाल में जावरा निवासी श्रीमदनलालजी कर्नावट के सम्पर्क में आने पर जावरा मण्डल से सम्पर्क बना।। दिनांक १८-६-७५ को मण्डल के अध्यक्ष श्री सागरमलजी ललवानी व मंत्री श्रीमान सुरेन्द्र कुमारजी श्रीमाल मोहनखेड़ा तीर्थ में मंदिरजी की नींव के शुभ महर्त पर आचार्य श्री के दर्शनार्थ पहुंचे। श्रीमान मदनलालजी कर्नावट मुनिराज श्री जयन्त विजयजी 'मधुकर' से सम्पर्क करवाया गया। मुनिराज श्री से चर्चा करने पर अखिल भारतीय स्तर पर जैन संगठन का परिचय प्राप्त हुआ। मुनिराज श्री ने समस्त जानकारियां उपलब्ध करवाकर केन्द्र से सम्पर्क स्थापित करने की प्रेरणा दी। दिनांक ३०-८-७५ को उक्त मण्डल का नाम अ. भा. श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद शाखा रिंगनोद में नामांतरित हो गया। वर्तमान में परिषद की सदस्य संख्या ३०है। ___धार्मिक पाठशाला की स्थापना:-- परिषद के उद्देश्य जैन धर्म की शिक्षा के प्रसार की पूर्ति के लिए दिनांक ९-१०-७४ को श्री राजेन्द्र जैन पाठशाला की स्थापना की गई। दिनांक १४ अक्टूबर १९७४ को पाठशाला का शुभारम्भ किया गया। वर्तमान में पाठशाला में ४१ छात्र व छात्राएं अध्ययनरत हैं। छात्र-छात्राओं की परीक्षा प्रतिवर्ष श्री जैन तत्वज्ञान विद्यापीठ पूना द्वारा ली जाती है। १९७६ की प्रबोधिनी परीक्षा का परिणाम ९७ प्रतिशत रहा। पाठशाला संचालन में केंद्रीय परिषद् की ओर से प्रतिमाह ७५) रु. प्राप्त होते हैं। (२) महिला परिषद् की स्थापना:-दिनांक ७ नवम्बर १९७६ को केन्द्रीय महामंत्री श्री सी. बी. भगत के मालवा प्रवास के दौरान रिंगनोद आगमन पर श्री राजेन्द्र जैन महिला परिषद् की स्थापना की गई। (३) श्री राजेन्द्र जैन पौधधशाला का नवनिर्माण कार्य:स्थानीय पौषधशाला भवन पूज्य वर्तमानाचार्य श्रीमद् विद्याचन्द सूरीश्वरजी की आज्ञावर्ती साध्वीजी श्री उत्तमश्रीजी के सदुपदेश से चौपड़ा श्री जड़ावचन्दजी रतनलालजी के सुपुत्र श्री भीकमचन्दजी चौपड़ा तथा मुलीबाई ने धर्म ध्यान के लिये आषाढ़ शुक्ला ७ सम्वत् २०१५ को जैन समाज को समर्पित किया। उक्त भवन कच्चा मिट्टी का बना है। परिषद् के द्वारा इसके नव निर्माण का लक्ष्य बनाया गया है। इस ओर परिषद् द्वारा प्रयास करने पर श्री जेठमलजी रूणवाल जावरा निवासी के सहयोग से विद्युत व्यवस्था की गई । परिषद् द्वारा मुख्य हाल का फर्श तथा दीवालें पक्की बनाई गई। शेष कार्य के लिये प्रयास चल रहे हैं। अभी तक उक्त कार्य के लिये आर्थिक सहायता के रूप में ४५००/- रुपये का संग्रह मुनिराज श्री जयन्त विजयजी मधुकर के आशीर्वाद से हुआ। कुल निर्माण कार्य को अनुमानित लागत व्यय ५०,०००/- रुपया है । इस और दानदाताओं से सहयोग की अपेक्षा की है। (४) जिनालयों का जीर्णोद्धार करवाना:-श्री नेमीनाथ तीर्थ मंदिर में रंगाई का कार्य श्रीमान सुजानमलजी आंचलिया निवासी जावरा के सहयोग से करवाया गया। वर्तमान में श्री आनन्दजी कल्याणजी पेढ़ी अहमदाबाद से सम्पर्क चल रहा है। परिषद् के प्रयास से मंदिर के कुए पर विद्युत पम्प लगाया गया । (५) प्रचलित सामाजिक कुरीतियों को दूर करना:-दिनांक १९ जून १९७७ को मनिराज श्री जयन्तविजयजी 'मधुकर' के ५२ राजेन्द्र-ज्योति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012039
Book TitleRajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsinh Rathod
PublisherRajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
Publication Year1977
Total Pages638
LanguageHindi, Gujrati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size38 MB
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