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________________ आत्मशुद्धि गीत मंगल गीत वैरों को भूलकर मंत्री जगालो, आज हृदय में क्षमा बसालो ।। बड़े भाग्य से हमने मनु जन्म पाया फिर क्यूं मन में तू राज को लाया मिटाले दुर्गंध क्रोध और अभिमान की फैलादे सौरभ सभी ओर क्षमा की मनुष्य तो हैं हमें मानव बनालो आज हृदय में क्षमा बसालो ।। क्षमा लेकर सजाले निज आतम को क्षमा कर पा ले परमातम को वीर वही है जिसने इसे अपनाया प्रभु महावीर ने यही फरमाया "जीयो और जीने दो" की ज्योति जलादो आज हृदय में क्षमा बसालो ।। "राजेन्द्र ज्योति" के जगमग से, जग का कण-कण जगमगा उठे । हो त्रिविध ताप से मुक्त विश्व, ___शठता, जड़ता, संताप ढहे । यह ज्योति तिरोहित तमकरत जिसमें "जयन्त" सत सम्बल है वरदान "विजय" श्री से मंडित, मुनि का समष्टि देवी बल है। युग की विभूति राजेन्द्र सूरि, "अभिधान कोष” गौरव थाती साहित्योदधि का सुधा स्रोत, मानवता आंक नहीं पाती । अध्यात्म उफनता है जिससे दर्शन की दिव्य ज्योति न्यारी अंतस में जिसे उतार मनुज, बन सकता संयत सुविचारी । यह सुधर सलोनी सृष्टि बने, मानव प्रतिपल हो उपकारी, प्राणी-प्राणी की रक्षा रत, बस बदल जाय दुनिया सारी । सत-शील-अहिंसा सम्बल से, संसार समन्वय की गरिमा । शम-दम-व्रत-संयम मूर्त रूप, श्रद्धाभिभूत गुरुवर महिमा । गुरुवर सुस्वप्न साकार हुआ, राजेन्द्र नवयुवक परिषद से । जिसमें की प्राण प्रतिष्ठा है, मुनि “मधुकर" ने गौरव पद से । मुनिराज जयन्त विजयजी का लोकोपकार मंगलकारी ।। राजेन्द्र नवयुवक सुमनों से बस दमक उठे धरती सारी । प्रायश्चित के तप से कंचन बनेंगे मृदुता के जल से पावन बनेंगे खुशियों की हरियाली जमीं पर होगी हर दिल में सुख की कलियां खिलेंगी जीवन में प्यार का नीर बहालो । आज हृदय में क्षमा बसालो !! गुरु “राजेन्द्र' के चरणों की छाया मिली 'यतीन्द्र" को तब सही पथ पाया स्नेह के रंगों में खेलें आज होली भर दो क्षमा से "शलभ' की झोली प्यार के गहनों से तन मन सजा लो । आज हृदय में क्षमा बसालो ।। -महेन्द्र भण्डारी "शलभ" -डॉ. शोभनाथ पाठक राजेन्द्र-ज्योति Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012039
Book TitleRajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsinh Rathod
PublisherRajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
Publication Year1977
Total Pages638
LanguageHindi, Gujrati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size38 MB
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