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________________ शाही बाग, अहमदाबाद ता०२-८-७७ गत शताब्दी के ऐसे महान् प्रभावक जैनाचार्य के जन्म को डेढ़ सौ वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। इस निमित्त को लेकर अ. भा. श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् ने 'राजेन्द्र-ज्योति' नामक ग्रंथ प्रकाशित करने की योजना बनाई है, यह जानकर प्रसन्नता हई । मैं आपके इम कार्य की सफलता चाहता हूं। -श्रेणिक कस्तुर भाई निर्मल' थर्ड फ्लोअर नरिमान पाइण्ट बम्बई : ४०००११ ४ अगस्त, ७७ आपके पत्र से यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आचार्य श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी के १५० वें जन्म-दिवस के अवसर पर परिषद् द्वारा 'राजेन्द्र-ज्योति' ग्रंथ प्रकाशित कर रहे हैं । मैं इस प्रयास की सराहना करता हूँ और आशा करता हूँ कि ग्रंथ विविध शोधपूर्ण सामग्री से परिपूर्ण होगा। इस प्रकाशन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ। -श्रेयांसप्रसाद जैन बरार हाउस, २३९ अब्दुल रहमान स्ट्रीट, बम्बई, ४००००३. दिनांक ४-८-७७ युवक परिषद् पूज्य आचार्य श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज के जन्म-दिवस के उपलक्ष में ‘राजेन्द्र-ज्योति' ग्रंथ का प्रकाशन कर रही है-जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई। मैं अस्वस्थ हूँ। अतः रचना भेजना संभव नहीं है; किन्तु अपनी हार्दिक शुभकामनाएं भेज रहा हूँ। -शादोलाल जैन वी. नि.सं. २५०३ Jain Education Interational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012039
Book TitleRajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsinh Rathod
PublisherRajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
Publication Year1977
Total Pages638
LanguageHindi, Gujrati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size38 MB
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