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________________ ५. जैन धर्मशाला बैंगलोर अपना व्यावसायिक महत्व भी रखता है इसलिये यहां पर प्रतिदिन कई जैन व्यापारी भी आते रहते हैं । ऐसे यात्रियों की सुविधा के लिए मिट में दानवीर श्री कपूरचन्दजी राजम की आर्थिक सहायता से जैन धर्मशाला निर्माण की गई है। इस धर्मशाला में तीन दिन तक यात्री निःशुल्क निवास कर सकते हैं । ६. श्री आदिनाथ जैन श्वेताम्बर भोजनालय जैन भाइयों को शुद्ध सात्विक भोजन उपलब्ध हो तथा यात्रियों को भी भोजन की सुविधा उपलब्ध हो इस उद्देश्य से जैन भोजनशाला का निर्माण किया गया है। इस भोजन शाला के कारण मध्यम स्थिति के जैन बन्धुओं को उचित मूल्य पर पेटभर भोजन प्राप्त होता है । ७. श्री जैन तत्व प्रशिक्षण केन्द्र धर्माध्यापक और प्रभु परिचारक (पुजारी) तैयार करने के लिए संवत् २०३२ में इस प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना की गई है । २० वर्तमान में यहां दस प्रशिक्षणार्थी अध्ययन का लाभ उठा रहे हैं। इस संस्था में विद्यार्थियों के लिए भोजन निवास की व्यवस्था निःशुल्क की जाती है। उपरोक्त सभी संस्थाएं श्री आदिनाथ जैन श्वेताम्बर संघ की देखरेख में अपना काम कर रही हैं इनके अलावा निम्नलिखित संस्थाएं भी अपना काम बड़े उत्साह से कर रही है: ८. श्री आत्मकमल लब्धि लक्ष्मण सूरि जैन पुस्तकालय ९. श्री लब्धि सूरि जैन संगीत मण्डल १०. श्री लब्धि सूरि जैन महिला मण्डल ११. श्री राजेन्द्र सूरि जैन ज्ञान मंदिर १२. श्री राजेन्द्र सूरि जैन सेवामण्डल १३. श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद १४. श्री राजेन्द्र जैन संगीत और बैंड मण्डल आत्मकल्याणकारी सच्ची विद्वत्ता या विद्या वही कही जाती है, जिसमें विश्व प्रेम हो और विषय -पिपासा का अभाव हो तथा यथासम्भव धर्म का परिपालन हो और जीव को आत्मवत् समझने की बुद्धि हो । Jain Education International जिस सत्ता से लोगों का उपकार किया जाए, निःस्वार्थ पर अविचल रहकर लाँच नहीं ली जाए और नीतिपथ को कभी न छोड़ा जाए, वही सत्ता का सम्यक् और वास्तविक उपयोग है, नहीं तो सत्ता को केवल गर्दभभार या दुर्गति-पात्र समझना चाहिये । दूसरे प्राणियों को सुखी करना मनुष्य का महान् आनन्द है और उन्हें व्यथित करना अथवा उन दुःख-पीड़ितों की उपेक्षा करना महादु:ख है । For Private & Personal Use Only -राजेन्द्र रि राजेन्द्रज्योति www.jainelibrary.org
SR No.012039
Book TitleRajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsinh Rathod
PublisherRajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
Publication Year1977
Total Pages638
LanguageHindi, Gujrati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size38 MB
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