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________________ तीर्थ शताब्दी महोत्सव, हरजी, पादरली, रानीगांव, बलपुर, दिल्ली, दादा साहब अष्टम शताब्दी, बामवाडजी प्रतिष्ठा, अन्य प्रतिष्ठा उत्सवों, यात्रा संघ उपधान वत्त में मण्डल ने उल्लेखनीय सेवा की है । संस्था के अध्यक्ष हैं-श्री मूथा मिश्रीमलजी सूरजमलजी बाफना। धर्मशाला खारा कुआ के निकट एक धर्मशाला है जिसका निर्माण शाह मगनाजी जीवाजी गदेया के कुटुम्ब ने कराया। आचार्यत्व अलंकरण परमपूज्य गुरुदेव श्रीमद् राजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज को श्री पूज्य की उपाधि संवत् १९२४ में इसी नगर में दी गई, जिसका श्रेय प्राप्त है। __ आचार्य देव श्री यतीन्द्र सूरीश्वरजी महाराज को सं. १९९५, वैशाख शुक्ला १० को आचार्य पद से विभूषित किया गया। साथ ही मनिराज श्री गुलाबविजयजी को उपाध्याय पद से विभूषित किया गया। इसके अतिरिक्त अन्य दीक्षाएं इसी पावन भूमि पर संपन्न कवि इस पावन भूमि ने कवियों को जन्म दिया उनमें शाह लुम्बचंदजी, भूरमलजी शाह, मिश्रीमलजी, राजमलजी आदि उल्लेखनीय हैं। स्वर्गवास भूमि परमपूज्य आचार्य देव श्री भूपेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज सं. १९९२ में नश्वर देह त्यागकर स्वर्गवासी हुए उसी स्थल पर एक समाधि निर्मित है। इस स्थल पर गुरुवर की जीवंत प्रतिमा स्थापित है। इसके अतिरिक्त अनेक मुनिराज श्री के स्वर्गवास हुए उनका उल्लेख किया गया है। भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर एवं दादावाड़ी नगर के बाहर भीड भंजन पार्श्वनाथ जिनालय और दादावाड़ी स्थित हैं जिसका निर्माण शाह श्री कुन्दनमलजी, पूनमचन्दजी, हिम्मतमलजी, जेठाजी तलावत ने कराया और प्रतिष्ठा आचार्य देव श्री विद्याचन्द्रजी सूरीश्वर के कर कमलों से संपन्न हुई। सं. २०३० वैशाख शक्ला ५ । अन्य ग्रन्थ प्रकाशन श्री संघ द्वारा अर्द्धशताब्दी स्मारक ग्रंथ, कल्पसूत्र, बालावबोध का प्रकाशन शाह मिश्रीमलजी रतनाजी बाफना ने किया। “भगवान महावीर ने क्या कहा" ग्रन्थ का प्रकाशन संघवी कुन्दनमलजी भूताजी की ओर से किया गया। इसके अतिरिक्त अनेक स्वामी भाइयों ने साहित्य प्रकाशन हेतु विपुल धनराशि दान में दी है। आहोर का अन्यत्र प्रतिनिधित्व (१) मथा घेवरचन्दजी जेठमलजी बाफना श्री मोहनखेड़ा तीर्थ ... तथा श्री यतीन्द्र भवन पालीताणा के ट्रस्टी हैं। (२) फोला मूथा तेजराजजी ताराचन्दजी श्री राजेन्द्र जैन भवन . पालीताणा के ट्रस्टी हैं। (३) हुंडिया शाह एस. हस्तीमलजी श्री पार्श्वनाथ उम्मेद जैन गुरुकुल' के उपाध्यक्ष हैं। (४) मूथा शांतिलालजी बाफना स्वर्ण गिरि जैन तीर्थ दुर्ग जालोर के ट्रस्टी हैं। (५) मूथा घेवरचन्दजी हिम्मतलालजी तिलेसरा नागेश्वर जैन तीर्थ के ट्रस्टी हैं। (६) संघवी जुगराज के. जैन एवं श्री सी. बी. भगत क्रमश: अ.भा. श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद के केन्द्रीय उपाध्यक्ष एवं महामंत्री हैं। (७) संघवी छगनलाल कनीरामजी सौधर्म निवास पालीताणा के - ट्रस्टी हैं। (८) बी. टी. वजारत स्वर्णगिरि तीर्थ के ट्रस्टी हैं। संघ यात्राएं संवत् २००१ मनिराज श्री विद्याविजयजी के सान्निध्य में शाह हिम्मत लालजी ताराजी द्वारा माण्डवपुर संघ यात्रा सम्पन्न हुई। २०२२ आचार्य देव श्री विद्याचन्द्रसूरीश्वरजी के उपदेश से मूथा प्रतापमलजी नथमलजी द्वारा सम्मेद शिखरजी का बसों द्वारा यात्रा संघ निकाला गया। इस यात्रा संघ में ४०० यात्री थे तथा ३० दिन लगे। २०२९ शाह माणकचंद शेरूमल, लाभमल, दुलीचंदजी के द्वारा सम्मेदशिखरजी यात्रा संघ सम्पन्न हुआ। इस यात्रा में ६०० यात्री थे तथा ४० दिन लगे। २०२८ शाह सुखराजी माणकचंदजी ने बसों द्वारा पालीताणा यात्रा संघ निकाला। शाह चंदनमलजी भूताजी ने भदेश्वरजी का संघ निकाला। २०३१ शाह छगनराज, चम्पालाल, कनीरामजी तलावत ने पालीताणा' एवं शंखेश्वरजी को बसों द्वारा ४०० यात्रियों का यात्रा संघ निकाला। सं. १९८४ : आचार्य देव श्री भूपेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज के उपदेश से उपधान तप संपन्न हुआ । उपधान तप शाह रूपराज गोडीदास पोरवाल द्वारा हुआ। भूपेन्द्र सूरि साहित्य समिति भूपेन्द्र सूरि साहित्य समिति की स्थापना सं. १९९४ में हुई। इस समिति ने गच्छाचार पयन्ना, चन्द्रराज चरित्र, षट्दर्शन समुच्चय आदि ग्रंथों का प्रकाशन किया गया। प्रकाशन व्यवस्था मुथा उदयचन्दजी ओखाजो चौपड़ा के अधीन है। १६ राजेन्द्र-ज्योति Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012039
Book TitleRajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsinh Rathod
PublisherRajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
Publication Year1977
Total Pages638
LanguageHindi, Gujrati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size38 MB
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