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________________ (४) संवत् २००० में साध्वीजी श्री कंचनश्रीजी, श्री जिनश्रीजी, श्री लावण्यश्रीजी आदि का चातुर्मास सोल्लास सम्पन्न हुआ। (५) संवत् २०२८ में साध्वीजी श्री कुसुमश्रीजी, श्री कुमुदश्रीजी, श्री हर्षपूर्णाश्रीजी का चातुर्मास सानन्द सम्पन्न हुआ। ' (१) संवत् २०१६ में सम्मेदशिखरजी पावापुरीजी का संघ संघवीश्री केशरीमलजी, रूपचन्दजी, चांदमलजी पिता मोतीलालजी, श्री इन्दरमलजी, चांदमलजी एवं श्री हजारीमलजी नवलरामजी की तरफ से २ बस का। (२) संवत् २०१८ में श्री मोहनखेड़ा का संघ संघवी श्री केशरीमलजी, रूपचन्दजी, चांदमलजी, राजमलजी पिता मोतीलालजी एवं परिवार की तरफ से २ बस का निकला। (३) संवत् २०२५ में श्री महेश्वरजी सिद्धाचलजी का संघ संघवी श्री चुन्नीलालजी, मगनमलजी, अमृतलालजी की तरफ से एक बस का निकला। (४) संवत् २०२६ में श्री सिद्धाचलजी का 'ध' री पालक संघ मनिश्री शान्तिविजयजी म., मुनिश्री जयन्तविजयजी म. 'मधुकर,' मुनिश्री नित्यानन्द वि. के सान्निध्य में संघवी श्री केशरीमलजी, रूपचन्दजी, चांदमलजी, राजमलजी एवं परिवार की तरफ से निकला। (७) संवत् २०३२ में सम्मेदशिखरजी पावापुरीजी का संघ संघवी श्री इन्दरमलजी, संतोषीलालजी, जयन्तिलालजी की तरफ से दो बस का निकला। (८) संवत् २०३२ में सम्मेद शिखरजी पावापुरीजी का संघ संघवी श्री केशरीमलजी, रूपचन्दजी, चांदमलजी की तरफ से गंधवानी से दो बस का निकला। (९) संवत् २०३४ में भद्रेश्वरजी सिद्धाचलजी का संघ संघवी श्री कान्तीलालजी, अशोककुमारजी, दिनेशकुमारजी पिता हजारीमलजी की तरफ से दो बस का निकला। श्री वृहत शान्ति स्नात्र पूजन (१) संवत् २०१८ में विश्व शांति के लिये श्री बृहत् शान्ति स्नात्र पूजा श्रीसंघ की ओर से पढ़ाई गई। (२) संवत् २०२३ में ध्वजदण्ड महोत्सव के उपलक्ष में श्री वृहत् शान्ति स्नात्र पूजा श्री संघ की ओर से पढ़ाई गई। (३) संवत् २०२९ में श्रीमती चन्दरबाई के विशस्थानक तप के उजमणा निमित्त संघवी चुन्नीलालजी, मगनलालजी, अमृतलालजी की तरफ से श्री वृहत् शान्ति स्नात्र पूजा पढ़ाई गई। . समाज द्वारा संचालित संस्थाएं (१) श्री राजेन्द्र जैन बाल विद्या मन्दिर (प्राथमिक शाला) (२) श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद शाखा। (३) श्री विमल जैन संगीत मण्डल। श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद-अध्यक्ष- अशोक कुमार जैन, मंत्री- अमृतलाल एम. जैन। श्री राजेन्द्र जैन बाल विद्या मन्दिर-अध्यक्ष- श्री अमृतलाल सी. जैन, मंत्री-अमृतलाल एम. जैन । श्री विमल जैन संगीत मण्डल अध्यक्ष- श्री अमृतलाल एम. जैन, मंत्री-सुनिल जैन । (५) संवत् २०२५ में भदेश्वरजी सिद्धाचलजी का संघ संघवी चन्नीलालजी, केशरीमलजी की तरफ से एक बस का निकला । (६) संवत् २०३१ में कुलपाकजी सिद्धाचलजी का संघ संघवी श्री कनकचन्दजी, प्यारचन्दजी पिता रतनलालजी की तरफ से दो बस का निकला। वर्षा का जल सर्वत्र समान रूप से बरसता है, परन्तु उसका जल इक्षु-क्षेत्र में मधुर, समुद्र में खारा, नीम में कड़वा और गटर में गन्दा बन जाता है। इसी प्रकार शास्त्र-उपदेश परिणाम में सुन्दर है। जो मानव ऊँचे कुल में जन्म लेकर भी अपने आचार-विचार घृणित रखता है, वह नीच है; और जो अपना आचार-विचार सराहनीय रखता है, वह नीच कुलोत्पन्न होकर भी ऊँचा है। -राजेन्द्रसूरि राजेन्द्र-ज्योति Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012039
Book TitleRajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsinh Rathod
PublisherRajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
Publication Year1977
Total Pages638
LanguageHindi, Gujrati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size38 MB
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