SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आशीर्वचन एवं शुभकामना | ४५ 000000000000 ०००००००००००० भलेइ भूषण केवो जी को केवो जीकोइ छाजे है-ओ हा । पुज श्री एकलिंगदासजी महाराज साहेब साँत मुरती बाबो ने चमत्कारी ने गुदड़ी में गरक है। ओर पोंचीयोडा पुरुष हा । चेलारी सम्पदा पीण चोखी ही। मेवाड़ भूषण पूज श्री मोतीलाल जी महाराज ने तो वीयाएक बार मैं कुसालपुरा मारवाड़ में नीचो पडगयो खीयान रा मासटर के देवा तो की अणूंती बात नहीं। स्वामीजी सुणतां पाण करडो बीहार करने जैतारण देस दीसावरों में गणा घुमीया ने आपरो नाम आछो दीसुसाता पुछण ने पदार्या बठासं साथ में वीहार कर पायो। भारी खीमा मुनि श्री भारमलजी महाराज साहब चावंडीया आहार पाणी कर बठासु आथण रा वीहार भी अवलीया जोगी हा । सदा चेरा ऊपर खुसी छायोडी करने रामपुरा रे बारे पीआड में रातरया-भाया रेती। मीठी-मीठी वाणी री गँगा इज बेती ही जीकारा साथै हा । रात रो मौको हो। एक भाई वीरदीचंदजी ऐरा ऐरा बडेरा गियान-क्रिया में टणंका हुवा हा सो पछे रो सामायक में पेट दुखणो आयो तो एरो आयो के उणारा वंसज श्री अम्बालाल जी स्वामी पीण ऊपर लिखी कबूडा री नांई लूटण लागा। हाथ पग ठंडा पडग्याने या मुजब नीवडीया तो काई नवी बात है-उण अदभुत बेहोसी आवण लागी-शरीर में पसीनो छुटो तो योगीराज री पचासवाँ बरस री दीक्षा जयन्ती मेवाड़ इण भांत को छूटो के पुछे जीकोइ कपड़ो तर हो जावे वर्तमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ मनावण रो विचार मांये मांये भाया बातां करवा लागा के मामलो तो अबको कर रिया है। उण उपर मैं मारी तरफ सुं प्रेम री परहै-जरे एक मभूतो कुवार बोलीयो के सेठां ! थें केवोनी सादी भेजू हूँ ने हिरदय सं चाहूँ हूँ के स्वामी जी श्री के मारा माराज तो बड़ा करामाती है-पछे आ करामातकदी अम्बालालजी घणा बरस संयम में झजे ने जसरी जालां काम आवेला-राजी हो चाहे बेराजी हो-मने तो कागद भरे ने जिन मारग ने दीपावतां जयवन्त बरते । कोइज दीसीयो-ओ सुणतांई अम्बालालजी स्वामी भरडके देती मंगलीक सुणायी । जीसं एकदम पेट री पीडा मीट गई ने वीरदीचंदजी आपरे गाँव पगे पगे रवाने वेगीया- 0 राष्ट्रसंत उपाध्याय श्री अमर मुनि लोगों ने गणो अचंभो आयो ने कुंबारडो पीण पगाँ पडीयो [विश्रुत विद्वान, सिद्धहस्त लेखक, चिन्तक मनीषी] ने केवा लागो के बाबो परचो जबरो बतायो। दूजे दिन चंडावल पोंचीया तो १२ बजीयां अम्बालाल जी स्वामी श्री अम्बालाल जी महाराज का मेवाड़ के जन-जीवन कयो के माराज आजइज सोजत पदारो तो ठीक है, नहीं पर पर अद्भुत प्रभाव है । उनके प्रति जनता की बहुत गहरी तो अठे रुकणो पडेला । मैं कयो कियू सा? तो पाछो कयो के श्रद्धा है, भावना है और वह उनके द्वारा प्रदर्शित मार्ग पर बरसाद जोरदार होवण वाली है और नदीयाँ नाला आवे चलने को प्रयत्नशील है। मुनि श्री जी ने मेवाड़ की भोली माली जनता को वर्षों के दीर्घ प्रयत्न से अंधविश्वासों जेरो परसंग है-जरा उठा सुं बीहार कर दोरा सोरा और अशिक्षा के कुहरे से मुक्त किया है, उसमें धार्मिक सोजत पोंच गया ने घन्टा भर सुं बरसाद भी सुरू हो गई। चेतना के नये स्वर के हैं, नये विचार और नये संकल्पों तीन दिन थोड़ी गणी बरसती ईज रई। ताल तलीया की शभ धारा बहाने में अथक प्रयत्न किये हैं-यह जानकर मरीज गया ने नदी नाला भी आ गया । इण दो बातांसु मालम पड़ी के ओ गुपत तपस्वी है ने माल छाने भेलो करे किसे प्रसन्नता नहीं होगी। उनका कर्तृत्व मेवाड़-जागरण __ का साक्षीभूत है। है आगे भी मेवाडी सम्परदाय में पुज श्री मानमलजी महाराज काकराभूत तपस्वी ने वचनसिद्धी ही-राज उनकी दीक्षा के ५० वर्ष की सम्पन्नता पर श्रद्धालु राणा सारा संको मानता ने जगां जगां वांने जाणता हा और जनता उनकी साधना, सरलता और उनकी तपस्या का सारी मेवाड़ में वांरो डंको बाजतो हो-वीणांरा चेला श्री अभिनन्दन कर भगवान महावीर की सत्य-दृष्टि का अनुबालकृष्ण मुनिजी अणुता पडीयोड़ा हा ने वखाण भी नामी गमन और अनुमोदन कर रही है। महावीर के समतागीरामी हो, फेरू कवीवर्य श्री रीखबदासजी महाराज भी प्रधान धर्म की गरिमा में चार चाँद लगा रही है। मैं तपोकविता करण में भी कमी राखीनी। वारा बणायोड़ा गणा धन श्री का अभिनन्दन कर हृदय की असीम मंगल सारा ग्रन्थ मौजूद है-महा भदरीक पुरुष ने चमतकारी कामनाएँ संप्रेषित करता हूँ। IPAT - - .... VOINMAIMIMAMIRMIRAMCE __Jala ra-..'.NSBSPAAACH
SR No.012038
Book TitleAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamuni
PublisherAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages678
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy