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________________ उद्घाटन कर्ता 000000000000 000000000000 श्रीयुत शिवचरण जी माथुर खाद्यमंत्री, (राजस्थान) का उद्घाटन भाषण पतला S RETRIERED কচ্ছবি उपस्थित पूज्य मुनिराज, सज्जनो और देवियों ! आज का दिन भीलवाड़ा के कोशीथल ग्राम के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। यह सारे जैन समाज का ही नहीं सारी जनता का सौभाग्य है कि आज ऐसे पवित्र कार्य के लिए यहाँ आप और हम एकत्रित हुए हैं । stories हम एक महान् संत श्री अम्बालाल जी महाराज की तपस्या के पचास वर्ष पूरे होने पर उनकी तपस्या की। स्वर्ण जयन्ति मनाने के लिए यहाँ एकत्रित हुए हैं। वैसे किसी व्यक्ति की उम्र अगर बढ़ती है तो एक तरह से ऐसा माना जाता है कि उसकी शक्ति का ह्रास होता है, लेकिन यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में त्याग, तपस्या और बलिदान के आधार पर समाज में पूज्यनीय होता है तो मैं समझता हूँ कि जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग है। पचास वर्ष निरन्तर तपस्या के एकनिष्ठ साधना के किसी व्यक्ति के जीवन में हो तो अपने आप में महत्त्वपूर्ण उपलब्धि कही जा सकती है। और जैन समुदाय के जो सन्त हैं, उनमें साधना और तपस्या को बड़ा महत्त्व दिया गया है । अनेकों बार इन सन्तों के दर्शन करने का सौभाग्य मुझे मिला और मैंने इस बात को पाया कि जीवन के उच्च आदर्श स्थापित करते हुए समाज को प्रभावित करने का जो उच्च आदर्श हमारे सन्त परम्परा के लोगों ने इस देश में स्थापित किया है, यह सबसे महत्त्वपूर्ण बात है। आज कोई राजनैतिक नेता या सामाजिक नेता समाज-सुधार या परिवर्तन की कोई बात कहता है तो, वह अच्छा समझा जाता है, किन्तु एक ऐसा व्यक्ति जिसको अपना कोई मोह नहीं हो, समाज के हित के लिए कुछ कहे तो उसका बड़ा व्यापक महत्त्व होता है । मैं इस बात को महसूस करता हूँ कि समाज के उत्थान के बारे में हमारे सन्त कोई भी बात कहें, छोटी या बड़ी, उसका समाज में बड़ा व्यापक असर पड़ता है । हमारा देश जिसने हमेशा संस्कृति के मामले में धर्म के आचरण के मामले में, व्यक्तिगत आचरण के मामले में न केवल देश के रहने वालों को बल्कि संसार को एक मार्ग-दर्शन किया है। जब-जब भी संसार के लोग भटकते हैं, अपनी राह से रास्ता भूलते है उस समय सभी लोग हिन्दुस्तान की ओर देखते हैं। हमारे जीवन-दर्शन में सम्यक्जीवन, सम्यक्वाणी और सम्यक्चारित्र को बड़ा महत्त्व दिया गया है । RWS PARN - വിക്കിയി wwwjanglibrary.co S.BArt./
SR No.012038
Book TitleAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamuni
PublisherAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages678
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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