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________________ 000000000000 * 000000000000 40000000EC ६ | पूज्य प्रवर्तक श्री अम्बालाल जी महाराज - अभिनन्दन ग्रन्थ : परिशिष्ट विशेष अतिथियों का आगमन स्थानीय बालिकाओं ने परमेष्ठी गान का लयात्मक समुच्चारण करते हुए कार्यक्रम की मंगल स्थापना की । प्रस्तुत मंगल उपक्रम का संयोजन अध्यापक श्री गणपतलाल जी कर रहे थे । मंगलाचरण के तुरन्त बाद समागत विशेष अतिथि श्रीमान् चांदमल जी लोढ़ा जस्टिस राजस्थान हाईकोर्ट, श्रीमान् शिवचरण जी माथुर, खाद्यमंत्री राजस्थान; श्रीमान् हीरालाल जी देपुरा विद्युतमंत्री राजस्थान श्रीमान् जसवन्तसिंह जी नाहर " नाहर साहब" का स्वागत मन्त्री और समारोह समिति के मन्त्री ने माला पहना कर हार्दिक स्वागत किया । सभी सम्मानित अतिथि विशेष मंच पर समारूढ़ थे । पूज्य मुनिराज पट्टाभिरूढ़ तथा महासती वृन्द शाला के विशाल बरामदे में विराजमान थी सामने लगभग तीस हजार जनता से खचाखच भरा हुआ पांडाल जन समुद्र-सा लग रहा था और रंग-बिरंगी साड़िया और पगड़ियाँ इन्द्र धनुषी तरंगों को चरितार्थ कर रही थीं । यह एक विराट् और भव्य समायोजन था अद्भुत नजारा था । जिसने देखा धन्य हो गया । मेवाड़ की धरती पर यह दृश्य अभूतपूर्व था, आनन्द उमंग और उत्साह से भरा हुआ वह दृश्य ऐसा था कि जिसने भी देखा देखता ही रहा। उद्घाटन श्रीयुत् शिवचरण जी माथुर ने विधिवत् उद्घाटन करते हुए इस अवसर का लाभ मिलना अपने आपके लिए अमूल्य बताया (शिवचरण जी माथुर का वक्तव्य आगे उद्धृत है) । अभिनन्दन वक्तव्यों की श्रृंखला दो घन्टे तक चली । इस बीच पूज्य मरुधरकेसरी जी महाराज पं० प्रवर श्री कन्हैया मुनि जी कमल, पं० प्रवर श्री मूल मुनि जी महाराज, श्री सौभाग्य मुनि जी कुमुद, श्री मदन मुनि जी 'पथिक' ने अपने भाव पूर्ण वक्तव्य प्रस्तुत किये । श्री सुकन मुनि जी ने मधुर गीतिका से अभिनन्दन किया श्री रूप मुनिजी रजत ने भी भाव पूर्ण ओजस्वी वक्तव्य दिया । इन सभी मुनिराजों के वक्तव्य आगे प्रकाशित हैं। श्रावक समुदाय में से श्री चिम्मनसिंह जी लोढा ने बड़े ओजस्वी शब्दों में गुरुदेव का अभिनन्दन करते हुए समाज सुधार के लिए प्रेरणा प्रदान की । श्री हस्तिमल जी मुणोत ने भावाभिनन्दन प्रस्तुत किया | कविवर्य श्री जीतमल जी चोपड़ा ने अपनी शानदार कविता द्वारा अनोखा समां बांध दिया। इनकी काव्याञ्जली बड़ी प्रभावोत्पादक रही। श्री मदनजी तातेड़ ने मेवाड़ी भाषा में श्रद्धार्पण किया । विशेष अतिथि श्री देपुराजी ने अपने प्रभावशाली वक्तव्य में अभिनन्दन करते हुए कहा कि बिना ही कानून समाज को दिशा बदलना चाहिए । ग्रन्थ- समर्पण हजारों व्यक्ति जिस कार्यक्रम की प्रतीक्षा में थे, वह कार्यक्रम था ग्रंथ समर्पण | ग्रन्थ विमोचन के पूर्व प्रबन्ध संपादक श्री श्रीचन्द्र सुराणा 'सरस' ने ग्रन्थ का बाह्य और अन्तरंग परिचय दिया । सेमा निवासी श्रीमान् गहरीलाल जी कोठारी ने ग्रन्थ विमोचन किया और साथ ही, उदयपुर में स्थापित होने वाले शोध संस्थान हेतु पाँच हजार एक रु० की घोषणा की। श्रीमान् चांदमल जी लोढा ने बड़े भावोद्रक के साथ ग्रन्थ पूज्य गुरुदेव श्री को समर्पित किया । ग्रन्थ समर्पण के बाद श्रीमान् लोढा जी ने अपने भावपूर्ण वक्तव्य में पूज्य गुरुदेव श्री के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए सामाजिक परिवर्तन के लिए जोरदार आग्रह किया । अन्त में ग्रन्थ समर्पण को स्वीकार करते हुए पूज्य गुरुदेव श्री ने मेवाड़ी भाषा में संक्षिप्त किन्तु प्रेरक वक्तव्य दिया । मुनि गण और महासती वर्ग की तरफ से पूज्य प्रवर्तक श्री मरुधर केसरी जी महाराज ने पूज्यश्री अम्बालाल जी म० को अभिनन्दन चद्दर औढ़ाई गई । एट्रय ए For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012038
Book TitleAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamuni
PublisherAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages678
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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