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________________ पूज्य श्री मानजी स्वामी विरचित पूज्य श्री नृसिंहदासजी महाराज के गुण | ५५३ लावा मांहे दोय चोमासो कीधजी देवगढ़ मांहे एक प्रसिद्ध । हे रायपुर मांहे दोय वखाणिये हे | हाँ ॥४॥ कोटा मांहे चोमासो कियो एक जी भीलोड़ा मांहे पण दोय । हे चित्तौड़ में चोमासो कियो मन रलिये हे | हाँ ||५|| ए चोमासा हुआ सेत्रीसजी कीधा आप आण जगीस। हे मन रा मनोरथ सहु फली हे । हाँ ||६|| चउथी ढाल कही छे हे गुणकारी देही रसाल जी भव्यक जन लहे अलाद । करी सली हे । हां ॥७॥ दोहा दियो कर्मचूर प्रधान । तपस्या भारी घणी बायां लीधी मान ॥ बाया भाया ने तप या ढाल - नक छोल्यां नींबू भावे ॥ ए देशी ॥ धर्म चोमास । करण री आस । हो सुण स्वामी ॥१॥ सेर उदियापुर पधारिया रे कीदो धर्मध्यान निपजावियो रे विहार वास हो । सु०॥२॥ चउथ भक्त अणसण कियो रे आणी मन उल्लास । फागुण कृष्णा अष्टमी रे सुरलोक में सुरगलोक में विराजिया रे नाटक ना धुंकार । देवता देवी अति घणारे कर जोड़ी तुरत तैयार हो । सु०॥३॥ एक मोरत नाटक मांहे रे वरस निकले दोय हजार । सुख संजोग विलसे घणां रे पुण्य तणां परकार हो । सु०॥४॥ अष्टादस निव्यासिए रे वसंत फागण मास । कृष्ण चतुर्दशी रिष मानमल कहे रे वदे थारी आस हो । सु०॥५॥ चन्द्रवार सुहावणो रे जोड़ करी प्रकास । शेहर उदियापुर में कही रे नर-नारी हुआ उल्लास हो । सु०॥६॥ ॥ संपूर्ण ॥ 000000000000 000000000000
SR No.012038
Book TitleAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamuni
PublisherAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages678
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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