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________________ 000000000000 PRABO * 000000000000 0000000000 ४८४ | पूज्य प्रवर्तक श्री अम्बालालजी महाराज — अभिनन्दन ग्रन्थ समणे भगवं महावीरे वासाणं सवीसई राएमासे वइक्कते सत्तरिएहि राइदिहेहि सेसेहि वासावासे पज्जोस हेई (क) समवायांग सूत्र १७०वां समवाय (ख) कल्पसूत्र समाचारी १० तत्थणं बहवे भवणवई संवच्छरीयंसु विहरति, जीवाभिगम (संवत्सरी पर्व : आत्मारामजी म. सा. ) ११ निशीथ चूर्णि उ. १०, भाग ३, पृ० १३१ - करणिया चत्थी अज्ज कालगायरिएण पवत्तिया । ह १२ पज्जोसवणाए न पज्जोसवेइ, निशीथ सूत्र उद्दे० १० १३ पज्जोसवणाए गोलोमाइंपि बालाई उवाइणावेई, निशीथ ४४ १४ पज्जोसवणाए इत्तिरियंपि आहारं आहारेई, निशीथ उद्दे १०-४५ १५ जेणं निग्गंथो निग्गन्थी वा परं पज्जोवणासी अहिगरणं वमई सेणं निज्जूहियब्बेसिया । १६ निशीथ उ० १०-३१८०-८१ कल्पसूत्र २३वीं समाचारी १७ समणे भगवं महावीरे अन्तिमराइयंसि पणपन्न अज्झयणाईं कल्लाण फल विवागाई, पणपन्ने अज्झयणाई पाव फल विवागाई वागरिता सिद्धे जाव सव्व दुवखप्पहीणे । समवाय ५५, सूत्र ४, कल्पसूत्र, सूत्र १४६ १८ कल्पसूत्र, सूत्र १४६ १६ सिरि महावीर चरियं, पृ० ३३७ २० कल्पसूत्र १२३वां सूत्र २१ कल्पसूत्र, सूत्र १२७ ( गते से भावुज्जोये दव्युज्जोयं करिस्सामो) २२ कल्पसूत्र, सूत्र १२४ २३ अमर भारती, महावीर परिनिर्वाण विशेषांक, पृ० ४५ २४ दिगम्बरदास जैन, वीर परिनिर्वाण, अमर भारती, आगरा । २५ जं रयणि च णं समणे भगवं महावीरे काल गए जाव सव्व दुबख पहीणे तं स्यणि च णं जेट्ठस्स गोयमस्स इंदभुइस्स ... केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्न । – कल्पसूत्र, १२७ सूत्र २६ कल्प सुबोधिका टीका २७ वही २८ जैन व्रतकथा संग्रह, मोहनलाल जैन शास्त्री, जबलपुर । २६ सभी पुस्तकों में कथा साम्य पाया गया १ श्रीपाल चरित्र, मरुधर केशरी मिश्रीमल जी म० सा० २ श्रीपाल चरित्र, काशीनाथ जैन, बम्बोरा ३ श्रीपाल चरित्र, जैन दिवाकर चौथमल जी म० सा० ४ पर्वकथा संचय, मुनि देवेन्द्रविजय । AFFRO For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.012038
Book TitleAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamuni
PublisherAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages678
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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