SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - श्री सौभाग्य मुनि 'कुमुद' [ कवि, लेखक एवं राजस्थान के प्रभावशाली विद्वान संत ] 000000000000 ०००००००००००० अभिनन्दनीय वृत्त [प्रवर्तक श्री अम्बालाल जी महाराज की गरिमा मंडित जीवनरेखा] 0 VIBRAR Jimind PATRA .. .. JITY KRE जीवन की आन्तरिक गहराई में जाना समुद्र के अन्तराल में प्रवेश करने के समान है । समुद्र की थाह पाना कठिन है, ऐसे ही किसी जीवन को सम्पूर्ण रूप से परख पाना कठिन ही नहीं, लगभग असम्भव है। अनेकानेक छोटी-बड़ी घटनाओं, कदाचित् परस्पर विरोधी उपक्रमों से निर्मित जीवन वस्तुत: एक पहेली है । उसे समझ पाना अपने आप में एक पेचीदा कार्य है और वह भी एक ऐसे व्यक्ति के लिये बड़ा कठिन है जो उस आलोच्य जीवन के प्रति नितान्त स्नेहास्पद हो । एक शिष्य गुरु के जीवन को ईमानदारी पूर्वक अंकित कर सके, इसमें प्रायः सन्देह रहता है। किन्तु शिष्य यदि अपनी शिष्यत्व की भूमिका से हटकर तटस्थ सत्ता के परिप्रेक्ष्य में गुरु को देखने का यत्न करे तो इसमें कोई सन्देह नहीं कि सैकड़ों अन्य लेखकों की अपेक्षा वह गुरु को अधिक अच्छी तरह स्पष्ट पा सकता है। मैं अपनी इस दूसरी सत्ता को अच्छी तरह समझने में प्रयत्नरत हूँ किन्तु साफल्य कितना पा सकूँगा, यह अभी कहने की स्थिति में नहीं हूँ । गरिमा मय मेवाड़ विश्व के अनेक देश भारत के प्रति असूयाग्रस्त हैं । इसका कारण मात्र प्रवर्तमान राजनैतिक परिस्थितियाँ ही नहीं हैं, भारत की भौगोलिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक उपलब्धियाँ ही इतनी विविध, विशाल तथा गौरवास्पद हैं कि इसके प्रति कोई सहिष्णु रह पाए तो सचमुच आश्चर्य होगा । एक तरफ हिमाच्छादित विस्तृत उत्तुंग शिखरावली तो दूसरी ओर असीम जल-राशि का उमड़ता सैलाब । इन दोनों के मध्य नदियों, नगरों, मैदानों, वनों व पहाड़ों-पर्वतमालाओं, लहलहाते खेतों आदि विविधताओं से परिपूर्ण यह भारतवर्ष देवताओं को भी अपने बीच खींच ले तो क्या आश्चर्य ! सचमुच भारत अपने आप में सुन्दर सुहावना एवं परिपूर्ण व्यवस्थित भूखण्ड है, जिसकी तुलना किसी अन्य स्थान से केवल आंशिक रूप से ही हो सकती है, सम्पूर्ण तया नहीं। राजस्थान भारत का कलेजा है। भारत जो है, उसको सबसे अधिक बनाने का श्रेय राजस्थान को है। राजस्थान की मिट्टी में एक तेज दमकता है, जो दिल्ली के सिंहासन को नई आमा दे सकता है, राष्ट्र के लिये न्यौछावर हो सकता है, धर्म राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा में प्राणपण से जुट सकता है। - मेवाड़ राजस्थान के ही एक प्रदेश का नाम है । उदयपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़ इन तीन मण्डलों में अधिकतर मेवाड़ का हिस्सा आ जाता है। स्वतन्त्रता से पूर्व मेवाड़ की अपनी अलग राज्यसत्ता थी। संस्कृति, भाषा, पहनावा, सिक्का, पैमाना, नाप-तौल आदि इसके अपने थे। यहाँ बहुत पहले से गहलोत वंशीय वीर क्षत्रियों का राज्य चला आ रहा था, जो अपने गौरव में भारत के सभी क्षत्रियों में सर्वदा श्रेष्ठ रहे हैं। यहाँ के शासक महाराणा कहलाते थे। महाराणा अपनी आन-बान-शान के पक्के, दिलेर और जबरदस्त लड़ाका होते थे। ..... al -- 4.SExamAE/
SR No.012038
Book TitleAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamuni
PublisherAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages678
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy