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________________ मेवाड़ को लोकसंस्कृति में धार्मिकता के स्वर | ६५ के उस पौराणिक धार्मिक आख्यान पर संघटित है जिसमें भस्मासुर अपनी तपस्या द्वारा शिवजी से भस्मी कड़ा प्राप्तकर शिवजी को ही भस्म करना चाहता है तब विष्णु मोहिनी का रूप धारण कर स्वयं भस्मासुर को ही भस्मीभूत कर देते हैं । गवरी का नायक बूड़िया इसी भस्मासुर और शिव का संयुक्त रूप है और दो राइयां शिवजी की दो पत्नियाँ शक्ति और पार्वती है। गवरी की यही कथा श्रीमद् भागवत के दशम स्कंध में भी थोड़े भिन्न रूप में देखने को मिलती है, गवरी के सारे पात्र शिवजी के गण के रूप में हैं। धार्मिकता से ओतप्रोत आदिवासियों का ऐसा नाट्यरूप विश्व में अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलता। 000000000000 ०००००००००००० SAREEWANA Urmy AMLILAN .. .... DITOTTOM EARN उन्नसवीं शताब्दी में तुर्रा-कलंगी के रूप में शिव-शक्ति की प्रतीक एक मान्यधारा की लहर इधर बड़ी वेग रूप में चली । अलग-अलग स्थानों में इसके अखाड़े स्थापित हुए और इनके मानने वाले आपस में लोक छन्दों की विविध गायकियों एवं विषयों को लेकर प्रतिस्पर्धा की होड़ में अपने-अपने दंगलों में उतर आये । हार-जीत की इस भावना ने एक नई चेतना को उभारा। दोनों पक्ष पुराणों, उपनिषदों, वेद-वेदान्तों, कुरान की आयतों से अनेकानेक उदाहरण लेकर एक छन्द-विषय में शास्त्रार्थ पर अड़ जाते, घन्टों बहसबाजी होती, सवाल-जबाव होते और हार-जीत की होड़ा-होड़ी में कई दिन सप्ताह तक ये बैठकें चलती रहतीं, यही बैठकी दंगल आगे जाकर तुर्रा कलंगी के ख्यालों के रूप में परिणत हुआ। लावणीबाजी के ये ख्याल लोक जीवन में इतने लोकप्रिय हुये कि इन्हीं की लावणी-तों पर अनेक धार्मिक ख्यालों की रचनाएँ होनी प्रारम्भ हुई । साधु-संतों ने भी इन लोक छन्दों-धुनों को अपना कर धार्मिक चरित्र-व्याख्यान लिखे जिनका वाचन-अध्ययन धर्मस्थानों में बड़ा प्रशंसित और असरकारी रहा । प्रसिद्ध वक्ता मुनि श्री चौथमलजी ने मात्र, ख्याल, काजलियों, धूंसो, जला, कांगसिया, तरकारी लेलो जैसी अति चचित-प्रतिष्ठित धुनों में हँस-वच्छ-चरित्र जैसी कृतियाँ लिखकर धार्मिकता के स्वरों को जो गहन-सौन्दर्य और जनास्था प्रदान की उसका असर आज भी यहाँ के जन-जीवन में गहराया हुआ है । इनकी देखादेख मुनि श्री नाथूलाल जी, रामलाल जी ने भी चन्द चरित्रादि लिखकर इस धार्मिक बेल को आगे बढ़ाने में भारी योग दिया। गन्धर्व लोग धर्मस्थानों में अपने धार्मिक ख्यालों को प्रदर्शित कर धार्मिक संस्कारों को जमाने-जगाने का महत्त्वपूर्ण प्रयास करते हैं । पर्युषणों में जहाँ-जहाँ जैनियों की बस्ती होती हैं वहाँ इनका पड़ाव रहता है, जैनियों के अलावा ये कहीं नहीं जाते । ये लोग सात्विक तथा व्रत नियम के बड़े पक्के होते हैं । इनके ख्यालों में मुख्यतः श्रीपाल-मैना सुन्दरी, सुर-सुन्दरी, चन्दनबाला, सौमासती, अन्जना, सत्यवान-सावित्री, राजा हरिश्चन्द्र जैसे धार्मिक, शिक्षाप्रद ख्याल मुख्य हैं । इन ख्यालों के माध्यम से जन-जीवन में धार्मिक शिक्षण का व्यापक प्रचार-प्रसार होता देखा गया है। रामलीला-रासलीलाओं के भी इधर कई शौकिया दल हैं जो अपने प्रदर्शनों से गाँवों की जनता में राम-कृष्ण का जीवन-सन्देश देकर स्वस्थ धर्मजीवन को जागृत करते हैं, आश्विन में त्रयोदशी से पूर्णिमा तक घो-सुडा में सनकादिकों की लीलाएँ प्रदर्शित की जाती हैं । कार्तिक शुक्ला पूर्णिमा को बसी में गणेश, ब्रह्मा, कालिका, काला-गोरा तथा नृसिंहावतार की धार्मिक झांकियां निकाली जाती हैं । नवरात्रा में रावल लोग देवी के सम्मुख खेड़ा नचाकर उसका स्वाँग प्रस्तुत करते हैं । मील लोग भी इसी प्रकार माता के सम्मुख कालका व हठिया का स्वाँग लाते हैं । रासलीला की ही तरह रासधारी नामक ख्याल रूपों में भगवान राम का सीताहरण का दृश्य अभिनीत किया जाता है, इसे प्रारम्भ करने का श्रेय मेवाड़ के बरोड़िया गांव के श्री मोतीलाल ब्राह्मण को हैं । यह अच्छा खिलाड़ी एवं ख्याल लेखक था । इसके रचे रामलीला, चन्द्रावल लीला, हरिश्चन्द्र लीला आदि ख्यालों की कभी बड़ी घूम थी। (ग) मांडनों, गोदनों तथा विविध चित्रांकनों में धार्मिकता के स्वर हमारे यहाँ मांडनों, गोदनों तथा चित्रांकनों में अधिकतर रूप धार्मिक भावनाओं की अभिवृद्धि के द्योतक हैं, विवाह-शादियों तथा अन्य प्रसंगों पर घरों में लक्ष्मी, गणेश तथा कृष्णलीलाओं के विविध चित्रों में धार्मिक संस्कृति के दिव्य रूप देखने को मिलते हैं । दरवाजों पर फूलपत्तियाँ, बेलें, पक्षियों के अंकन तथा केल पत्तों के झाड़, शुभ शकुन के प्रतीक होते हैं, पेड़ों पिछवाइयों में भी यही भावना उभरी हुई मिलती है। पिछवाइयाँ वैष्णव मन्दिरों में भगवान की : www.jailbelibrart.org :. B E /- - -
SR No.012038
Book TitleAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamuni
PublisherAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages678
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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