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________________ ரவைகி पाठकों के हाथों में अभिनन्दन ग्रन्थ सोंपते हुए हमें बड़ी हर्षानुभूति हो रही है । जब कार्य प्रारम्भ किया, तो हमारे सामने लक्ष्य को छोड़कर कोई साधक सामग्री उपलब्ध नहीं थी । हमें सर्वप्रथम अर्थ - प्रबन्ध करना था । हमने ज्यों ही समाज के सामने यह प्रश्न रखा तो सहयोग के लिए सैकड़ों हाथ हमारी तरफ बढ़ गये, किन्तु वे कुछ सम्पन्न लोगों के हाथ थे। समाज का सामान्य वर्ग भी इस कार्य में अपना यथाशक्ति सहयोग देना चाहता था । यह श्रद्धा का प्रश्न था और हम किसी का जी नहीं दुःखाना चाहते थे। तो हमने व्यक्तिशः अर्थ -प्राप्ति का लक्ष्य छोड़कर श्रावक संघों को सदस्य बनाना प्रारम्भ किया और कुछ ही समय में हमें यथेष्ठ अर्थ प्राप्ति हो गई। साधन सुलभ हो गये । एक कार्य पूरा होने पर हमें बड़ा सन्तोष हुआ । जहाँ तक अभिनन्दन ग्रन्थ के निर्माण और प्रकाशन का प्रश्न था हम लगभग निश्चित थे । सम्पादन का कार्य मुनि श्री 'कुमुद' जी के समर्थ एवं सुयोग्य हाथों में सोंपकर हमें बड़ी खुशी हुई । कान्तदृष्टा विद्वदरत्न श्री सौभाग्य मुनि जी "कुमुद" सम्पूर्ण मेवाड़ संघ की आशाओं के केन्द्र हैं, इन्हीं की मौलिक प्रेरणा ने इस सारे आयोजन को अंकुरित कर पल्लवित, पुष्पित और फलित किया । हमें प्रसन्नता है कि मुनि श्री ने अपने व्यस्त समय में से समय निकाल कर प्रस्तुत कार्य को बड़ी सु-योग्यता के साथ सम्पन्न किया । व्यस्त एवं अस्वस्थ होते हुए भी वे दिन-रात इस कार्य में जुटे रहे । प्रकाशन व्यवस्था का भार हमने आगरा निवासी प्रसिद्ध साहित्य सेवी श्री श्रीचन्दजी सुराना पर डाल दिया । श्री सुराना जी ने बड़ी हार्दिकता, निष्ठा और लगन के साथ ग्रन्थ प्रकाशन के कार्य को देखा - लेखों का वर्गीकरण, संशोधन, सम्पादन से लेकर ग्रन्थ कलात्मक सुरुचिपूर्ण, आकर्षक एवं शुद्ध रूपेण प्रकाशित करने का श्रेय एकमात्र श्री सुराना जी को ही है । साथ ही हम उन समस्त श्रावक संघ, सामाजिक कार्यकर्त्ता, विज्ञजन एवं लेखकों, सम्पादकों के प्रति हार्दिक आभार ज्ञापित करते हैं, जिन्होंने हमें प्रत्यक्ष या परोक्ष यत्किचित भी सहकार किया है और इस महनीय कार्य में सहयोगी बने । विनीत अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशन समिति Pprnre 000000000000 000000000000 200 www ww.jamiel
SR No.012038
Book TitleAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamuni
PublisherAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages678
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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