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________________ होते थे। मुनिश्री अत्यन्त मधुर वाणी में सारगर्भित प्रवचन देते थे। यहाँ के कार्यक्रम सानन्द सम्पन्न करके मुनिद्वय और साध्वी मंडल ने दूसरे दिन मंगल विहार किया नगरजनो ने भावभीनी विदाई दी। यहाँ से विहार कर मुनिश्री पाली गांव पधारे। पाली गांव में शाह नैनमलजी डायाजी की और से श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन एवं स्वामीवात्सल्य का कार्यक्रम रखा गया था। उल्लास और आनन्द के वातावरण में कार्यक्रम सम्पन्न हुए। इस तरह पूरे कोंकण प्रदेश में मुनिराज श्री ने विचरण कर धर्मोपदेशना देकर जैन जागृती का शंखनाद गुजांयमान किया लोगो में एक बार फिर से जिन शासन और गुरुगच्छ के प्रति सेवा भावना जागृत हुई। पुरे कोंकण प्रदेश में धर्म प्रभावना के अनेक कार्यक्रम सम्पन्न हुए। पाली से विहार कर पूज्य मुनिश्री एवं साध्वी मंडल पूना की तरफ उग्र विहार किया। पूणे में धार्मिक आयोजनो की भरमार कोंकण प्रदेश से पूणे को विहार करते हुए पूज्य मुनिराजश्री और साध्वी मंडल महाराष्ट्र के सुरम्य हिल स्टेशन कार्ला में दिनांक १२ मार्च १९९० को मंगल प्रवेश किया। कार्ला में शाह वस्तीमलजी चुन्नीलालजी पोसालियावालों की तरफ से मां भगवती श्री पद्मावती माताजी की श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन और स्वामीवात्सल्य का मंगल भव्यातिभव्य आयोजन किया गया था। श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन के लिए लाल वस्त्रो से पूरा मंडप सजाया गया था। कार्ला हील का प्राकृतिक सौन्दर्य इससे. और निखर उठा था। सुन्दर ऊल्लासमय वातावरण में श्री महापूजन पढ़ाई गई और स्वामीवात्सल्य भी रखा गया था। इस महापूजन में आस-पास के क्षेत्र से अनेक श्रावक श्राविकाओं ने पधार कर लाभ लिया। कार्ला के बाद मुनिश्री कामशेट पधारे। कामशेत में श्रमण सूर्य मुनिराजश्री लक्ष्मणविजय जी 'शीतल' म.सा. की छठी पूण्यतिथि मनाये जाने का कार्यक्रम था। पूण्यतिथि मनाई जाने का लाभ शा. सुकनराज अदाजी बाफना ने लिया था। चैत्र वद १० संवत २०४६ दिनांक २२ मार्च १९९० को पूण्यतिथि का आयोजन किया गया। प.पू. श्रमण सूर्य मुनिराज श्री लक्ष्मण विजयजी 'शीतल' म.सा. के फोटो को सुसज्जित जीप में रखकर शानदार रथयात्रा निकाली गई। जैन मंदिर से रथयात्रा शुरु हुई और नव निर्मित भवन 'कल्पतरू' में विशाल जन सभा में परिवर्तित हो गई। इस सभा में अनेक वक्ताओं ने पूज्य मुनिराज श्री शीतल जी म.सा. द्वारा जिनशासन की सेवा और गुरुगच्छ की शोभा बढाने का जो उल्लेखनिय कार्य किये गये वे चिरस्मरणीय है। पू. मुनिद्वय ने भी अपने गुरुदेव के कार्यों से जनसमुदाय को अवगत कराया। दोपहर में श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन का भव्य आयोजन किया गया था। समारोह के अन्तर्गत श्री राजेन्द्र आरोग्यधाम का उद्घाटन श्री सुकनराज जी बाफना के शुभ हस्ते सानन्द सम्पन्न हुआ। श्री बाफना ने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा- "आज समग्र महाराष्ट्र में पूज्य मुनिद्वय श्री लेखेन्द्रशेखरविजयजी और श्री लोकेन्द्रविजयजी म.सा. ने सम्प्रदाय रहित अभिनव धर्मक्रांति का शंखनाद किया है। आज मेरा अहोभाग्य है, कि मुझे पूज्य गुरुदेव की षष्ठम पूण्यतिथि और श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन पढाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मैं मुनिद्वय का हृदय से अत्यन्त ही आभारी हूँ, कि उन्होने यहाँ पधार कर और कार्यक्रम करके जिन १०२ सत्य कभी कडवा नही होता मात्र जो लोग सत्य के आराधक नहीं होते वे ही सत्य से डरकर ऐसा कहते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012037
Book TitleLekhendrashekharvijayji Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpashreeji, Tarunprabhashree
PublisherYatindrasuri Sahitya Prakashan Mandir Aalirajpur
Publication Year
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size18 MB
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