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________________ मोहना नगर में गुरु सप्तमी। ३ जनवरी १९९० मनुष्य अपने जीवन काल में कभी सफल होता है, तो कभी असफल। सफलता और असफलता का रहस्य गुढ़ होता है। सफलता और असफलता के सुख दुख से परिपूर्ण जीवन की समस्याओ से निर्मित ज्वलंत प्रश्नों का उत्तर तो गुरुदेव ही दे सकते है। __मोहना नगर के श्रावक श्राविकाएँ मुनिराज श्री लेखेन्द्रशेखरविजयजी, मुनिराज श्री लोकेन्द्र विजयजी की प्रतिक्षा में व्याकुल थे, क्योंकि गुरु सप्तमी का पावन पर्व इस वर्ष मोहना में ही मनाना निश्चित था। और आज मुनिराजद्रय साध्वी श्री पुष्पाश्रीजी आदि ठाणा ७ का यहाँ पधारना पूर्व निश्चित था। नववर्ष के मंगल प्रभात में १ जनवरी १९९० को मुनिद्वय साध्वी सुमदाय के साथ मोहना नगर प्रवेश किया। नगर प्रवेश पर मंगल गीत गाये गये। अपूर्व सामैया के साथ नगर प्रवेश हुआ। युवाओं ने नारे लगाये। "लेखेन्द्र, लोकेन्द्र ने क्या किया - कोंकण को धर्ममय किया" "लेखेन्द्र, लोकेन्द्र आये है नई रोशनी लाए है।" अभूतपूर्व सामैये का आयोजन गुरु सप्तमी के आयोजनकर्ता शाह पुरवराजजी भगवानजी फोलामुथा परिवार मोहनावालों की ओर से किया गया। नगर भ्रमण कर मनिद्वय धर्मशाला में पधारे और संक्षिप्त प्रवचन दिया। गुरु सप्तमी के अवसर पर पंचकल्याणक पूजा पढ़ाई गई। पूजन में संगीत की रमझट मचाने के लिये प्रदीप कुमार को आमंत्रित किया गया था। गुरु सप्तमी के पावन पर्व ३ जनवरी १९९० पौष शुक्ल ७ को विश्ववंद्य प.पू. गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्र सूरिश्वरजी म.सा. की अष्ट प्रकारी पूजन पढ़ाई गई। आज के इस पावन प्रसंग पर पू. मुनिराजद्रय की शुभनिश्रा में श्री गुरुगुण गरिमा का आयोजन रखा गया। अनेक वक्ताओं ने गुरुगुण की महिमा का बखान किया। पू. मुनिराज ने दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्र सूरीश्वर जी म.सा. के त्यागमय जीवन का इतिहास बताया। शाम को उल्लासमय वातावरण में बडे हर्ष और आनन्दपूर्वक गुरुदेव की आरती उतारी गई। इसी कार्यक्रम के मध्य आगामी चातुर्मास कराने को उत्सुक श्री संघोने यहाँ पधार कर मुनिश्री से आगामी चातुर्मास अपने - अपने गांव में करने की विनन्ती की। पूना, नेरळ, मोहना, रोहा, गोरेगांव, नागोठाणे, इन्दापुर, आदि जगहो से पधारे श्री संघ के समक्ष मुनिराज श्री ने अपना निर्णय सुनाकर गोरेगांव श्री संघ को चातुर्मास कराने का अवसर प्रदान किया। इससे गोरेगांव श्री संघ में आनन्द छा गया। चैत्र वद १० को पूज्य मुनिप्रवर श्री लक्ष्मणविजय म.सा. 'शीतल' की पूण्यतिथि का आयोजन का आदेश कामशेट निवासी शा. सुकनराज अदाजी बाफना को दिया गया। आगामी गुरु सप्तमी मनाये जाने का आदेश श्री पद्मावती ऑइल मिल कानेवाड़ी वालो को दिया गया। इनकी तरफ गुरु सप्तमी का पूरा कार्यक्रम मोहना नगर में आयोजित किया जावेगा। संसार में काम-राग के भक्त अधिक होते है, त्याग के आकाश में पहुँचने वाले विरल होते है। . ९९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012037
Book TitleLekhendrashekharvijayji Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpashreeji, Tarunprabhashree
PublisherYatindrasuri Sahitya Prakashan Mandir Aalirajpur
Publication Year
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size18 MB
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