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________________ शुभकामना "सृष्टि का नियम है कि पतझड के बाद सुन्दर अनुपम बसन्त की बहार आती है। और काली रात्री के बाद ही जगमगाता सूर्य दिव्यालोक बिखेरता है। संसार में जब जब धरती पर अनीति, अधर्म अमानुषता का जोर बढ़ता है, तब-तब नीति धर्म एवं मानवता के संरक्षक महापुरुषों का आर्विभाव होता है। LOVARYAYA महापुरुष खिलते हुए पुष्प की तरह होते है, जो स्वयं तो महकते ही हैं, लेकिन संसार को भी अपनी मधुर महक से आनन्द विभोर कर देते है। महापुरुष की इस पवित्र गणना में एक नाम शीर्ष स्थान चमकता है प.पू. रत्नत्रय आराधक, वात्सल्य वारिधी 'कोंकण केशरी' पूज्य श्री लेखन्द्र विजयजी म.सा. आपकी वात्सल्यमयी और करुणाद्रवित आँखों से प्राणी मात्र के लिए निर्मल स्नेह की धारा अहर्निश झरती रहती है। आपकी ओजस्वी वाणी में शांति और प्रेम का शंखनाद गुंजता रहता है मैने कई बार देखा है कि पनघट के कुएँ की तरह लोग उन्हें सदा धेरै रहते हैं। आप जंगल में पहुँचते हैं, वहाँ पर भी भक्तों की भीड़ मधुमखियों के छत्ते की तरह जमा हो जाती है। भीड में रहते हुए भी आप अपनी दैनिक साधना में अडिग बने रहते हैं। आपके जीवन की महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि आप शांत और विनोदी स्वभाव के है इसी कारण आने वाला हर व्यक्ति आकर्षित हुए बिना नहीं रहता। वाणी की मधुरता के कारण ही अजैन को भी आपने धार्मिक प्रवचनों से धर्म की और मोड लिया है। इसी वाणी का ही सुमधुर फल अभिनन्दन वान्थ जो प्रकाशित हो रहा है जो समाज के उत्थान के लिए एक विशिष्ट उपलब्धि है। यह विशिष्ट बन्य जन जन के लिए प्रेरणादायी बने इसी मंगल कामना के साथ सद्गुरुवर के चरणों में शत् शत् आभिनन्दन श्री मोहनलालजी शंकरलालजी बागरा (राज.) गोरेगाँव (वेस्ट) बम्बई-६२. पद्मावती VIYAN २८ रावण ने सीता का अपहरण किया तब वस्तुत: उसने भयानक अपराध पिया था किंतु वह इतना अंधा हो गया था कि Jain Education International उसने अपने इस दुष्कृत्या की अन्याय रुप में कल्पना नही की थी। www.jainelibrary.org
SR No.012037
Book TitleLekhendrashekharvijayji Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpashreeji, Tarunprabhashree
PublisherYatindrasuri Sahitya Prakashan Mandir Aalirajpur
Publication Year
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size18 MB
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