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________________ AMAAY यह बहुत ही आनन्द का विषय है कि पूज्य मुनिप्रवर को २४ डिसेम्बर को " कोंकण केशरी" पद से विभुषित किया गया है। "कॉकण केशरी" पद प्रदान के उपलक्ष्य में अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन भी सराहनीय कार्य है। अभिनन्दन ग्रन्थ में धर्म यात्रा वृतांत के साथ ही जैन दर्शन पर, विविध विषयापर विभिन्न दृष्टिकोणों पर जो लेखादि होंगे वेत निश्चित ही अभिनन्दन वान्थ की महिमा को चिर स्थायीत्व रुप देगा। इसी मंगल कामना के साथ शा. छगनलालजी मोटाजी A COO यह हर्ष का विषय है कि प्रातः स्मर्णिय कलिकाल कल्पतरु श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की गुरुजयन्ती के शुभ प्रसंग पर पूज्य मुनिराज पूज्य मुनिराज श्री लेखेन्द्रशेखरविजयजी म.सा. को २४ डिसेम्बर को "कोंकण केशरी' पद से अलंकृत किया जा रहा है। यह संपूर्ण समाज के लिए गौरव का सोपान है। आपकी योजना बहुत ही प्रशंसनीय है। समारोह की पूर्ण सफलता के लिए मेरी शुभ कामनाएँ भेज रहा हूँ। भवदीय सुखराज बी. नाहर बम्बई AND आज ही पत्र के द्वारा ज्ञात हुआ कि पूज्य मुनिराज श्री लेवेन्द्रशेखरविजय म.सा. के अभिनन्दन वान्थ का प्रकाशन किया जा रहा है। मुनिराज श्री का व्यक्तित्व और कृतित्व आज समवा समाज भलि भांति जानता है। उन्होंने अल्पकाल में जो जिन शासन की सेवाएँ, प्रभावनाएँ की है वह अपने आपमें एक मिसाल DEO मैं अपनी ओर से अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशन पर हार्दिक शुभकामनाएँ रुपी पुष्प अर्पित करता हूँ। रमेश एस. शाह बेचराजी अभिनन्दन वान्थ का प्रकाशन निश्चय ही प्रेरणा स्तोत्र के रुप में समाज का मार्ग दर्शन कर धर्म के मर्म को जानने में योगदान प्रदान करेगा। वान्थ की सफलता व ख्याति हेतु शुभकामना। भंवर सिंह पंवार राजगढ (धार) म.प्र. MARATHI २२ वर-भाव के जंगल में भटकने वाले को कहीं भी शांति नहीं मिलती, फिर भी वह समझ नहीं पाता। क्योंकि इनके ज्ञान Jain Education International की ओट में इर्ष्या की दीवाले तनी होती हैं। www.jainelibrary.org
SR No.012037
Book TitleLekhendrashekharvijayji Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpashreeji, Tarunprabhashree
PublisherYatindrasuri Sahitya Prakashan Mandir Aalirajpur
Publication Year
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size18 MB
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