SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ AAAAANA LYAVAYAVAYS श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथाय नमः श्री राजेन्द्रसूरि गुरुभ्यो नमो नमः बालब्रह्मचारी, जिन शासन प्रभावक, प्रवचनकार पू. मुनिराज श्री लेखेन्द्रशेखरविजयजी 'शार्दूल' म.सा. को "कोंकण केशरी" पद प्रदान समारोह में सादर समर्पित अभिनन्दन पत्र बालब्रह्मचारी:- आपश्री का जन्म चैत्र कृष्ण १३ वि. संवत् २०१४ को रतलाम (म.प्र.) में हुआ और पू. गुरुदेव श्री मुनिप्रवर श्री लक्ष्मणविजयजी 'शीतल' के कर कमलों से १६ वर्ष की किशोरावस्था में ही वि. सं. २०३० ज्येष्ठ कृष्णा को श्री लक्ष्मणी तीर्थ में (म.प्र.) मुनि दीक्षा ग्रहण कर विविध भाषाओं, शास्त्रों एवं धर्मों का गहन अध्ययन किया। जिनशासन प्रभावक:- सौधर्म बृहत् तपोगच्छीय परम्परा के उज्जवल नक्षत्र के रूप में आपभी ने जिनशासन की धर्मध्वजा भारत के अनेक राज्यों में फहरा कर महान प्रभावना की है। अपने एवं पू. गुरुदेव श्री लक्ष्मणविजयजी म.सा. के साथ दक्षिण भारत में एवं पश्चात् स्वतंत्र रूप से राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात राज्यों में अनेकविध आयोजनों, पूजनों, प्रतिष्ठाओं आदि मे जैन धर्म की महान प्रभावना कर एक अनूठा कीर्तिमान स्थापित किया है। प्रखर विव्दान एवं ओजस्वी वक्ता:- आपभी की प्रखर विद्धता एवं ओजस्वी प्रवचन शैली के अदभुत सामन्जस्य से हजारों की जन मेदिनी मंत्र मुग्ध हो उठती है। प्रतिष्ठाओं, पूजनों, भक्ति महोत्सवों, गुरु जयन्ती के भव्य आयोजनों में आपने अपनी विव्दता, वक्तृत्वकला, ओजस्वी वाणी की छटा सर्वत्र प्रसारित की है। कळणामूर्ति :- आपका भव्य आकर्षक व्यक्तित्व एवं करुणाभा हृदय समाज के भाई-बहनों के कण्ठो से भर उठता है, इसलिए आपने "श्री पार्श्वपद्मावती माधर्मिक फाउण्डेशन" की स्थापना की है। जिसके द्वारा निम्न मध्यम वर्गीय समाज के भाई बहनों की शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वावलम्बन के लिए सहयोग दिया जाता है "श्री मरूधर शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन तीर्थ गुरु लक्ष्मण धाम" "श्री पार्श्वपद्मावती शक्ति पीठ गुरु लक्ष्मण ध्यान केन्द्र जैसी संस्थाओं की स्थापना कर जो महान् कार्य, आपकी कीर्ति कथा का साक्षात् प्रमाण ORDS है। कोंकण केशरी गत दो वर्षों से कोंकण प्रदेश में धर्म यात्राओं, विविध आयोजनों, अनुष्ठानो एवं विराद कार्यक्रमों द्वारा आपने जो उल्लेखनीय शासन प्रभावना की है, उसको लक्ष्य में रखकर आपके महान कार्यों के अनुमोदनार्थ हम आपको 'कोंकण केशरी पद से विभुषित करते हुए परम प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। प्रात: स्मर्णिय पूज्य गुरुदेव श्रीमदविजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की जयन्ती के शुभावसर पर हम सबकी मंगल कामनाओं एवं शुभ कामनाओं के साथ 'कोंकण केशरी पद को स्वीकार कर हमें कृतार्थ करें। शासन देव की कृपा से आपके द्वारा गच्छ, संघ एवं जिन शासन की महान् प्रभावना होती रहे। एवं आए सुख-शाता पूर्वक संयम दीर्घायुष्य प्राप्त करे। मोहने (कल्याण) महाराष्ट्र इन्ही मगलमयी भावनाओं एवं पौष शुक्ला ७ वि.सं. २०४७ 'गुरु जयन्ती अभिवन्दना सहित हम है आपके मदाल दिनांक २४ दिसम्बर १९९० श्री राजस्थान जैन श्वे.म. श्री संघ मोहने (कल्याण) के पदाधिकारी एवं मदस्यगण CV TWIAN JAVAO MINAM ECTED WAVANAVANA १० संपूर्ण सुख में रहने वाला मानव जब दु:ख के दावानल के बीच फंस जाता है तब वह दुःख का मुकाबला कर नही सकता। कारण यह है कि उसकी पूर्ण शक्ति सुख और वैभव में ही समाप्त हो गई होती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012037
Book TitleLekhendrashekharvijayji Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpashreeji, Tarunprabhashree
PublisherYatindrasuri Sahitya Prakashan Mandir Aalirajpur
Publication Year
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy