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________________ -यतीन्द्रसरि स्मारक गन्य - आधुनिक सन्दर्भ में जैनधर्मइस उत्तर से पुलिस विभाग, जासूसी विभाग, न्यायालय आदि भौतिक कारणों के मूल में, अध्यात्म के अनुसार एक सुंदर एवं की उपयोगिता समाप्त नहीं हो जाती है। साम्प्रदायिक सौहार्द, सरल व्याख्या है। अध्यात्म के अनुसार जो कुछ भी किसी के उन्नत राजनीतिक वातावरण, कुशल एवं चुस्त प्रशासकीय मशीनरी जीवन में घटित होता है, उसके लिए वह आत्मा ही जिम्मेदार है। आदि भी किसी रूप में उस व्यक्ति के पुत्र की मृत्यु के लिए उसके द्वारा ही किए गए शुभ कार्यों का अच्छा एवं अशुद्ध, अपराधी हैं। गाँधीजी जब उक्त सलाह दे रहे होते हैं, तब गाँधीजी अशुभ कर्मों का बुरा फल उसे मिलता है। कहा गया है - भी ये सभी पक्ष जान रहे होते हैं। वे इन पक्षों को नकारते नहीं है। "उवगरं अवयारं कम्मं पि सुहासुहं कुणदि।" वे तो आवश्यकतानुसार इन पक्षों को गौण करते हैं। वे इन पक्षों इसका भावार्थ यह है कि जीव द्वारा किए गए शुभ-अशुभ को गौण करके आध्यात्मिक पक्ष की तरफ उस परिस्थिति में उस व्यक्ति को ले जाना चाहते हैं। कर्म ही जीव का उपकार-अपकार करते हैं। 'जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे' इस कथन से भी हम भलीभाँति परिचित हैं ही। सच्ची अनेकान्तमयी समझ में भौतिक कारणों के अतिरिक्त , एक एक्सीडेंट से बालक की मृत्यु होने पर यह कहा जाएगा कि पीटेट से बालक की मात्र आध्यात्मिक पहलू भी एक विशेष स्थान रखता है। अपने बालक के सुख-दुःख के लिए बालक की आत्मा तथा मातातनावों के संदर्भ में उपकारी व अपराधी के निर्णय में भी ऐसी पिता एवं परिजनों के दुःख के लिए माता-पिता एवं परिजनों की ही अनेकांत दृष्टि की आवश्यकता है, जहाँ सभी पक्षों का यथायोग्य आत्मा के पूर्व कर्म जिम्मेदार हैं। सभी के दुःख की मात्रा में भी ज्ञान भी हो व यह विवेक भी हो कि किस प्रश्न का किस सन्दर्भ भिन्नता हो सकती है। में समुचित उत्तर क्या होगा? उक्त आध्यात्मिक तथ्य की मूल भावना समझने हेतु एक अध्यात्म की विस्तृत व्याख्या आगे वर्णित की जा रही है। सरल प्रश्न पर विचार कर सकते हैं - 'यदि मेरे नाम पर दस तनावग्रस्त व्यक्ति की समस्या के कई उत्तरों में से यह भी एक लाख रुपये की लाटरी खुलती है, तो उसके लिए जिम्मेदार उत्तर है। यह उत्तर कब व कितना उपयोगी हो सकता है, यह कौन है? उसका श्रेय किसको दें व क्यों दें?' समस्याग्रस्त व्यक्ति के विवेक एवं विकास की स्थिति पर निर्भर इस प्रश्न के उत्तर में आधुनिक सांख्यिकी का यह उत्तर करेगा। तनाव कम करने में ही नहीं अपितु मानसिक एवं । होता है कि लाटरी में कोई भी नंबर निकल सकता था, प्रत्येक भावनात्मक स्वास्थ्य बनाए रखने में भी यह दृष्टिकोण अनेकों नंबर निकलने की संभावना समान थी। यह संयोग यानी चांस के जीवन में अत्युपयोगी सिद्ध हुआ है। की बात है कि निकला हुआ नंबर आपका था। आधुनिक विज्ञान ३. आध्यात्मिक दृष्टिकोण के पास इस प्रश्न का उत्तर देने हेतु और भी अधिक विस्तार हमारे जीवन में कई घटनाएँ होती हैं। हमें कोई पढाता है। करने की क्षमता है। बहुत सूक्ष्म विवेचन करने वाला भौतिक कोई हमारी चिकित्सा करता है। कोई ईर्ष्या या अज्ञान या बदले विज्ञान मेरे नंबर निकलने का कारण लाटरी की मशीन में शुरू की भावना से नीचे गिराना चाहता है। इन अपेक्षाओं से हमारे SC में क्या था व कितना उसे हिलाया गया या घुमाया गया उसके जीवन में हमारे लिए कई निर्विवाद रूप से उपकारी एवं कई आधार पर बता सकता है किन्तु पुनः प्रश्न उठता है कि मशीन निर्विवाद रूप से अपराधी नजर आते हैं। वस्तु-व्यवस्था की व्याख्या को उतना ही क्यों घुमाया गया व शुरू में ऐसा ही क्या था कि यहाँ ही समाप्त नहीं होती है। जो डॉक्टर आपके लिए उपकारी है, अंत में मेरा नंबर निकला और अधिक सूक्ष्म विवेचन करने वही डॉक्टर आपके ही साथी किसी अन्य असफल रोगी को वाले इसका संबंध मशीन को घुमाने वाले व्यक्ति के शरीर अपराधी नजर आ सकता है, जबकि दोनों का समान ऑपरेशन न के परमाणुओं, मानसिकता आदि एवं मशीन के पूर्व इतिहास उसने समान सावधानी एवं विशेषज्ञता के साथ किया है। के आधार पर कह सकते हैं। प्रश्न पनः यह हो सकता है कि वे परमाणु, मानसिकता, इतिहास आदि ऐसी अवस्था में ही किसी भी कार्यक्रम या घटना की सफलता एवं असफलता क्यों थे जिससे अन्ततोगत्वा दस लाख रुपये का लाभ मझे के लिए कई जिम्मेदार कारण बताए जा सकते हैं। समस्त मिला? సాగరరరరరరరరరర రరరరరరరరరరరరరుగయలో Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012036
Book TitleYatindrasuri Diksha Shatabdi Samrak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinprabhvijay
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1997
Total Pages1228
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size68 MB
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