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________________ यतीन्द्रसूरिस्मारक ग्रंथ : सन्देश-वन्दन कोटि कोटिवन्दनार... किनकि यस वे भेद विज्ञानी थे कि शरीर और आत्मा, आत्मा और शरीर दोनों एक नहीं भिन्न है, किन्तु सामान्य मानक इनमें भेद नहीं कर पाता है। वह आत्मा और शरीर दोनों को एक-एक ही मानता है। जैसे किसी व्यक्ति के शरीर में कहीं एक फोड़ा हो गया और जिसके कारण उसे काफी कष्ट हो रहा है, तो वह स्वाभाविक रूप से कहता है कि उसकी आत्मा को बड़ा कष्ट हो रहा है। वह अज्ञानी शरीर के कष्ट को अलग नहीं समझता जो फोड़ा हुआ है वह शरीर का कष्ट है उसका आत्मा से कोई संबंध नहीं है। या आत्मा का कष्ट शरीर के कष्ट से सर्वथा भिन्न है जो व्यक्ति इस भेद को जान जाता है वह शरीर के कष्ट की भी परवाह नहीं करता है। क्योंकि उसे तो अपनी आत्मा का कल्याण करना है जो अजर आत्मा है। शरीर को नश्वर देह की चिंता नहीं करते हैं। परम श्रद्धेय आचार्य देवेश श्रमद्विजय यतीन्द्र सूरिश्वरजी म.सा. भेद विज्ञानी थे भेद विज्ञानी के पूर्ण ज्ञाता थे वे आत्मा और शरीर के पृथक के भलीभांति परिचित थे तभी तो एक बार जब उनका ऑपरेशन होना था तब डॉक्टर ने उन्हें मूर्च्छित करना चाहा तब उन्होंने डॉक्टर से कह दिया कि आपको जो करना है करे। मुझे करने का प्रयास नहीं करें। श्रद्धेय आचार्य भगवंत अपने चिंतन में लीन हो गए और डॉक्टर शल्यक्रिया में। शल्यक्रिया हो गई। डॉक्टर श्रद्धेय आचार्यश्री के साहस दृढ़ता आदि को देखकर आश्चर्य चकित रह गए ऐसे तत्वज्ञानी पू. आचार्य भगवंत की स्मृति में जब स्मृति ग्रंथ के प्रकाशन की जानकारी मिली तो हृदय आल्हाद से भर गया। मैं आपके इस आयोजन की सफलता की कामना हृदय से करता हूं और श्रद्धेय आचार्यश्री के पावन चरणों में कोटि-कोटि वंदन करता हूं। मारक विणायाममा हुक्मीचन्द बागरेचा सियाणा ट्रस्टी प्रति, ज्योतिषाचार्य मुनि श्री जयप्रभविजयजी श्रमण' श्री मोहनखेड़ा तीर्थ, रानीबेनुर, कर्नाटक श्री मोहनखेड़ा तीर्थ प्रधान सम्पादक श्री यतीन्द्रसूरि दीक्षा शताब्दी स्मारक ग्रंथ RBNBRBRBRBRBRBRBRBRBRBRBRBRBRBRBSESBSHS2 (21) RMSBSERENESEARNERBSIBIBIMSHRESERe RBRBRBR8 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.012036
Book TitleYatindrasuri Diksha Shatabdi Samrak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinprabhvijay
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1997
Total Pages1228
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size68 MB
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