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________________ आचार्य देव श्रीमद्विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. staigosoft स्वास्ति श्री ऋद्धि वृद्धि जयौ मङ्गलाभ्युदयाश्चेति श्री विक्रमादित्य सं. १९५४ तत्र श्रीमद्भूपतिशालिवाहनकृतशाके १८१९ भानुरुत्तरायणेगतेश्री सूर्यग्रीष्म सौमहाङ्गल्यप्रदमासोत्तमे मासेशुभकारके आषाढ़मासे शुभे कृष्ण पक्षे तिर्थो२ घट्यः २९/५२ सोम्यवासरे पूर्वाषाढानक्षत्रे घट्य ३६/३३ ब्रह्मायोगेघट्य: ५०/२३ तैतिलकरणेघट्यः १२/८ दिनमानम् ३४/८ रात्रिमानं २५/५२ दिनार्ध १७/४ रात्र्यर्ध धनराशि स्थिते चन्द्रराशीनवांशे ७ सप्तमे मेषाद्ये तुलाख्येभुगुदैवते वानरयोनौ मनुष्यगणे क्षत्रियवर्णे मूषक वर्गेमध्य नाडीस्थिते श्रीफणीश्वरचक्रे परभागभुजायां एवमादि पञ्चांगशुद्धावत्र दिने भास्करोदयादिष्ट नाड्यः १२/२५ स्पष्टार्कराश्यादि २/२/५६/८ स्पष्टलग्नं राश्यादि ७/४/२०/३३ एतद्समयेसिंहलग्नाङ्गोदयेऽस्यां शुभ ग्रहावलोकितकल्याणवति वेलायां निखिल गुणगणमण्डितश्रेय मार्गदर्शक शुद्धाचारपालक श्रीयतीन्द्रविजयमुनि पुङ्गवस्य दीक्षा समयः । पूर्वाषाढ़ाभे ३ तृतीयचरणेस्तेन फाकाराक्षरोपरि अकारस्परेणाभिधानम् ज्ञेयम् अपरंच यथारुचिः स्थापनीयम् निकटरतलामे नगरेपलभा ५/८ चरखण्डा ५१/४१/१७ स्वेदेशोदयः २२७/२५८/३०६- ३४०/३२९ समीपवर्ती श्रीखाचरौदनगरे अक्षांस २३/२४ रेखांश ७५/८ स्टेण्डर्ड अन्तर २८ परम पूज्य कलिकालसर्वज्ञ सौधर्मबृहत्तपोगच्छय नायक अभिधान राजेन्द्र कोष प्रणेता विश्व वन्ध कोरटाजी तालनपुरजालौरादि तीर्थोद्धारक शन्त्रुजयावतार श्री मोहनखेड़ा तीर्थ संस्थापक श्री श्री श्री १००८ श्री प्रभु श्री मद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज के शुभ कर कमलोद्वारा चतुर्विध श्री संघ हजार मानववेदनी की उपस्थिति में मुमुक्षु बालक श्री रामरत्न को दीक्षा देकर श्रमण भगवान महावीर स्वामी के शासन मे आत्म कल्याणार्थे प्रवेश करवाया । दीक्षा लग्न राशी लग्न मं४ के रा ९ २श. ५ गुरु स ३ ९च. श८ Po गु रा ९ बु २ के४मं. दीक्षा देकर मुनि यतीन्द्रविजयजी म. सा. के नाम से घोषित किया । For Privale & Personal use only
SR No.012036
Book TitleYatindrasuri Diksha Shatabdi Samrak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinprabhvijay
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1997
Total Pages1228
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size68 MB
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