SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 248
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३१. २००० वै.शु. ६ सोम ३२. २००० ज्ये. शु. ६ बुध. - ३३. २००० फा. शु. ११ रवि. - ३४. २००२ वै.शु. ७ शनि ३५. २००१ ज्ये. क्र. २ बुध ३६. २००१ माघ शु. ६ शुक्र ३७. २००१ फा. शु. ५ ३८. २००३ मार्ग.शु. ५ ३९. २००५ माघ शु. ५ गुरु. ४०. २००६ मार्ग. शु. ६ शुक्र ४१. २००७ माघ शु. १३ ४२. २००८ माघ शु. ५ गुरु ४३. ४४. २००९ ज्ये. कृ. ६ ४५. २०१० ज्ये. शु. १० रवि. ४६. २०१३ चै.शु. १० ४७. २०२४ ज्ये. शु. ६ ४८. २०१४ मगसर कृ.६ ४९. २०१४ मगसर शु. १० ५०. २०१५ फा. शु. ४ ५१. २०१५ ज्येष्ठ कृ. ६ ५२. २०१५ ज्ये. शु. ६ ५३. २०१५ आषाढ शु. १० ५४. २०१५ माघ शु. ५ - ५५. २०१५ माघ शु. १० Jain Education International सियाणा(जोधपुर)मडवारिया (सेरिही) धानसा(जोधपुर) सेरणा (जोधपुर) धानसा(जोधपुर) आहोर(जोधपुर) भेखवाड़ा (जोधपुर) भूति(बोधपुर) थराद (उत्तरगुर्जर) बाली (जोधपुर) गुढ़ा बालोतरा (जोधपुर) थराद (उत्तर गुजरात यतीन्द्रसूरि स्मारकग्रन्य परिशिष्ट बाली मेोरसीम (जोधपुर)भाण्डवपुरती(जोधपुर) तीर्थाधिराज श्री मोहनखेड़ा तीर्थ पारानगर राणापुर तीर्थाधिराज श्री मोहनखेड़ा तीर्थ नागदा जंक्शन बड़नगर प्राचीन नगरी अवन्तिका (उज्जैन) जावरा नगर देवर मामरखेडा दो जिनकी प्रतिष्ठा और नवीन ५४ विम्यों को अंजनशलाका मु. ना. पार्श्वनाथ विग्नों आदि की प्रतिष्ठा और अधिष्ठायकादि केन स्वर्णकलश दण्डध्वज की प्रतिष्ठानला मू.ना. श्री शांतिनाथ, गौड़ीपार्श्वनाथ आदि विकी प्रतिष्ठा और अधिकादि और दि गुरु बिम्बों की तथा स्वर्णकलशदण्डध्वजों की प्रतिष्ठा अंजनशलाका श्री पार्श्वनाथदिपांची प्रतिष्ठा गुरुमंदिर पर स्वर्णकलश दण्डध्वजारोपण-प्रतिष्ठा जिनबिम्ब, गुरु- मूर्तियां और स्वर्णकलशदण्ड ध्वजों की प्रतिष्ठाञ्जनशलाका जिनबिम्ब और गुरु- मूर्ति की प्रतिष्ठा श्री राजेन्द्रसूरि और चंद्रकी प्रतिष्ठा जिनबिम्बों की प्रतिष्ठा और स्वर्ण कलश तथा श्री राजेन्द्र को प्रति SabটGad १४ ja नवीन जिनबिम्ब और गुरुप्रतिमा की अंजनशलाका जिनबिम्ब गुरुर्तियां और अधिष्ठायक-प्रतिष्ठा सप्तसत्तर (७७) जिनबिम्ब, चौदह जिनपट्ट, स्वर्णकलशदण्डध्वज, श्री आदिनाथ भगवान व दादागुरुदेव भगवन् श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरीश्वर जी महाराजमन्दिर पर स्वर्णकलशध्वजदण्ड चढ़ाया नूतन मन्दिर में अनन्तलब्धि निधान श्री गौतमस्वामीजी व दादागुरुदेव भगवन् श्रीमद्विजयराजेन्द्र सूरीश्वरजीमहाराज व आचार्यदेव श्री मद्विजयधनचन्द्रसूरिजी की मूर्तिप्रतिष्ठा नूतन गुरुमन्दिर में अनन्तलब्धिनिधान श्री गौतमस्वामीजी दादागुरुदेव भगवन् श्री मद्विजयराजेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज, आचार्यदेव श्रीमद्विजयधनचन्द्रसूरिजी की मूर्तियों की प्रतिष्ठा मू. ना. भगवान के पास में देवाधिदेव प्रभु श्री पार्श्वनाथजी भगवान् का नूतन मन्दिर बना उसमें मूर्तिप्रतिमा, स्वयंवदध्वज चढ़ाया। नूतन श्री चन्दाप्रभु जीकेमन्दिर की व दादागुरुदेव श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरीश्वरज की मूर्ति प्रतिष्ठा की व स्वर्णकलध्वजदण्ड चढ़ाया परमपूज्य दादा गुरुदेव भगवन् श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज की मूर्ति व गुरुपिजी श्री प्रेमश्री जी की चरणपादुका को प्रतिष्ठा प्राचीन जिनमन्दिर श्री अवनि पार्श्वनाथ जी के जिनमन्दिर पर स्वर्णकलशध्वजदण्ड चढ़ाया श्री प्यारचन्द जी सकलेचा ने अपनी ओर से श्री नवपदजी का मन्दिर श्री सीमन्धरस्वामी जी के मन्दिर की प्राणप्रतिष्ठा की स्वर्णकलशध्वजदण्ड बनाकर चढ़ावा व सिद्धाचलजी का पट्ट विराजित किया। जिनमंदिर पर स्वर्णकलशदण्ड ध्वज चढ़ाया श्री सुमतिनाथ भगवान के मन्दिर की प्रतिष्ठा, स्वर्णकलशदण्डध्वज चढ़ाया For Private & Personal Use Only गुरुविम्ब की अंजनशलाका जिनबिम्ब की प्रतिष्ठा जिनबिम्ब, गुरुप्रतिमा, अधिष्ठायव- मूर्तियं, स्वर्णकलदण्डध्वज को www.jainelibrary.org
SR No.012036
Book TitleYatindrasuri Diksha Shatabdi Samrak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinprabhvijay
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1997
Total Pages1228
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size68 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy