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________________ चौथासंसार नईनिया इन्दौर - मंगलवार, 28 नवम्बर 2000 दीक्षा शताब्दी स्मारक ग्रंथ का समारोहपूर्वक विमोचन - जावरा 27 नवंबर । यहाँ रविवार को दादवाड़ी परिसर में आयोजित भव्य समारोह में श्रीमद् यतीन्द्र सूरि दीक्षा शताब्दी स्मारक ग्रंथ का विमोचन हुआ। मुख्य अतिथि प्रदेश की उपमुख्यमंत्री श्रीमती जमुनादेवी थीं। इस अवसर पर अ.भा. त्रिस्तुतिक संघ से जुड़े सक्रिय तथा सेवाभावी गुरुभक्तों का बहुमान भी किया गया। विमोचन समारोह में साधु, साध्वीगण, विद्वान तथा बड़ी संख्या में अनुयायी उपस्थितथे।ज्योतिषाचार्य मुनिश्रीजयप्रभविजयजी श्रमण ने ग्रंथ विमोचन समारोह की शुरुआत मंगलाचरण से की। इस अवसर पर श्री भारतसिंह (विधायक), श्री नवलकृष्ण पाटिल (विधायक), श्री के.के. सिंह तथा डॉ. राजेंद्र पाण्डेय अतिथि थे। अतिथियों ने गुरुदेव श्री राजेन्द्र सूरिजी के चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्जवलि किया। श्री सागरमल जैन (शाजापुर), श्री रमणभाई शाह (मुंबई) प्रमुख वक्ता थे। श्री पुखराज पोरवाल ने भी इस अवसर पर विचार व्यक्त किए। स्वागत भाषण श्री बाबूलाल खेमसरा ने दिया। विमोचन से पूर्व ग्रंथ की शोभायात्रा निकाली गई। कार्यक्रम संयोजक श्री धरमचंद चपड़ोद ने ग्रंथ की जानकारी दी। अतिथियों का स्वागत श्री जीतमल लुक्कड़ अध्यक्ष त्रिस्तुतिक श्रीसंघ, श्री माणकलाल कोठारी कार्यकारिणी अध्यक्ष, श्री बाबूलाल खेमसरा स्वागताध्यक्ष, श्री धरमचंद चपड़ोद कार्यक्रम संयोजक, श्री सुजानमल आंचलिया अध्यक्ष राजेन्द्र सूरी जैन दादावाड़ी, श्री महेंद्र गोखरु अध्यक्ष श्री राजेंद्र जैन नवयुवक मंडल तथा श्री अभय चोपड़ा सचिव श्री राजेंद्र जैन नवयुवक मंडल ने किया। इस अवसर पर ज्योतिषाचार्य मुनिश्री जयप्रभविजयजी म.सा. का बहुमान श्रीसंघ के अध्यक्ष श्री जीतमल लुक्कड़ तथा सचिव श्री प्रकाश चोरड़िया ने कांबली ओढ़ाकर किया। समारोह में ज्योतिषाचार्य मुनिश्री जयप्रभ विजयजी म.सा. तथा मुनिश्री हितेशचंद्र विजयजी म.सा. के प्रवचन हुए। इस मौके पर अ.भा. त्रिस्तुतिक श्रीसंघ को योगदान देने वाले गुरुभक्तों का बहुमान किया गया। अतिथियों को स्मृति चिह्न भी भेंटकिए गए। इस अवसर पर सर्वश्री दीनदयाल पाटीदार, प्रहलाद पोरवाल, चंद्रप्रकाश ओस्तवाल, सागरमल जैन, डा. रमणभाई शाह वाचस्पति तथा पुखराज पोरवाल का भी सम्मान किया गया। आभार श्री समरथमल लोढ़ा ने माना। __इन्दौर - बुधवार, 22 नवम्बर 2000 समाज का दर्पण होते हैं ग्रंथ - जमुनादेवी जावरा (निप्र)। ग्रंथ समाज का दर्पण होते हैं। समाज की प्राचीनता, मौलिकता, इतिहास आदि समस्त तत्वों का संग्रह ग्रंथों में होता है । ग्रंथ आने वाली पीढ़ी के लिए भी मार्गदर्शक का कार्य करते हैं | वे उन्हें समाज की ऐतिहासिकता से अवगत कराते हैं। उपरोक्त विचार प्रदेश की उपमुख्यमंत्री श्रीमती जमुनादेवी ने श्रीमद् राजेंद्रसूरि जैन दादावाड़ी में ज्योतिषाचार्य मुनिराज जयप्रभविजयजी म.सा.द्वारा संयोजित श्रीमद् यतीन्द्रसूरि दीक्षा शताब्दी स्मारक ग्रंथ के विमोचन अवसर पर व्यक्त किये। उन्होंने महिलाओं से आग्रह किया कि वे अपना आत्मविश्वास मजबूत कर समाज के हर कार्य में आगे आयें। महिलाएं ही समाज को मजबूत कर सकती हैं और किसी भी प्रकार के विवाद का अंत कर सकती हैं। विमोचन समारोह के पूर्व एक भव्य शोभायात्रा पिपली बाजार जैन मंदिर से प्रारंभ होकर नगर के प्रमुख मार्गों सोमवारिया, नीमचौक, कोठीबाजार, बजाजखाना, जवाहर पथ, शुक्रवारिया होती हुई श्री राजेंद्रसूरि जैन दादावाड़ी पहुँची, जहां प्रदेश की उपमुख्यमंत्री श्रीमती जमुनादेवी के मुख्य आतिथ्य में श्रीमद् यतीन्द्रसूरि दीक्षा शताब्दी स्मारक ग्रंथ का विमोचन संपन्न हुआ। समारोह में मंदसौर विधायक नवकृष्ण पाटिल, सीतामऊ विधायक कुँ. भारतसिंह, सांसद प्रतिनिधि डा. राजेन्द्र पाण्डेय, मंडी बोर्ड संचालक के.के. सिंह विशेष रूप से उपस्थित थे। प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत श्री राजेंद्र जैन नवयुवक मंडल के अध्यक्ष महेंद्र गोखरू,सचिव अभय चोपड़ा, स्वागताध्यक्ष बाबूलाल खेमसरा. कार्यक्रम संयोजक धरमचंदचपड़ोद आदि ने किया। समारोह को ज्योतिषाचार्य मुनिराज श्री जयप्रभविजयजी, मुनिराज श्री हितेशचंद्रविजयजी के साथ ही ग्रंथ के प्रधान संपादक आगम वाचस्पति डा. सागरमल जैन शाजापुर, संपादक डा. रमणभाई ची. शाह, मुंबई ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर अ.भा. श्री सौधर्म बृहत्तपागच्छीय त्रिस्तुतिक श्रीसंघ में अमूल्य योगदान प्रदान करने वाले श्रेष्ठिवर्य माँगीलाल छाजेड़ धार, धर्मचंद नागदा, मूलंचद बाफना मुंबई, जयंतीलाल बाफना मुंबई, रमेशचंद्र खटोड़ मनावर, श्रेणिक लुणावत रतलाम, माँगीलाल बांठिया ताल, शांतिलाल वजावत चेन्नई, राजेंद्रकुमार मेहता मुंबई, बागमल नाहर मंदसौर आदि का बहुमान किया गया। समारोह की आयोजिक श्री राजेंद्र जैन नवयुवक मंडल जावरा ने अपने प्रेरणास्त्रोत ज्योतिषाचार्य मुनिराज श्री जयप्रभविजयजी म.सा. को कामली ओढ़ाकर एवं अभिनन्दन पत्र भेंट कर सम्मान किया। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा ग्रंथ के प्रधान संपादक डा. सागरमल जैन शाजपुर, संपादक डा. रमणभाई ची. शाह, प्रबंध संपादक समरथमल लोढ़ा, बाबूलाल खेमसरा, अनिल चोपड़ा, भूपेंद्र रुणवाल, पुखराज टी. पोरवाल एवं मुद्रक संतोष मामा का भी बहुमान किया गया। अंत में आभार समरथमल लोढ़ा ने माना। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012036
Book TitleYatindrasuri Diksha Shatabdi Samrak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinprabhvijay
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1997
Total Pages1228
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size68 MB
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