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________________ यतीन्द्रसूरी स्मारक ग्रन्थ : व्यक्तित्व-कृतित्व - १३. सियाणा में माघ शुक्ला ९ वि.सं. १९९५ को मुनि श्री प्रेमविजयजी, मुनि न्यायविजयजी, मुनिश्री नीति विजयजी और साध्वीश्री मोतीश्री जी साध्वी श्री विशालश्रीजी साध्वी श्री विनोदश्रीजी, साध्वीजी लावण्य श्री जी को समारोहपूर्वक बड़ी दीक्षा प्रदान की। १४. सियाणा में वि.सं. १९९९ में वीश स्थानकतप का उद्यापन करवाया। इसी अवसर पर मुनिश्री लावण्य विजयजी, मुनिश्री रंग विजयजी आदि सात मुनियों को बड़ी दीक्षा प्रदान की। १५. आहोर में वि.सं. २००१ माघ शुक्ला ६ को प्रतिष्ठोत्सव के शुभ अवसर पर मुनिश्री कान्ति विजयजी एवं मुनिश्री हेमेन्द्र विजय जी को बड़ी दीक्षा प्रदान की। मुनिश्री हेमेन्द विजयजी वर्तमान में गच्छाधिपति आचार्यप्रवर श्रीमद् विजय हेमेन्द्र सूरीश्वर जी म.सा. के रूप में संघसमाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं। १६. आहोर में ही निकटस्थ चरली ग्राम निवासी इदाजी व सोनीबहन की सुपुत्री जीवीबाई धर्मपत्नी शा. मगराज जी निवासी आहोर को प्रतिष्ठोत्सव के शुभ अवसर पर वि.सं. २००१ माघ शुक्ला ६ को दीक्षाव्रत प्रदान कर साध्वीश्री जयश्री जी के नाम से प्रसिद्ध कर गुरुणी श्री कमलश्रीजी की शिष्या घोषित किया। १७. आहोर में ही वि.सं. २००१ माघ शुक्ला १४ को धनासुता निवासी हीरालालजी व सुन्दरबाई की सुपुत्रिया कमला व रुक्माबाई को दीक्षाव्रत प्रदान कर कमला को श्री महिमा श्री और रूक्मीबाई को जयन्तश्री के नाम से प्रसिद्ध कर गुरुणी कमलश्रीजी की शिष्याएँ घोषित किया। आकोली में वि.सं. २००२ माघ शुक्ला ५ को बागरा के समीपस्थ सरत निवासी गेनमल जी व लहरबहन की सुपुत्री दीपावली को दीक्षा प्रदान कर साध्वीश्री देवेन्द्रश्रीजी के नाम से विख्यातकर श्री कमलश्रीजी की शिष्या घोषित किया। बागरा में लक्ष्मीचंद जी सदीबहन की सुपुत्री नवीबहन धर्मपत्नी श्री मंशालाल निवासी बागरा को वि.सं. २००३ वैशाख शुक्ला ३ को दीक्षाव्रत प्रदान कर साध्वी श्री कुसुम श्री जी के नाम से विख्यात कर गुरुणी श्री कमल श्रीजी की शिष्या घोषित किया। २०. वि.सं. २००३ वैशाख शुक्ला ३ को ही बागरा निवासी अमीचंद्र व सदीबहन की सुपुत्री रंभाबहन धर्मपत्नी बागरा निवासी भभूतमलजी को दीक्षाव्रत प्रदान कर साध्वी कुमुदश्री के नाम से प्रसिद्ध कर गुरुणी श्री कमल श्रीजी की शिष्या घोषित किया। | २१. हरजी में वि.सं. २००३ ज्येष्ठ कृष्णा ६ को निम्नांकित भव्य आत्माओं को दीक्षाव्रत प्रदान किया गया १. अहमदाबाद प्रांत के ताल्लुका ठासरा परगना खेड़ाग्राम अंगाड़ी निवासी माणिकलाल भट्ट ब्राह्मण व रेवाबहन के सुपुत्र जेठमल को दीक्षा प्रदान कर मुनिश्री सौभाग्य विजयजी म. के नाम से विख्यात किया। मामाकागार १८. १९ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.012036
Book TitleYatindrasuri Diksha Shatabdi Samrak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinprabhvijay
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1997
Total Pages1228
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size68 MB
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