SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 412
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३०२ ] पृथ्वीराज विजय-एक ऐतिहासिक महाकाव्य "(१) जूणसी (२) हमीर (३) भडसी (४) पालणसी (५) जीतमल (६) हणूतराव (७) महलणसिंह (८) सूजो (६) भोजो (१०) बाधो (११) बलीबंग (१२) गोपाल . (१३) तोरणराव ।" 'वीर-विनोद' में केवल प्रथम चार पुत्र ही प्रसिद्ध है । ज्येष्ठ पुत्र जूणसीजी (जोनसी) आमेर के शासक बने थे । पद्य में इनका संकेत है “धीमांस्तस्य पदं शशास विधिवत्सूनु बली कुन्तिलो लालत्कीलित शवरिन्दुरुचिरो दर्ग परं रोचयत् । रामाभिः स च पञ्चभिः सूचतुरो रेमे रति वद्ध यन् पूत्रानात्मसमां स्त्रयोदश दिशोधावच्च लेभे यशः" ।।५।। १२. महाराज जगसीजी (माघ कृ० १० स० १३७४ से माघ कृ. ३ सं० १४२३) महाराज 'योनसि' के जीवनकाल में शान्ति रही। कोई भी उल्लेखनीय घटना नहीं हई । इनके 'उदयकरणजी' ज्येष्ठ पुत्र थे, जिन्होंने आमेर का राज्य संभाला था "कन्तैरुन्नत वैरिदन्तदलिनि क्ष्मापालके कुन्तिले याते चारुतिलोत्तमादिलित गीत समाकर्णके । राज्यं तस्य सयोनसिविनयवान रूपैनयरर्दयन दस्यून् वश्यनृपावलिविबुभुजे चन्द्रानना चाङ्गनाम्" ।।७६१।। १३. महाराज उदयकरणजी (माघ कृ० ३ सं० १४२३ से फाल्गुन कृ० ३ स० १:४५) इनके विषय में भी कोई विशेष वृत्तान्त नहीं मिलता। इस काव्य में भी एक ही पद्य द्वारा इनका वर्णन किया गया है। इनके पूत्र 'नरसिंह' उत्तराधिकारी बने थे "तस्योद्य किरणो बभूव तनयो बाल्येऽपि भूयो नयो जन्मागार तमो निरासक महावंशार्णवेन्दुवंशी । ताते भुक्तसमुज्झिताखिल सुखे नाकोन्मुखे सत्सखे वर्षन्वस्वमृतं प्रजाकुमुदिनी राल्हादयामास सः ।।७६२।। इनका संस्कृत नाम-'उद्यत् किरण' रखा गया है। १४. महाराज नरसिंहजी (फाल्गुन कृ. ३ स० १४४५ से भाद्रपद कृ०६ सं० १४८५) श्री उदयकरणजी के पुत्र का नाम नरसिंह था । पद्य है "तस्य स्वानुगुणो गुगरगरिणत वर्ण्यः सुवर्णोज्ज्वलो जज्ञे नूनमतिमनोज्ञरचना नारीमनोरोचनः । पुत्रो मित्ररुचि हृदम्बुज मुदि त्रिभ्रातृ कस्योन्नतो नाम्नायं नरसिंह माह मुदितो भूरिस्म भूभीपतिः" ।।७६३।। इनके तीन रानियां थीं तथा ७ छोटे भाई थे। तीन पुत्रों में से ज्येष्ठ पुत्र बनवीर ने आमेर का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012033
Book TitleJinvijay Muni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherJinvijayji Samman Samiti Jaipur
Publication Year1971
Total Pages462
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy