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________________ जहांगीर नो विधर्मी पवित्र पुरुषो प्रत्येनो आदर २३ पालन थी ते संतोष मानतो हतो. अने, संतो, सूफीयो, सन्यासीनो अने धर्माचार्यो ने मलवा मां अने तेमनी साथे बात अने चर्चा करवा मां तेनो रस पडतो हतो. परन्तु ते साथे खटपटी लोकप्रिय धर्माचार्यो अन धर्माध लोको ने मामाजिक अने राजकीय व्यबस्थानी स्थिरता मलबवामां ते खतरनाक लेख तो हतो. शीख गुरु अर्जुन ऊपर तेना शासन दरमियान थयेलो जुलम चर्चास्पद छे. ए गुरु (जन्म ई. स १५६३) गोविद वाल मां रहेतौ हतो. ते चोथा शीख गुरु रामदास नो पुत्र हतो. बालवय थीज आध्यात्मिक स्वभाव अने ध्यानी चित्त ते धरावतो होवानी वात प्रचलित हती. ई. स. १५८१ मां शीख गुरु तरीके तेणां पिता नो ते उत्तराधिकारी बन्यो. तेना पूर्वगामीनों नां हिंदू अने मुसलमान सुधारको ना अने तेमनां पोतानां भजनो अने कथनो नो संग्रह आदिनाथ ग्रंथ मां तेणे कर्यो हतो. तेनु निरीक्षण करतां अकबर ने अर्जुन नी आदर्श प्रतिभा नी झांकी थई हती. ते शहनशाह ना अवसान पछी अर्जुन गुरु ए परेशान हालत मां रहेता बंडखोर शाहजादा खुसरों ने सहारो आपवानी भूल करी पाड़ी' जेने लईने तेने माथे आफत उतरी. गुरु ना विरोधीओ एवो पूरो लाभ उठाव्यो अने जहांगीर पागल राज्यद्रोह अने दुराचार ना रंग थी रगो ने ए बाबत रुजु करी. परिणाम शहेनशाहे शत्रुनो नी जाल में फंसाई पड्यो. तेणे तेने सजा करी अने तेनी माल-मिल्कत जप्त करावी (ई० स० १६०६). जहांगीरे पोतानी तुजुक मां या बनाव नी विगत पापी छे. तेणे बताव्यु छे' के “बियाह नदी ने किनारे प्रावेला गोविंदवाल मां एक हिंदु रहतो हतो तेनु नाम अर्जुन हतु. ते संत रूपे रहेतो हतो. अनेक भोला भला हिंदुनो बल्के अज्ञान अने मुर्ख मुसलमानों ने पंण तेणे पोतानी रीति-नीति मां बांध्याजहता. तेश्रो तेना संत-जीवन अने तेनी पवित्रता नी बुलंद आवाजे जाहेरात करता हता. तेयो तेने गुरु कहेता हता. प्राजु बाजुयी बेवकूफ लोको अने मुर्ख भक्तो तेने प्रावी मलता रहता. अने तेनामा तेश्रोनी अंध श्रद्धानी ऐ रीते प्रतीति करावा हता. गुरुनी त्रण चार पीढी थी या दुकान चालु प्रावती हती. लांबा समय थी मने विचार अाव्या करतो हतो के पा दुकान काढी नांखवी जोइए अथवा तो तेने मुसलमानो नी जमात मां लाव जोइए. अंते एबु बन्यु के या रस्ते खुसरो प्रसार थयो भने प्रा नालायके तेनी सेवा मेलव वानो इरादो कर्यो. जे स्थले ते रहेतो हतो त्यां तेणे मुकाम कर्यो. ते तेने मल्यो अने तेने केटलीक बाबतो जणावी. ते पछी तेणे तेनो कपाल उपर तिलक वर्यु. एने हिंदुनो शुकनियाल माने छे. या बात मारा सांभलवामां प्रावी. में तेने सम्पूर्ण रीते पोकल गणीने तेने मारी पागल हाजर करवाना हुक्म कर्यो. तेना आश्रम तथा तेना बालकों ने में मुर्तजा खान (नामना अमलदार) ने सोंप्या अने तेनां माल मिल्कत जप्त कराव्या. तेने में सजा फरमावी" १. शीख अनुश्रु ति परा मुजब अकबरे तख्त माटे खुसरोनी नीमपु कह करी हती. ते बखते ते काबुल रह्यो हतो. तेणे अर्जुन गुरु ने नाणांनी मदद आपवा आजीजी करी हती. गुरु ए जवाब मां का, के 'मारु नाणु गरीबो माटे छे अने शाहजदाग्रो माटे नथी. खुसरो बोल्यो के हुं प्रत्यारे गरीब, तंग अने निराधार हालत मां छुअने मारी पासे मुसाफरी करवामाटे खर्चना पैसा न थी" गुरु अजून ते पछी तेने पांच हजार रुपिया पाप्या (Macauliff-Sikh Religion Vol. III pp 84-5; Cunningham-History of the Sikhs & Garrett pp. 53) १. तुजुके जहांगीरी पृ० ३५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012033
Book TitleJinvijay Muni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherJinvijayji Samman Samiti Jaipur
Publication Year1971
Total Pages462
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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