SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ iy आशीर्वचन साध्वी श्री कुसुमवती जी का जीवन कुसुम की भाँति सद्गुग्मों को सौरभ से कमनीय है। उनकी विनम्रता, सरलता और चारित्र गुणों में गहरी निष्ठा सभी के लिए प्रेरणाप्रद है। वे इसी प्रकार श्रमणी संघ का गौरव बढ़ाती रहें, यही मेरा आशीर्वाद है। आचार्य आनन्दऋषि सत्य-शील-संयम की आराधना में संलग्न रहने वाले श्रमण-श्रमणी जगत के लिए स्वयं आशीर्वाद स्वरूप हैं तो फिर मैं श्रमणी श्री कुसुमवती जी के लिए क्या आशीर्वाद दूँ ? उनका उज्ज्वल जीवन सबके लिए ज्योतिर्मय बने, यही मेरी मनोभावना है। -उपाध्याय पुष्करमुनि महासती श्री कुसुमवती जो अपने उज्ज्वल चरित्र, दृढ़ संकल्पशीलता उदात्त मनोबल तथा सौम्य विनम्र स्वभाव के कारण श्रमणसंघ में सर्वत्र लोकप्रिय हैं, सबके स्नेह एवं श्रद्धा की पात्र हैं। उनका जीवन समग्र साध्वी समाज के लिए प्रेरणा-दीप बनकर ज्योतिर्मय रहे यही मेरी मंगल भावना है। -उपाचार्य देवेन्द्र मुनि For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012032
Book TitleKusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherKusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
Publication Year1990
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy