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________________ श्रीमान धर्मप्रेमी रिखबचन्दजी सा० श्रीमती धर्मानुरागिनी स्व० देवीबाई बोहरा सिन्धनूर, (कर्नाटक) रिखबचन्दजी बोहरा, सिन्धनूर श्रीमान रिखबचन्दजी सा० बोहरा श्रीमान केसरीमलजी बोहरा के सुपुत्र हैं। आपकी मातेश्वरी बहुत ही धर्म परायणा महिला थी। आप राजस्थान में गिरीनावना के निवासी हैं। जब आपकी उम्र आठ-नौ, वर्ष की थी, तब आप कर्नाटक में सिन्धनूर शहर के निवासी श्रीमान चन्दनमलजी बोहरा के वहां पर दत्तक रूप में आये। वहाँ पर श्रीमती माता मनोहर बाई और पिता चन्दनमलजी का हार्दिक स्नेह प्राप्त कर अपने आपको गौरवान्वित अनुभव करने लगे। सिन्धनूर निवासी श्रीमान माणकचन्दजी सकलेचा की सुपुत्री देवीबाई के साथ आपका पाणिग्रहण हआ। देवीबाई बहत ही धर्मपरायण महिला थी। जिन्होंने अनेक मासखमण आदि तप आराधना कर अपने जीवन को धन्य बनाया। आपके चार सुपुत्र हैं-श्रीमान सोहनलालजी, चम्पालालजी, सूरजमलजी, दिलसखराजजी। चारों भाइयों में धार्मिक संस्कार माता-पिता से विरासत के रूप में मिले हैं। श्रद्ध य उपाध्याय और उपाचार्यश्री के प्रति आप में अपार श्रद्धा है। प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रकाशन में आपका सुन्दर योगदान प्राप्त हुआ है। आपके फर्म का नाम(१) महावीर इण्डस्ट्रोज (राईज मिल) सिन्धनूर (कर्नाटक) (२) आर० एस० एण्ड कम्पनी रायचूर (कर्नाटक) 5 ( २० ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012032
Book TitleKusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherKusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
Publication Year1990
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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