SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 657
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गोपीलालजी शिसोदिया श्रीमती देउबाई बागरेचा सूप्रसिद्ध शिशोदिया परिवार में जन्मे उदारमना श्रीमती देउबाई एक उदारमना धर्मपरायणा सुश्रावक श्रीमान् गोपीलालजी सा. एक सज्जन पुरुष सुश्राविका हैं, बचपन में ही आपके जीवन में धर्म हैं। आपके सम्पूर्ण परिवार में धर्म के प्रति अच्छी संस्कार होने से आपके परिवार में धर्म भावना लगन व निष्ठा है। नाथद्वारा जैन समाज के प्रमुख व्याप्त हैं, सामाजिक धार्मिक कार्य में आप व्यक्तियों में आपकी गिनती की जाती है। समाज के सदा मुक्त हस्त से लाभ लेती रहती हैं। आपके सभी कार्यों में आप सदा उत्साहपूर्वक भाग लेते कारण आपके सम्पूर्ण परिवार में भी धर्म भावना रहते हैं. सन्त सतियों की सेवा भक्ति करने में व्याप्त हैं, पज्या श्री कुसुमवती जी म० के नाथ आपको हमेशा प्रसन्नता रहती है। आपके कारण द्वारा चातुर्मास में आपने अपूर्व धर्म लाभ लिया। आपका सम्पूर्ण परिवार धर्म के प्रति आस्थावान प्रस्तुत ग्रन्थ में भी सहयोग रहा है। आपके हैं, ग्रन्थ प्रकाशन में भी आपका पूर्ण सहयोग रहा पतिदेव श्रीमान कन्हैयालाल जी बागरेचा भी एक धर्मनिष्ठ सुश्रावक हैं। जीवन में सत्संग का अपना अनुठा महत्व रहता है इसीलिए कहा जाता हैं सत्संग लोहे को पारस बना देता है अज्ञानी को ज्ञानी बना देता है। कभी-कभी यह सत्संग जीवन को बदल देता है इसी का उदाहरण हैं युवा सायो पत्रकार मांगीलाल जी समीदिया जो धर्म स्थान से सदादूर रहते थे, पर सन् १९८८ में आपके ग्राम नाथद्वारा में परम विदुषो साध्वो श्रो कुसुमवती जी म. का चातुर्मास हुआ आपके सत्संग में आकर इनके जीवन में भी परिवर्तन हुआ, आपके पूज्य पिताश्री का नाम श्रीमान् कैलाश चन्द जी समीदिया हैं, अपनी इस छोटी-सी वय में आपने अनेक सामाजिक कार्य किए हैं। वर्तमान में आप निम्न फर्मों से जुड़े हुए हैं। मै० अमीत विडियो हाउस, ७ माणक चौक, नाथद्वारा मांगीलाल समादिया कृष्णा कैसेट सेण्टर, अहिल्या कुण्ड, नाथद्वारा ( १५ ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.012032
Book TitleKusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherKusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
Publication Year1990
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy