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________________ समाज रत्न सुश्रावक आदरणीय सेठ साहब श्री चुन्नीलाल जी सा. धर्मावत उदयपुर जैन समाज के ही नहीं अपितु शहर के एक कर्मठ कार्यकर्ता व उदारमना सुश्रावक है । आपका जन्म उदयपुर जिले के बागपुरा ग्राम में पोरवाल जैन कूल में हआ, आपने प्रबल पुरुषार्थ से अपन व्यापार-व्यवसाय को उदयपुर में स्थापित कर प्रामाणिकता व सदाचारता के कारण अपने नाम को रोशन किया हैं। परम श्रद्धय उपाध्याय श्री पूष्कर मुनिजो म. एवं श्रमण संघ के उपाचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी म० आदि सन्त सतियों के प्रति आपके हृदय में गहरी आस्था श्रद्धा है समाज सेवा में आप लम्बे समय से जुड़े हुए है, आपकी समाज सेवा से प्रभावित होकर गतवर्ष आपका समाज द्वारा अभिनन्दन किया गया एवं जैन का कांफ्रेंस के माननीय अध्यक्ष पुखराजमल जी सा. लुकड़ बम्बई ने आपको समाज रत्न की उपाधि प्रदान की। आप वर्षों से श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय उदयपुर के कोषाध्यक्ष व सक्रिय कार्यकर्ता है साथ ही अनेक संस्थाओं के माननीय पदाधिकारी है। आपको भौति ही आपके सुपुत्र परमेश्वर धर्मावत एक उत्साही समाजसेवी हैं आपकी सुप्रसिद्ध फर्म हैं शाह चन्दनमल चुन्नीलाल धर्मावत बड़ा बाजार, उदयपुर समाजरत्न श्री चुन्नीलाल जो धर्मावत मेवाड प्रान्त अपनी आन बान शान के लिए सदा अगुवा रहा है यहाँ पर समय समय पर अनेक श्रावक रत्न पैदा हुए हैं, जिन्होंने धर्म व समाज के कार्य में अपना अमूल्य योगदान प्रदान किया है। उन्हीं की लडी की कडी में सुश्रावक खूमाणिग जो काग्रे चा का नाम भो गौरव के साथ लिया जाता हैं. आपका जन्म शेरा प्रान्त के सिंघाडा ग्राम में हुआ। आपके दो सुपुत्र मीठालालजी, हिम्मतकुमार जी हैं। वर्तमान में समाज की प्रायः सभी संस्थाओं से आप जुड़े हए हैं, पूज्य उपाध्याय एवं उपाचार्य श्री के प्रति आपका अगाध श्रद्धा हैं। आपका व्यवसाय सूरत अहमदाबाद में हैं। सेठ खमानसिंह जी काग्रेचा ( १३ ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012032
Book TitleKusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherKusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
Publication Year1990
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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