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________________ - तथागत बुद्ध रहे हों अथवा महर्षि व्यास रहे हों, डाली और पूछा-तुम मौन क्यों हो? बताओ, उन सभी ने जन-जन को यह प्रेरणा प्रदान की कि तुम्हारी दृष्टि से इस संसार में मीठी वस्तु क्या है ? | तुम अपनी वाणी का सदुपयोग करो। तुम्हारी बीरबल ने कहा-जहाँपनाह ! सबसे मधुर है | वाणी विषवर्षिणी नहीं, अमृतवर्षिणी हो । पर खेद वाणी । वाणी की मधुरता के सामने अन्य पदार्थों है कि हजारों वर्षों से इतनी पावन प्रेरणा प्राप्त की मधुरता कुछ भी नहीं है। बादशाह ने कहाहोने पर भी मानव अपनी वाणी पर अभी तक बता बीरबल, इसका प्रमाण क्या है? नियन्त्रण नहीं कर पाया। वाणी के कारण ही वीरबल ने कहा-जहाँपनाह समय पर आपको अशान्ति, कलह, विग्रह, द्वेष के दावानल सुलग रहे मैं यह सिद्ध कर बता दंगा कि वाणी से बढ़कर 5 हैं जिससे मानवता का वातावरण विषाक्त बन गया , अन्य कोई भी पदार्थ मधुर नहीं है। पन्द्रह-बीस है । स्वर्गापम भूमण्डल नरक के सदृश बन गया है। दिन का समय व्यतीत हो गया । एक दिन बीरबल भी उन्हें यह स्मरण रखना होगा कि वे मृत्यु दूत नहीं । ने कहा-जहाँपनाह ! मेरी हार्दिक इच्छा है आप - हैं, जो विष उगलें। जो मानव जन्म मिला है बेगम साहिबान के साथ मेरी कटिया पर भोजन ही जिस मानव जीवन की महत्ता के सम्बन्ध में आगम, हेतु पधारें। बीरबल के स्नेह-स्निग्ध आग्रह को वेद और त्रिपिटक एक स्वर से गा रहे हैं, मानव को बादशाह टाल न सका और भोजन की स्वीकृति ॐ अमृतपुत्र कहा है वह अमृत की वर्षा न कर यदि प्रदान कर दी। निश्चित समय पर बादशाह बेगम कर जहर की वर्षा करता है, वह मानव जीवन को साहिबान के साथ बीरबल के यहाँ पर भोजन हेतु कलंकित करता है । स्नेह और सद्भावना की सुमधुर पहुँचे । बीरबल ने बादशाह के लिए विविध प्रकार वृष्टि करना ही उसका लक्ष्य होना चाहिये । के स्वादिष्ट पकवान बनाये थे तथा विविध प्रकार ___ मानव जब जन्म लेता है तब से उसकी माँ की नमकीन वस्तुएं भी तैयार की थीं। भोजन उसे अमृत सदृश मधुर दूध पिलाकर उसका संपोषण करते-करते बेगम साहिबान तो मन्त्र मुग्ध हो गयी। करती है । दूध उज्ज्वल होता है, मधुर होता है। भोजन की प्रशंसा करते हुए उसने बादशाह से इसलिए मां अपने प्यारे पुत्र को यह संदेश देती है कहा-इतना स्वादिष्ट भोजन तो अपने यहाँ भी कि वत्स ! मैंने तेरी जबान को दूध से धोयी है अतः नहीं होता । बीरबल ने कितना सुन्दर भोजन बनाया मैं चाहूँगी कि तू मेरे दूध की लाज रखेगा। दूध है। भोजन कर बादशाह आह्लादित मन से विदा की धवलिमा तेरे जीवन के कण-कण में व्याप्त हो, हुआ। बादशाह के मुखारविन्द से भोजन की तेरी वाणी से अमृत झरे, तेरी वाणी मिश्री से भी प्रशंसा सुनकर बीरबल मौन रहा। - अधिक मधुर हो । यदि वाणी में मधुरता है तो बादशाह द्वार तक पहुँचा। बेगम पीछे चल 2) अन्य सारी मधुरता उसके सामने तुच्छ है। रही थी। बीरबल ने अपने अनुचर को आदेश दिया ___एक बार बादशाह अकबर की राजसभा में कि दूध से उस स्थान को साफ कर देना जहाँ पर विचार चर्चा चल रही थी कि इस विराट् विश्व में तुर्कणी बैठी थी क्योंकि वह स्थान अपवित्र हो सबसे अधिक मधुर पदार्थ क्या है ? किसी ने कहा गया है । बीरबल ने शब्द इस प्रकार कहे थे कि वे कि दही मीठा होता है, किसी ने कहा दूध मधुर शब्द बेगम साहिबान के कर्ण कुहरों में गिर जाएँ होता है, किसी ने कहा गुड़ मधुर होता है तो किसी और ज्योंही ये शब्द बेगम ने सुने उसका क्रोध ने कहा शहद मधुर होता है । सबके अपने विचार सातवें आसमान में पहुँच गया, सारा भोजन जहर थे। बादशाह अकबर ने बीरबल की ओर दृष्टि बन गया, आँखों से अंगारे बरसने लगे। उसने Woxe BA 16: सप्तम खण्ड : विचार-मन्थन ४८३ Cid साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ eds Jain Luucation International Fol Private & Personal Use Only www.jaineliorary.org
SR No.012032
Book TitleKusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherKusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
Publication Year1990
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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