SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 428
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भूगोल (Geography) यूनानी भाषा के दो पदों निचला पर्त, जिसमें ऋतु, जलवायु की विभिन्नताएँ Ge तथा grapho से मिलकर मिला है। ge का होती हैं। अर्थ पृथ्वी और Grapho का अर्थ वर्णन करना है। (४) पृथ्वी के सौर सम्बन्ध । इस प्रकार Geography की परिधि में पृथ्वी का पृथ्वी को केन्द्र में रखकर जर्मनी, फ्रांस, अमेवर्णन किया जाता है। रिका, सोवियत संघ आदि देशों में काफी शोध हए भूगोल जिसे हम साधारणतः पौराणिकता के हैं और हो रहे हैं। वहां के विद्वानों की भौगोलिक ||5 साथ जोड़ते चले आये हैं, आज हमारे सामने एक विचारधाराओं को हम एक-दूसरे की परिपूरकता प्रगतिशील विज्ञान के रूप में खड़ा हो गया है। के सन्दर्भ में समझ सकते हैं। उनके अध्ययन में दो उसका उद्देश्य और अध्ययन काफी विस्तृत होता पक्ष उभरकर सामने आते हैंचला जा रहा है । उद्देश्य के रूप में उसने मानव १. वातावरण और परिस्थिति विज्ञान की उन्नति और कल्याण के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण २. प्रादेशिक विभिन्नताएँ और मानवीय प्रगति योगदान दिया है इसलिये आज वह अन्तर्वैज्ञानिक ' तथा कल्याण में असमानतायें और असन्तुलन । (Interdisciplinary) विषय बन गया है। इस सन्दर्भ में जब हम प्राचीन भूगोल और 12 जैसे-जैसे भूगोल के अध्ययन का विकास होता गया विद्वानों ने उसे परिभाषाओं में बाँधने का __ अर्वाचीन भूगोल की समीक्षा करते हैं तो हम इस MMS प्रयत्न किया है । ऐसे विद्वानों में एकरमेन, ल्यूकर निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि प्राचीन भूगोल कतिपय मेन, यीट्स, रिट्टर, हेटलर आदि विद्वान प्रमुख हैं लोकाख्यानों पर आधारित रहा है और आधुनिक 18 जिनकी परिभाषाओं के आधार पर भूगोल की भूगोल वैज्ञानिक तथ्यों पर अवलम्बित है जहाँ मान | निम्नलिखित परिभाषा प्रस्तुत की जाती है-'भूगोल - वीय साधनों की क्षमता और योग्यता पर अधिक " बल दिया जाता है । प्राचीन भगोल आर्थिक प्रगति वह विज्ञान है जो पृथ्वी का अध्ययन तथा वर्णन । से कोई विशेष सम्बन्ध नहीं रखता, जबकि आधु-4 मानवीय संसार या मानवीय निवास के रूप में (१) क्षेत्रों या स्थानों की विशेषताओं (२) क्षेत्रीय निक भूगोल का तो यह केन्द्रीय तत्व ही है इसलिये एक विविधताओं तथा (३) स्थानीय सम्बन्धों की पृष्ठ __ आधुनिक भूगोल को व्यावहारिक भूगोल(Applied Hg भमि में करता है । इस प्रकार भूगोल पृथ्वी पर Geography) कहा जाने लगा है । इसमें मुख्य रूप ||G वितरणों का विज्ञान (Science of distribution on से-१. समूह व्यवहार-(Group behaviour) Earth) है। तथा व्यावहारिक क्षेत्र में मानसिक समायोजन जैसे तत्वों पर विशेष विचार किया जाता है। इस परिभाषा के आधार पर यह कहा जा र सकता है, भूगोल की अध्ययन सीमा में पृथ्वीतल प्रारम्भ से ही भूगोल का उद्देश्य और उपयोग का अध्ययन प्रमुख है। इस कथ्य में चार तथ्य व्यक्ति और समाज का हित-साधन रहा है। चाहे वह सम्मिलित है आध्यात्मिक रहा हो या लौकिक । आधुनिक व्याव-५ हारिक भूगोल में आध्यात्मिक दृष्टि का कोई विशेष (१) पृथ्वीतल पर समस्त थल खण्डों और महा सम्बन्ध नहीं है। इसलिए व्यावहारिक भूगोल | सागरों के तल । की परिभाषा साधारण तौर पर इस प्रकार की (२) पृथ्वीतल से थोड़ी गहराई तक का सीधा जाती है- "समाज की आवश्यकताओं की पूर्तियों ने प्रभावकारी पर्त । के लिए भौगोलिक वातावरण के समस्त संसाधनों (३) वायुमण्डल, विशेषतः वायुमण्डल का को विवेकपूर्वक करने के लिए भौगोलिक आचार ३७६ पंचम खण्ड : जैन साहित्य और इतिहास साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ - Jain relation International FONrivate & Personal Use Only www.jainefideorg
SR No.012032
Book TitleKusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherKusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
Publication Year1990
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy