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________________ डा० परमेश्वर झा. यूनिवसिटी प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, गणित विभाग, बी. एस. एस. कालेज, सुपौल, सहर भारतीय गणित के अंध युग में जैनाचार्यों की उपलब्धियाँ भारतीय संस्कृति अति प्राचीन है, इसकी समृद्ध विधियों का विवेचन किया गया है । एक लम्बी परम्परा है। यहाँ के प्राचीनतम उपलब्ध ग्रन्थ हैं अवधि के बाद वक्षाली हस्तलिपि (२०० ई० लगवेद (३००० ई० पू०)। तत्पश्चात् ब्राह्मण ग्रन्थ, भग) की रचना हुई, जिससे प्राचीन भारत के अंकउपनिषद्, पुराण, वाल्मीकि रामायण एवं महा- गणित एवं बीजगणित के विकास पर प्रचुर मात्रा भारत जैसे अनेकानेक महत्वपूर्ण ग्रन्थों की रचना में प्रकाश मिलता है। फिर ४वीं शताब्दी के लगहुई । इन ग्रन्थों में आध्यात्मिक सिद्धान्तों के साथ- भग सौर, पोलिश, रोमक, वाशिष्ठ एवं पैतामहसाथ वैज्ञानिक तथ्य भी बीज रूप में पाए जाते हैं। इन पाँच प्रमुख सिद्धान्तों का निर्माण हुआ। ५वीं ज्योतिर्विज्ञान एवं गणित की नींव भी धार्मिक शताब्दी से १२वीं शताब्दी का काल भारतीय कार्यों के सम्पादन के लिए ही पड़ी । ऋग्वेद, शत- गणित का स्वर्ण युग है जिस अवधि में आर्यभट पथ ब्राह्मण, यजुर्वेद, मैत्रायणी एवं तैत्तिरीय संहि- (४०६ ई०), ब्रह्मगुप्त, भास्कर प्रथम, लल्ल, श्रीधराताओं में ग्रहण, व्यतीपात, मुहूर्त, नक्षत्र-गणना, चार्य, महावीराचार्य, श्रीपति, भास्कराचार्य (१११४ अंक-संज्ञाओं की सूची, विभिन्न प्रकार के भिन्न, ई०) जैसे अनेकानेक प्रतिभासम्पन्न गणितज्ञों एवं द्विघातीय समीकरण के साधन आदि विषयों का भी ज्योतिर्विदों का प्रादुर्भाव हुआ। इन विद्वानों ने समावेश है। पुनः ज्योतिर्विज्ञान सम्बन्धी स्वतन्त्र ज्योतिष एवं गणित में अनेक ऐसे मौलिक एवं । ग्रन्थ वेदांग ज्योतिष (१२०० ई०प०) की रचना वैज्ञानिक सिद्धान्तों-सत्रों की स्थापना को जिनका IC हुई। तत्पश्चात् ८००-५०० ई० पू० के काल में आविष्कार अन्य देशों में सैकड़ों वर्षों बाद हुआ। बौधायन, आपस्तम्ब, कात्यायन, मंत्रायण आदि ५वीं शताब्दी ईसा पूर्व से ५वीं शताब्दी ईस्वी शुल्व-सूत्रों का निर्माण हुआ जहाँ वेदियों की संर- की अवधि में क्या यहाँ गणित में कोई मौलिक कार्य चना के क्रम में अनेक ज्यामितीय रचनाओं, द्विघा- नहीं किया जा सका ? क्या किसी गणितीय ग्रन्थ तीय एवं युगपद अनिणिति समीकरणों के हल की की रचना नहीं की जा सकी ? भारतीय गणित का OGR90989092009RDS १. विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य शंकर बालकृष्ण दीक्षित, भारतीय ज्योतिष, लखनऊ, १९६३, पृ० १-६३ एवं बी. बी. दत्ता एण्ड ए. एन. सिंह, हिस्टरी आफ हिन्दू मैथमैटिक्स, भाग १, बम्बई, १९६२, पृ. ६ एवं १८५ २ द्रष्टव्य बी. बी. दत्ता, दि साइन्स आफ दी शुल्व, कलकत्ता, १६३२ एवं सत्य प्रकाश तथा उषा ज्योतिष्मती, दि शुल्ब सूत्राज, इलाहाबाद, १९७६ ३६६ पंचम खण्ड : जैन साहित्य और इतिहास 60 साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ JAMÉducation International Yor Private & Personal Use Only www.jainerary.org
SR No.012032
Book TitleKusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherKusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
Publication Year1990
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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