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________________ सप्तम खण्ड परिशिष्ट विचार-मन्थन प्रवचन Jam Education Internationa महासता श्री कुसुमवतीजी महाराज का साहित्य : एक समीक्षा बालब्रह्मचारिण्याः श्रीमत्याः कुसुमवत्याः सत्याः यशः सौरभम् चिन्तन सूत्र लघु निबन्ध निबन्ध कहानी ( २८ ) जैनाचार : एक विवेचन जैन दर्शन का हृदय है - स्याद्वाद उपमिति भव प्रपंच कथा : कितना सार्थक है सिद्धर्षिका रचना उपक्रम ? जैन संस्कृति और उसका अवदान जैनाचार का प्राण अहिंसा दीक्षा सप्तविंशतिः सम्माननीय सहयोगी शुभ नामावली तथा चित्र परिचय - १. साधना का सारतत्व समता - २. अन्तर्यात्रा : एक दृष्टि - ३. वाणी- विवेक - ४. संयम का सौन्दर्य - ५. मन ही माटी, मन ही सोना - १. सुख और दुःख - २. जीवन का अभिशाप - दुर्व्यसन - ३. सद्गुणों का प्रचार हो - ४. तर्क और श्रद्धा -नारी : नारायणी - जैन दर्शन में अनेकान्त सम्यग्दर्शन का स्वरूप - १. वैर और वैरी - २. गिरे तो गिरे, पर उठे भी बहुत ऊंचे - विचार - कण - उपदेशात्मक पद्य रचना -भजन - उप प्रवर्तक श्री राजेन्द्र मुनि ४७५ से ५३६ तक - साध्वी अनुपमा एम. ए. - रमेश मुनि शास्त्री - राजेन्द्र मुनि शास्त्री, एम. ए. - विदुषी साध्वी चारित्रप्रभाजी म. - साध्वी दिव्यप्रभा एम. ए., पी. एच. डी. - साध्वी गरिमा एम. ए. साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ For Private & Personal Use Only ४७५ ४७८ ४८२ ४८६ ४८६ ४६३ ४६४ ४६५ ४६६ ४६७ ४६८ ५०२ ५०५ ५०८ ५१३ ५२२ ५२३ ५२५ ५३० ५३७ से ५८४ तक ५३७ ५४८ ५५४ ५६१ ५६७ ५७७ ५७६ O www.jainelibrary.org
SR No.012032
Book TitleKusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherKusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
Publication Year1990
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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