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________________ २८४ २८७ ( २६ ) प्रमा की नयी परिभाषा -प्रो० संगमलाल पाण्डेय भारतीय योग परम्परा में जैन आचार्यों के योगदान का मूल्यांकन -डॉ० ब्रह्ममित्र अवस्थी आगम साहित्य में ध्यान का स्वरूप -युवाचार्य डॉ० शिव मुनि ध्यान : रूप : स्वरूप-एक चिन्तन -डॉ० साध्वी मुक्तिप्रभा आत्मा के मौलिक गुणों की विकास प्रक्रिया के निर्णायक : गुणस्थान -श्री गणेश मुनि शास्त्री भारतीय दर्शन : चिन्तन की रूपरेखा -प० देवकुमार जेन चतुर्थ खण्ड २७५ से ३५६ तक जैन संस्कृति के विविध आयाम श्रमण संस्कृति -आचार्य राजकुमार जैन २७५ महाव्रतों का युगानुकूल परिवर्तन -अ. प्र. मुनि श्री कन्हैयालाल 'कमल' केवलज्ञान और केवलदर्शन, दोनों उपयोग युगपत् नहीं होते -कन्हैयालाल लोढ़ा भौतिक और अध्यात्म विज्ञान --प्रवर्तक श्री रमेशमुनि सर्वोदयी विचारों की अवधारणा के प्रेरक जैन सिद्धान्त -डॉ० श्रीमती शारदा स्वरूप जागे युवा शक्ति ! -उपाचार्य श्री देवेन्द्र मुनि भगवान महावीर के सिद्धान्तों का दैनिक जीवन में उपयोग -डॉ० नरेन्द्र भानावत ३११ श्रमण संस्कृति का व्यापक दृष्टिकोण --डॉ० साध्वी दिव्यप्रभा ३१४ अदत्तादान-विरमण की वर्तमान प्रासंगिकता -ब्रजनारायन शर्मा ३१७ प्राचीन भारतीय दण्डनीति -डॉ० तेजसिंह गौड़ ३२३ भगवान महावीर और उनके द्वारा संस्थापित नैतिक मूल्य -डॉ० रामजीराय, आरा अहिंसाया अन्तलिपिः -डॉ० केवलचन्द्र दाशः जैन शिक्षा बनाम आधुनिक शिक्षा -विजयकुमार (शोधछात्र) ३३४ धार्मिक तथा नैतिक शिक्षा -डॉ० (श्रीमती) हेमलता तलेसरा चारित्रिक संकट से मुक्ति अहिंसा और सामाजिक परिवर्तन : आधुनिक सन्दर्भ -प्रो० कल्याणमल लोढ़ा ३४३ संस्कृत साहित्य और मुस्लिम शासक -श्री भंवरलाल नाहटा ३५२ 5 साध्वीरत्न कसमवती अभिनन्दन ग्रन्थ ) www.jainelibrary.org 3 ३२८ ३३८ ( Jain Education International SorrivateRPersonalise only
SR No.012032
Book TitleKusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherKusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
Publication Year1990
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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