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________________ CALL स्वर, यन्त्र, घण्टी, ऑरगन पाइप, पियानों के तार बम गलन या वियोग का उदाहरण है । यदि सूक्ष्म ये सब वस्तुएँ कंपन की दशा में रहती है जबकि वे दृष्टि से देखा जाए तो पुद्गल की संरचना में परध्वनि पैदा करती हैं। अतः विज्ञान के माणुओं का यह गलन और पूरण रूप एक ऐसा अनुसार शब्द का स्वरूप तरंगात्मक है। रेडियो, तथ्य है जिसका संकेत हमें आधुनिक भौतिकी में माइक्रोफोन आदि में शब्द-तरंगें, विद्य त प्रवाह में भी प्राप्त होता है जिस पर परमाणु शक्ति का . परिणत होकर आगे बढ़ती है और लक्ष्य तक पहुँच समस्त प्रासाद निर्मित हुआ है । जैन शब्दावली में कर फिर शब्द रूप में परिवर्तित हो जाती हैं। एक अन्य शब्द प्रयुक्त होता है-'तेजोलेश्या' जो शब्द को लेकर एक अन्तर विज्ञान से प्राप्त होता पृद्गल की एक ऐसी रासायनिक प्रक्रिया है जो है क्योंकि विज्ञान, शब्द या ध्वनि को एक ऊर्जा के सोलह देशों को एक साथ भस्म कर सकती है। 2 रूप में स्वीकार करता है न कि पदार्थ के रूप में यही परमाणु की संहारक शक्ति है । आधुनिक परमी जबकि जैन-दर्शन में ध्वनि पौद्गलिक है जो भाणु शक्ति केवल ऊष्मा के रूप में प्रकट होती है, ल लोकांत तक पहुँचती है । इस सूक्ष्म अन्तर के होते पर तेजोलेश्या में उष्णता और शीतलता दोनों गुण न हुए भी यह अवश्य कहा जा सकता है कि जैन- विद्यमान हैं और शीतल तेजोलेश्या उष्ण तेजो दर्शन का ध्वनि विषयक चिंतन आधुनिक विज्ञान लेश्या के प्रभाव को नष्ट कर देती है। आधुनिक की मान्यताओं के काफी निकट है जो भारतीय विज्ञान उष्ण तेजोलेश्या को एटम तथा हाइड्रोजन मनीषा का एक आश्चर्यजनक मानसिक अभियान बमों के रूप में प्राप्त कर चुका है, पर इनके प्रतिकहा जा सकता है। मारक रूपों तक वह अब भी पहुँच नहीं परमाणु-शक्ति और जैन मत सका है। परमाणु के उपयुक्त स्वरूप के प्रकाश में जैन उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि दर्शन में परमाणु ऊर्जा (शक्ति) के भी न्यूनाधिक जैन दार्शनिकों ने केवल अध्यात्म के क्षेत्र में ही संकेत प्राप्त होते हैं । परमाणु शक्ति के दो रूप नहीं, वरन पदार्थ विज्ञान के क्षेत्र में ऐसे सत्यों र एटम तथा हाइड्रोजन बम है जो क्रमशः फिशन तथा __ का उद्घाटन किया जो आधुनिक विज्ञान के द्वारा मा | फ्युजन प्रक्रियाओं के उदाहरण हैं। फिशन का अर्थ है टूटना (या विखंडन) और एटम बम में यूरेनि- . न्यूनाधिक रूप में मान्य हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से मा यम परमाणुओं के विखंडन से शक्ति या ऊर्जा का यह महसूस करता हूँ कि जैन विचारधारा ने सही विस्फोट होता है । दूसरी ओर हाइड्रोजन बम में रूप में दर्शन और विज्ञान के सापेक्ष महत्व को फ्युजन होता है जिसका अर्थ है मिलना या संयोग । उद्घाटित किया है और विश्व तथा ब्रह्मण्ड के REE इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन के चार परमाणुआ कतिपय मालकी सूक्ष्म अंश 'परमाण' के रहस्य का साक्षात्कार लीला अनन्त संयोग से हिलियम परमाणु की रचना होती है। इस संयोग से जो शक्ति उत्पन्न होती है, वही हाइ है और अन्वेषक चिंतक यही चाहता है कि वह द्रव्य के 'अनन्वेषित प्रदेशों तक पहँच सके-यह ओ ड्रोजन या उद्जन बम का रूप है। परमाणु की ये दोनों प्रक्रियाएँ इस सूत्र वाक्य में दर्शनीय है - जानने या पहुँचने की सतत् आकांक्षा ही "पूरण गलन धर्मत्वात् पुद्गलः" । हाइड्रोजन बम "ज्ञान" के गत्यात्मक स्वरूप को स्पष्ट करती है । पूरण या संयोग धर्म का उदाहरण है और एटम ) १ टेक्स्ट बुक आफ फिजिक्स, आर. एस. विलोज, पृ. २४६ । २ भगवती शतक १५ २२८ dad तृतोप खण्ड : धर्म तथा दर्शन साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012032
Book TitleKusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherKusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
Publication Year1990
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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