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________________ हार्दिक अभिनन्दन श्रद्धा के दो फूल अर्पित -काललाल ढालावत -मुन्नालाल लोढ़ा, पाली परमादरणीय महासती श्री कुसुमवतीजी का जीवन अमृत तुल्य है, आप राजस्थान की सुप्रसिद्ध काफी वर्षों पहले आपके पूज्या गुरुणी जी साध्वी रत्ना हैं, मैं किन शब्दों में अपनी श्रद्धा भक्ति श्री प्रवर्तिनी श्री सोहनवर जी महाराज साहब के व्यक्त करूं, मैं विगत कई वर्षों से आपको सेवा में साथ में पाली चातुर्मास हुआ था। तब गुरुणी जी का आता-जाता रहा हूँ, मैंने पाया है आपका जीवन की सेवा का मौका हमें भी प्राप्त हुआ था मगर पारस के सदृश है जिसके सम्पर्क से लोह स्वर्ण में काल विकराल ने गुरुणी जी पर आक्रमण कर परिणत हो जाता है उसी प्रकार जो भी आपके दिया और अचानक स्वर्ग पधार गये। श्री पावन सम्पर्क में आया है उसके जीवन में एक नई सोहन कँवर जी म. सा. तो शुद्ध कंचन स्वर्ण के भावना पैदा हुई है। समान उज्ज्वल क्रिया पात्राणी थे। उनके स्वर्गवास र आप पूज्य उपाध्याय श्री के साध्वी परिवार से स्थानकवासी जैन साध्वियों में भारी कमी पड़ी है की एक तेजस्वी साध्वीरत्न हैं । आपश्री के गुणों से उनकी पूर्ति शीघ्रता से हो यही शासनदेव से प्रार्थना मैं बहुत ही प्रभावित हुआ हूँ। आपका प्रभावशाली है और स्वर्गीय आत्मा को शान्ति प्रदान हो, एवं व्यक्तित्व सभी के लिए पथप्रदर्शक है। आपके गरुणी जी के नाम को भी सुशिष्या श्री कुसुमवती प्रवचन में इतनी मधुरता, कोमलता तथा प्रभाव- म. सा. ने उज्ज्वल कीर्तिमय किया है जिसका शीलता है कि श्रवण करने वाला मन्त्र मुग्ध हो समाज को गौरव है। जाता है । आपकी प्रेरणा से स्थान-स्थान पर अनेक साध्वी श्री कसमवतीजी ने छोटी उमर में दीक्षा लोकोपकारी कार्य हुए हैं, हमारे तरपाल गाँव में ग्रहण करके अनेकों भाषा का अच्छा ज्ञान (EPAL भी महासती श्री सोहन कुंवरजी जिनकी यह पावन प्राप्त किया है एवं आगम सूत्रों व धार्मिक कई र जन्म स्थली है उनके नाम से मानव सेवा समिति थोकडों आदि की जानकारी में भी सफलता प्राप्त का गठन हुआ जो जनकल्याण के कार्य में सेवा दे की है। इसके अलावा व्याख्यान शैली भी बहत हो IC मधुर व जोशीली तथा समयानुकूल उपयोगी है । दीक्षा स्वर्ण जयन्ती के इस अवसर पर मैं जिससे जनता मुग्ध हो जाती है । अपनी ओर से, समाज व वर्धमान ज्ञानपीठ तिरपाल आपने शरीर से दुबले-पतले होते हुए भी से एवं श्री पुष्कर गुरु जैन सेवा शिक्षण संस्थान देश-देशान्तरों, अनेकों प्रान्तों में जबरदस्त सेमटाल के समस्त सदस्यों की ओर से आपका करके धर्म प्रचार किया है जो कभी भी भुलाया हार्दिक अभिनन्दन करता है। नहीं जा सकता है। ___ अतः अ० भा० समग्र जैन चातुर्मास सूची प्रकाशन परिषद आपके दीर्घायु की शुभकामना करता है। ७८ प्रथम खण्ड : श्रद्धार्चना 3 साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ 08635 Jain Education International por private Personel Lee Only www.jainelibrary.org
SR No.012032
Book TitleKusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherKusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
Publication Year1990
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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