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________________ सोहनलाल गोलछा हीरक जयन्ती स्मारिका Jain Education International प्रथम छात्र का अविस्मरणीय संस्मरण श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा द्वारा संचालित श्री जैन विद्यालय की हीरक जयंती मनाई जा रही है, यह सुनकर मेरी प्रसन्नता अत्यधिक बढ़ गई। कारण यह है कि इस संस्था के साथ मेरा पांच पीढ़ियों से सम्बन्ध है। मेरे स्वर्गीय पूज्य दादाजी भैरूंदानजी गोलछा सभा के ट्रस्टी तथा सभापति होते हुए भी इस विद्यालय के “प्रथम सभापति" चुने गए थे स्वर्गीय पूज्य पिताजी पूनमचन्दजी गोलछा एक कार्यकर्ता थे। मैं, मेरे पुत्र तथा पौत्र भी इस स्कूल में पढ़े हुए हैं। श्री जैन विद्यालय की स्थापना ता० 17 मार्च, 1934 की शुभ घड़ी में एक छात्र तथा एक अध्यापक श्री बच्चन सिंहजी को लेकर हुई थी। मुझे इस विद्यालय का प्रथम छात्र होने का गर्व है। 142 ए, जमुनालाल बजाज स्ट्रीट के एक मकान में दो तल्ला पर यह स्कूल प्रारम्भ हुआ था। 1934 से 1942 तक उसमें छात्र तथा छात्राएं दोनों ही एक साथ पढ़ते थे। उस समय कुछ छात्राएं भी पहली कक्षा में भर्ती हुई थीं जिनमें मेरी भावी पत्नी भी थीं। मुझे जैन सभा ने प्रथम प्रधानाध्यापक स्वर्गीय बच्चन सिंहजी के सान्निध्य में पूर्ण शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक विकास के लिए सभा में रहने की छूट तथा सब तरह की सुविधा प्रदान की थी। मैंने करीब साढ़े छ:- सात वर्ष तक सभा में रहकर अपना विकास किया। मैं जैन सभा का आभारी हूं। 1934-42 तक विद्यार्थियों को पीने का पानी छना हुआ मिलता था और आज भी मिल रहा है। उस समय में स्कूल में कोई फीस नहीं ली जाती थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण स्कूल 3 वर्ष बन्द रही। किन्तु पुनः प्रारम्भ हो गई। मैं इस सभा तथा विद्यालय के कर्णधारों के प्रति सम्मान तथा विद्यालय के अध्यापकों के प्रति पूर्ण श्रद्धा व्यक्त करता हूं एवं कामना करता हूं कि अभी विद्यालय जिस सम्मान के साथ प्रगति पथ पर बढ़ रहा है भविष्य में और भी तीव्रगति से अग्रसर होता रहे विद्यालय में इस 1 समय करीब 2500 छात्र पढ़ रहे हैं, यह प्रसन्नता की बात है। स्कूल के प्रति लगाव होने के कारण मैने सन् 1936, 1939 तथा 1984 के ग्रुप फोटो भी संभाल कर रखे हैं। -60 - ए, नलिनी सेठ रोड, For Private & Personal Use Only कलकत्ता-7 विद्यालय खण्ड / २१ www.jainelibrary.org
SR No.012029
Book TitleJain Vidyalay Hirak Jayanti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKameshwar Prasad
PublisherJain Vidyalaya Calcutta
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size11 MB
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