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________________ अलकाराम हीरक जयन्ती स्मारिका Jain Education International मुस्कराहट कौन कहता है कि, मुस्कुराहट महंगी हो गई है ? एक मुस्कुराहट थी मोनालिसा की, जो अमर होकर रह गयी, आज तो हर होंठ पर मुस्कुराहट है, पर अंदाज-ए-ययां जुदा-जुदा है। गरीब अपनी किस्मत पर मुस्कुराता है, अमीर अपनी अमीरी पर, राजनीतिज्ञ अपनी चाल पर मुस्कुराते हैं, तो विद्यार्थी अपने हाल पर, दहेज लेकर कोई मुस्कराता है कहीं तन बेचकर हंसी आती है। कहीं किसी के दुःख पर, कहीं किसी के सुख पर, हां, सभी मुस्कुराते हैं, पर, अंदाज-ए-बयां जुदा-जुदा है। किसी की मुस्कुराहट में है ईर्ष्या की झलक, तो किसी की मुस्कुराहट में है पैसों की ललक, किसी की मुस्कुराहट में होता है भविष्य का संकेत, तो कहीं दर्द से भींगी होती है मुस्कुराहट, कहीं व्यंग्य में डूबी होती है मुस्कुराहट, कहीं मिलती है बेबसी की मुस्कुराहट, सभी मुस्कुरा रहे हैं, पर, अंदाज-ए-बय जुदा-जुदा है। मैं खोजती हूं उसे, जो दिखला सके, मुझे बतला सके, मुस्कुराहट का सरल, सच्चा, निश्छल रूप, बाल सुलभ मुस्कुराहट, जिसमें हो जमाने का दर्द, न हो व्यंग्य, कुटिलता, न तकरार की मुस्कुराहट, बस हो ममता की, स्नेह और मानवता की, जिसका अंदाज-ए-धयां ही जुदा-जुदा होगा। For Private & Personal Use Only 10, नेताजी सुभाष रोड, कलकत्ता- 1 विद्वत् खण्ड / ४१ www.jainelibrary.org
SR No.012029
Book TitleJain Vidyalay Hirak Jayanti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKameshwar Prasad
PublisherJain Vidyalaya Calcutta
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size11 MB
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